भीड़ में फैलता है कोरोना? जानने के लिए वैज्ञानिकों ने लाइव कंसर्ट किया आयोजित, हज़ारों लोगों की भीड़ जुटी, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पर नहीं दिया गया जोर, 8 करोड़ 74 लाख रुपये खर्च, भीड़ में शामिल श्रोताओ – दर्शकों का 48 घंटे बाद कोरोना टेस्ट होगा शुरू

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दिल्ली / आमतौर पर माना जाता है कि भीड़ में कोरोना वायरस फैल सकता है | इसके चलते भीड़ जुटने के अंदेशे वाले कार्यक्रमों को देश – विदेश में रद्द कर दिया गया है | क्रिकेट समेत अन्य खेलों की प्रतियोगिताएं भी टाल दी गई है | वाकई भीड़ खतरनाक है | इससे कोरोना फ़ैल सकता है, कैसे वो लोगों को संक्रमित कर सकता है | इसका पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने जर्मनी में एक लाइव कंसर्ट आयोजित किया | लोगों को यह बात भले ही अजीबों गरीब लगे, लेकिन जर्मनी के लिपजिग शहर में शनिवार को करीब 1500 लोग एक हॉल में जुटे थे | उनके लिए RESTART-19 नाम से इन्डोर कंसर्ट आयोजित किया गया | इस कंसर्ट में जर्मन सिंगर टिम बेन्जको ने परफॉर्म किया | इस कंसर्ट पर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई | जर्मनी की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल हैले की ओर से ये कंसर्ट तीन अलग-अलग स्थिति में आयोजित किए गए, ताकि भीड़ में कोरोना संक्रमण के फैलने की थ्योरी पर कोई अध्ययन किया जा सके | कंसर्ट में एंट्री के वक्त पहले वॉलंटियर्स के तापमान की जांच की गई | इसके बाद दर्शकों -श्रोताओं की | अब 48 घंटे के बाद उनका कोरोना टेस्ट भी किया जा रहा है |

इस कंसर्ट के जरिये वैज्ञानिक ये पता लगााने की कोशिश कर रहे हैं कि भीड़ में कोरोना कैसे फैल सकता है | उनकी दलील है कि इससे पता चलेगा कि भविष्य में किसी बड़े इवेंट के दौरान कोरोना से बचाव की उचित तैयारी कैसे की जा सकेगी | कंसर्ट में शामिल होने वाले लोगों को मास्क भी पहनने को कहा गया था | उन्हें गर्दन में पहनने के लिए एक डिवाइस भी दी गई थी | चिप वाली इस डिवाइस के जरिए वैज्ञानिकों को हर 5 सेकंड में ये डाटा मिल रहा था कि इस व्यक्ति की लोकेशन कहाँ है ? वो स्टेडियम में कहां से किस रास्ते की ओर आ-जा रहा है | इस दौरान वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि स्टेडियम में दर्शक किन जगहों को लोग सबसे अधिक छूते हैं | इस कंसर्ट में सिर्फ 18 से 50 साल के लोगों को शामिल किया गया था |

भीड़ में संक्रमण के फैलाव को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने तीन तरह से कंसर्ट आयोजित किए थे | तीन अलग – अलग स्थितियों में पहली स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया था | यही नहीं दर्शकों के आने-जाने के लिए सिर्फ दो ही दरवाजे खोले गए थे | दूसरी स्थिति में लोगों की एंट्री के लिए आठ दरवाजे खोले गए | इस दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन तय करते हुए हर दूसरी सीट ब्लॉक कर दी गई |जबकि तीसरी स्थिति में 12 हजार क्षमता वाले स्टेडियम में काफी कम दर्शकों को बुलाया गया था | उन्हें एक – दूसरे से 5 फीट की दूरी पर बैठाया गया | वैज्ञानिकों ने इस पूरे आयोजन पर 8 करोड़ 74 लाख रुपये का खर्च किये | हालाँकि इसे जर्मनी की सरकार ने चुकाने का फैसला किया है | सरकार के मुताबिक वैज्ञानिक अपनी इस स्टडी का रिजल्ट 4 से 6 हफ्ते में जारी कर सकते हैं | इससे साफ़ हो जायेगा कि भीड़ भाड़ में कोरोना कितना घातक है |