बड़ा खुलासा : बुखार उतारने की दवाइयां खाकर कोरोना संक्रमितों ने एयरपोर्ट पर दिया जांच एजेंसियों को चकमा , अपने ही बन गए देश के दुश्मन , विदेशों से आने वाले कुछ भारतीयों की चालाकी से देश में फैला संक्रमण 

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दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना का संक्रमण भारत में हवा के जरिये नहीं आया | बल्कि संक्रमित भारतीयों और विदेशियों ने राज्य के विभिन्न इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दाखिल होकर जो चालाकी बरती उसने देशवासियों को संकट में डाल दिया | यह खुलासा हुआ है कि देशी विदेशी एयरपोर्ट पर थर्मल जांच से बचने के लिए कई यात्रियों ने बुखार उतारने वाली दवाईयों का सेवन किया था | इसके चलते उनके शरीर का ताममान सामान्य रहा और वे एयरपोर्ट में हुई थर्मल जांच से आसानी से गुजर गए | दवाई के प्रभाव से कुछ देर बुखार उतर गया | लेकिन फिर संक्रमण ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया | हालांकि इस चालाकी ने ऐसे यात्रियों के परिजनों और उनके संपर्क में आने वालों को भी संक्रमित कर दिया | 

कहते है कि डॉक्टर और वैद्य से कुछ नहीं छिपाना चाहिए, लेकिन कोरोना संक्रमितों ने इस कहावत का पालन नहीं किया और इसकी कीमत अब पूरे देश को चुकानी पड़ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अफसर ने भी माना कि कोरोना संक्रमितों ने देश को चकमा देकर सबकी मुसीबत बढ़ाई है। नार्थ दिल्ली मेडिकल कालेज के प्रो. डा. राम का भी कहना है कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी बढ़ोतरी के पीछे कुछ इसी तरह के कारण हैं। पूरे देश में कर्फ्यू जैसे बने हालात भी इसी का नतीजा हैं। उन्होंने बताया कि बुखार उतारने के लिए प्रयुक्त होने वाली दवाएं ज्यादातर यात्रियों ने खाई थी | इसलिए वो थर्मल जांच में बच निकले | उन्होंने कहा कि ऐसे यात्री सच बोल देते तो , देश में यह हालात नहीं बनते |  उनके मुताबिक कई मरीजों की जांच रिपोर्ट और पूछताछ में यह तथ्य सामने आया कि उन्होंने पैरासिटामॉल की गोली खाई और चकमा दिया था | 

पाकिस्तान समेत कई देशों ने चीन , जापान , इटली और स्पेन में फंसे अपने देश के नागरिकों की स्वदेश वापसी नहीं कराई | उन्हें उन्ही के हालत पर छोड़ दिया था | लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया | उसने पडोसी देशों के अलावा दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने का फैसला किया। इसके लिए नई दिल्ली ने एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर तैयार किया। विदेश मंत्रालय ने भी संबंधित देशों से संपर्क साधा और नागरिकों को निकालने के लिए व्यवस्था की गई। इसके साथ-साथ जनवरी, फरवरी में तमाम नागरिक अनेक देशों से खुद की पहल पर भारत आए। विदेशों से आने वाले अपने या विदेशी नागरिकों की जांच के लिए भारत ने देश के 21 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों समेत अन्य स्थानों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था शुरू की। इसके अंतर्गत तय किया गया कि जो भी कोरोना के संक्रमित मिलेंगे या संदेहास्पद मिलेंगे उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा और रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही छोड़े जाएंगे। लेकिन भारत आने वाले लोगों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। उन्होंने रास्ते में पैरासिटामॉल या इससे मिलती-जुलती दवाएं खा लीं। नतीजतन हवाई अड्डे की जांच में पास हो  गए। हवाई अड्डे से सीधे अपने घर या अपने इलाके में चले गए और जहां भी गए, लोगों को संक्रमित करते चले गए।

आईसीएमआर के डा. रमन गंगाखेड़कर हों या दिल्ली सरकार के डा. रहेजी, प्रो. डा. राम या फिर डा. अश्विन चौबे, सबकी सलाह एक ही है। सभी चिकित्सकों का कहना है कि देश के नागरिकों को जिम्मेदारी भरा व्यवहार करना चाहिए। वह मर्ज को छिपाकर न केवल खुद अपनी, बल्कि परिवार, आस-पड़ोस के लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं। लोगों को क्वारंटीन के लिए खुद आगे आना चाहिए। चिकित्सकों की सलाह का पालन करें और सहयोग दें। डा. राम और डा. अश्विन चौबे का कहना है कि लोगों के समझदार साथ देने के दम पर ही कोरोना जैसे संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। डा. अश्विन चौबे का कहना है कि जितने भी संभावित मामले आए हैं, उनमें सभी को कोरोना का संक्रमण नहीं है। तीन दर्जन के करीब लोग ठीक भी हुए हैं। यह सहयोग से ही हो सका है।
 

भारत में पिछले तीन महीने के भीतर का रिकार्ड काफी चौंकाने वाला है। पहले एक लाख संभावित संक्रमितों के मामले सामने आने में 45 दिन लग गए। लेकिन अगले एक लाख लोगों की संख्या महज 10 दिन में सामने आई। इसके बाद तीसरे चरण के अगले एक लाख लोगों की संख्या महज तीन दिन में सामने आ गई। आसार ऐसे बन रहे हैं कि हर 24 घंटे के अंतराल पर एक-एक लाख ऐसे लोग आ सकते हैं, जिनके कोरोना संक्रमित होने की संभावना के मद्देनजर उनको जांच प्रक्रिया से गुजारने की स्थिति बनने लगे।



माना जा रहा है कि इस तरह से बढ़ रही खतरनाक स्थिति को देखते हुए ही केंद्र सरकार और राज्यों की सरकार ने आपात स्थिति घोषित करने, जनता कर्फ्यू लगाने या आंशिक लॉकडाउन और फिर पूर्ण लॉकडाउन करने का फैसला ले लिया। माना जा रहा है कि 31 मार्च तक के संकेतों में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले समय में स्थिति भयावह हो सकती है। फ़िलहाल देश में कोरोना संक्रमित 11 मरीजों की मौत हुई है , जबकि 606 मरीजों का इलाज जारी है |