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पति-पत्नी का मिलन कराया कोरोना ने , जो काम परिजन, दोस्त, यार और अदालत नहीं करवा पाई उसे अंजाम तक पहुंचाया कोरोना ने , पढ़े इंसानी रिश्तों की अनोखी दास्तान  

भोपाल / आमतौर पर कोरोना ने ज्यादातर लोगों को दुःख दिया है , कुछ लोग ऐसे भी है , जिन्होंने इस महामारी को अवसर में बदलकर लाखों कमाए | लेकिन समाज में ऐसे भी लोग है जिन्हे कोरोना ने रचनात्मक दिशा दी है | संक्रमण काल में रिश्तों में आई खटास के मधुरता में मिलने का मामला भी सामने आया है | लगभग तीन सालों से अलग अलग रह रहे पति-पत्नी के बीच उस समय मधुर संबंधों का रचनात्मक रिश्ता जुड़ते हुए नजर आया जब उनकी बेटी को कोरोना ने अपनी चपेट में लिया | बेटी को तेज बुखार होने और कोरोना के अंदेशे के चलते पति-पत्नी दोनों की सांसे फूल गई | उन्होने फौरन अपने मतभेद भूलाकर अपनी बेटी को अस्पताल पहुंचाया | यहां इलाज के दौरान माता-पिता ने अपना फर्ज निभाते हुए अपने गीले शिकवे भी मिटा दिए | उन्होंने एक बार फिर अपने दांपत्य जीवन की नयी शुरुआत की | राहत भरी बात यह रही कि उनकी बेटी भी कोरोना से बच गई | उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी को कोरोना नहीं बल्कि नॉर्मल फ्लू है | मौसम परिवर्तन के चलते आम लोगों की तरह उनकी बेटी की भी तबियत खराब हुई है | ऐसे में कोरोना का खौफ इस दंपत्ति को आपस में सामंजस्य बैठाने के लिए करीब ले आया | रिश्तों की टूटी डोर को कोरोना ने देखते ही देखते फिर जोड़ दिया | मामला मध्यप्रदेश के भोपाल जिले बैरागढ़ का है |     

दरअसल यहां एक तीन साल की बेटी को तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम हुआ तो अलग रह रहे माता-पिता कोरोना संक्रमण के डर से घबरा गए और सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए। बैरागढ़ निवासी यह दंपती चार साल पहले विवाह बंधन में बंधे थे।

प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, शादी के कुछ दिन बाद से ही दोनों में छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगा था। पत्नी सास-ससुर को छोड़ पति के साथ अलग रहना चाहती थी। इसी को लेकर मनमुटाव इतना बढ़ा कि तीन साल पहले बेटी के जन्म के कुछ दिन बाद ही दोनों अलग हो गए थे। व्यापारी पति मध्य प्रदेश के भोपाल में तो पत्नी मायके गुजरात के अहमदाबाद में रहने लगी।

पति ने एक साल पहले पत्नी को वापस बुलाने के लिए कुटुंब न्यायालय में केस भी दाखिल किया था, जिसकी काउंसिलिंग चल रही थी। केस के सिलसिले में पत्नी बेटी के साथ 15 दिन पहले भोपाल पहुंची। इसी दौरान बेटी की तबीयत बिगड़ गई। यह बात पति को पता चली तो उसे बेटी के कोरोना संक्रमित हो जाने का डर सताने लगा। वह बिना देर किए पत्नी और बेटी को अलग घर लेकर रखने के लिए तैयार हो गया।

दोनों ने बेटी की खातिर एक साथ रहने का फैसला किया। बेटी का इलाज करवाया और वह स्वस्थ हो गई। उसे कोरोना भी नहीं था। काउंसिलिंग में पति को काउंसलर ने सलाह दी थी कि पत्नी ससुराल में रहना नहीं चाहती है तो उसे एक अलग घर लेकर रखना चाहिए। उसे बेटा होने के साथ-साथ पति होने का भी फर्ज निभाना चाहिए। पति ने इकलौता बेटा होने का हवाला देकर पत्नी को अलग रखने की बात से इनकार कर दिया था।

ससुराल वालों पर प्रताडि़त करने का आरोप काउंसिलिंग में पत्नी ने शिकायत की थी कि ससुराल वाले उसे प्रताडि़त करते हैं। इसी वजह से वह ससुराल वालों से अलग रहना चाहती है, लेकिन पति अलग रहने को तैयार नहीं था और विवाद की बड़ी वजह यही थी। दोनों घरों का ख्याल रखने का वादा काउंसिलिंग में पति ने कहा कि वह दोनों घरों का ख्याल रखेगा। उसके माता-पिता भी इस फैसले से खुश हैं।पति का कहना है कि जब पत्नी का मेरे घरवालों के साथ रहने का मन करेगा, तब वह मेरे माता-पिता के साथ रह सकती है। 

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