छत्तीसगढ़ की जेलो में धर्मांतरण जोरो पर, अब जय यीशु से गूंज रहे हैं कई बैरक, नए चर्च भी स्थापित…

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रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में कैदियों का भी धर्म परिर्वतन चर्चा में है। राज्य की कई जेलों में अब सुबह-सुबह राम राम नही बल्कि जय यीशु के साथ बंदियों का अभिवादन होने लगा है। जेल के भीतर धर्म प्रचार और जय यीशु का नारा बुलंद करने वालों के लिए जेलों के भीतर खुले स्थानों में गिरिजाघर भी बनाए जा रहे हैं। रायपुर और बिलासपुर के सेंट्रल जेल में तो राम- शिव और हनुमान मंदिर के बाजू से ही गिरिजाघर बनाकर चमचमाता हुआ प्रार्थनास्थल निर्मित किया गया है। यहां धर्म बदलने वाले कैदी सुबह-शाम से ही नतमस्तक होकर, मंदिरों को हेय की दृष्टि से देखते हैं। इन दोनों ही सेन्ट्रल जेल में DIG जेल श्री तिग्गा के मार्गदर्शन में नए चर्च निर्मित किए गए हैं। यहां ऐसे बंदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिनकी जुबान से अब जय श्रीराम के बजाए जय यीशु का स्वर निकलता है।

सूत्र बताते हैं कि कभी कैदियों और बंदियों की रिहाई का मामला तो कभी जमानत में हो रही अड़चन को लेकर सभी कष्टो से मुक्ति दिलाने का हवाला देकर कैदियों को उनके मूलधर्म को त्यागने का लालच दिया जा रहा है। खुले स्थानों के अलावा बैरकों के भीतर भी जीवन में खुशहाली लाने का सपना दिखाकर बंदियों का लंबे समय से ब्रेनवाश किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद प्रदेश के लगभग सभी जेलों में धर्मांतरण का खेल जोरों पर है। रायपुर सेन्ट्रल जेल में तो बड़ी गोल के चक्कर कार्यालय के सामने स्थित क़रीब 40 साल पुराने कांक्रीट से निर्मित कमल फूल के फव्वारे को नष्ट कर दिया गया है।हालाकि अब राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद बंदियों के धर्म परिर्वतन पर विराम लगने की संभावना जताई जा रही है।

नई सरकार के गठन के बाद रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर, और जगदलपुर सेंट्रल जेल की फिजा अब बदली हुई है। यहां कैदियों और बंदियों के बीच चर्चा आम है कि मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में धर्मांतरण पर रोक लगेगी, खासतौर पर प्रलोभन देकर मूल धर्म त्यागने की घटनाओं पर राज्य सरकार संज्ञान लेगी?अभी तक इन मामलों को नजरंदाज किया जा रहा था।दरअसल पिछले 5 सालों में सैकड़ों कैदियों ने अपना धर्म परिर्वतन कर लिया है। यही नही वे अपने परिजनों को भी हिंदू धर्म त्यागने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसी गंभीर घटनाओं पर सरकार को जल्द ठोस कदम उठाने होंगे।

राज्य में खुले सार्वजनिक स्थानों पर ही नही बल्कि अब जेलों में भी बंदियों के धर्मांतरण की कवायत चल रही है।इस चार दीवारी के भीतर बेरोक टोक जारी धर्मांतरण के इस खेल में जेल प्रशासन का मौन साध लेना गौरतलब है। ऐसी कार्यप्रणाली से उसकी भी मिलीभगत का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है।सेंट्रल जेल में तो बंदियों के खुलेआम धर्मांतरण से आम कैदी और उनका परिवार भी हैरत में है। यही हाल जिला और उप जिलों का भी बताया जाता है।

सूत्र बताते कि धर्मांतरण के इस खेल में जेल मैनुअल की भी खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। बताते है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जिन बंदियों ने अपना मूलधर्म को त्याग कर क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था,अब वे धर्म प्रमुख बनकर दूसरे बंदियों को उनका धर्म त्यागने की कवायतों में जुटे हुए हैं। इन्हें इस कार्य के लिए शायद खुली छूट प्रदान की गई है।लिहाजा बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद भी यह खेल पहले की तर्ज पर जारी रहेगा? या फिर इस पर पाबंदी लगेगी, इस ओर कैदियों की निगाहें लगी हुई हैं।

छत्तीसगढ़ में 5 केंद्रीय जेल,12 जिला जेल और 16 उपजेलों में क्षमता से ज्यादा बंदी है। इनमें कैदियों और हवालातियों की संख्या लगभग बराबर आकी जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार जेल में जिन पुरूष बंदियों ने अपना धर्मान्तरण किया है, उन्होंने अपने नए जाति प्रमाण पत्र जारी करवाने के मामले में चुप्पी साध रखी है। सूत्र बताते हैं कि जेल में धर्मांतरण और नया धर्म अपनाने के मामले का खुलासा होने के अंदेशे के चलते इस मामले को काफी सुनियोजित और गोपनीय ढंग से अंजाम दिया जा रहा है।

सूत्र बताते हैं कि रायपुर के सेन्ट्रल जेल में किशन कुमार पिता दशरथ, उमाशंकर पिता राजेंद्र, विष्णु पिता मिलीकरण,केदार पिता सुखदेव और इमरान पिता अवध लाल जैसे कई कैदी हैं जो अपना धर्म परिर्वतन कर चुके हैं। जबकि बिलासपुर सेन्ट्रल जेल में मंगलू देवार पिता लोंदा देवार, रोहित दास पिता सोमदास मानिकपुरी, शिवकुमार कोसले पिता जगदीश प्रसाद कोसले, कृष्ण सूर्यवंशी पिता मोहित राम सूर्या, युगलकिशोर खांडे पिता वेदप्रकाश खांडे समेत आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कई कैदी धर्मान्तरण कर चुके हैं। ऐसे बंदियों की संख्या में मौजूदा शासनकाल में भी बढ़ोतरी आंकी जा रही है।

छत्तीसगढ़ की जेलों में मूलभूत सुविधाओं का टोटा होने से बंदियों की हालत पस्त है। वही दूसरी ओर कानूनी दांवपेचों और विभिन्न अदालतों में लंबित जमानत और रिहाई के प्रकरणों से कई बंदी लंबे समय से दो चार हो रहे है। अदालतों में नए -पुराने मामलों के बढ़ते बोझ का खामियाजा भी इन बंदियों को भुगतना पड़ रहा है। यह भी तथ्य सामने आया है कि कई बंदियों की रिहाई के मामले लंबे समय से अटके हुए होने के कारण वे तनाव में है, ऐसे बंदी तेजी से मानसिक रोगों का शिकार भी बन रहे है। यही नहीं सजा यापता मुजरिमों की मायूसी भी उन्हें धर्म परिर्वतन के लिए विवश कर रही है। यहां इन्हें उज्ज्वल जीवन की ओर ले जाने की प्रेरणा देने वाला भी कोई पथ-प्रदर्शक नही है। उल्टा प्रताड़ना और घूसखोरी से कैदियों की जिंदगी आफत में है।

लिहाजा सुनहरे कल की ओर बढ़ने का रास्ता उन्हे नजर नहीं आ रहा है, इससे कई बंदी घन घोर निराशा की ओर रुख कर रहे है।बताते है कि अपने भविष्य को लेकर चिंतित कैदियों को धर्मांतरण के खेल में प्रलोभन देकर शामिल कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक जेलों में प्रत्येक रविवार को बैरकों और खुले स्थलों में धर्म सभाएं आयोजित की जा रही है। इस आयोजित होने वाली विशेष प्रार्थना सभाओं में जीवन में कष्टों के निवारण के हुनर और चमत्कार बताए जा रहे है। सब कुछ प्रभु यीशु ही हल कर सकता है, समस्याओं को सुलझाने का कार्य प्रभु यीशु ही करेंगे, इसका विश्वास दिलाया जा रहा है। सभाओं में तनावग्रस्त बंदियों का ब्रेनवाश भी किया जा रहा है।

बंदियों को समझाया जा रहा है कि उनकी कैद, सजा और कष्टप्रद जीवन के लिए उनके कर्म नहीं बल्कि उनका धर्म ही जिम्मेदार है। उनके मूलधर्म के चलते ही उन्हें कारावास की सजा भोगनी पड़ रही है। बताया जाता है कि कई बंदियों ने अपना मूलधर्म त्याग कर क्रिश्चियन धर्म अपना लिया है। ऐसे कई बंदी अब अपने परिजनों को भी हिंदू धर्म त्याग कर यीशु मसीह की शरण में जाने के लिए कभी सहज प्रोत्साहित तो कभी दबावपूर्वक जोर दे रहे है। छत्तीसगढ़ की जेलों में धर्मांतरण का खेल इतने सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है कि बाहरी संपर्कों को इसकी भनक तक नहीं लग पाती। फिलहाल देखना होगा कि राज्य में धर्म परिर्वतन के मामले में विष्णुदेव साय सरकार क्या कदम उठाती है?