गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी पर विवाद: तृणमूल ने बताया बंगाल का अपमान , जानें कैसे होता हैझांकियों का सेलेक्शन?

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वेब डेस्क नई दिल्ली /

नया साल आते ही गणतंत्र दिवस के जश्न की तैयारियां शुरू हो गई हैं | 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर सालाना परेड होगी, जिसमें भारतीय सेना का दम दुनिया देखेगी | इस परेड में भारत की सैन्य शक्ति के अलावा संस्कृति को भी दिखाया जाता है, जिसमें राज्यों और मंत्रालयों की झांकियां दिखती हैं | लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकी इस परेड में नहीं दिखेगी, जिसपर राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है | 

दोनों राज्यों में इस वक्त गैर-बीजेपी पार्टियों की सरकार है, जिसके कारण बदले की भावना का आरोप लग रहा है | बता दें कि गणतंत्र दिवस की परेड की पूरी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय के पास होती है | जो इसकी तैयारियां, सुरक्षा, परेड, झांकी आदि की व्यवस्था को देखते हैं | चूंकि, इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि देश के राष्ट्रपति होते हैं जो कि तीनों सेनाओं के प्रमुख भी हैं इसलिए सारी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय अपने पास रखता है | 

इससे पहले भी साल 2018 में बंगाल की झांकी को परेड में शामिल नहीं किया गया था। इस साल परेड समारोह के लिए कुल 56 झांकियों के प्रस्ताव आए थे, जिनमें से 22 को चुना गया है। बता दें कि ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।

मंत्रालय के मुताबिक, बंगाल की झांकी को पहले परेड की प्रक्रिया के हिसाब से चुना गया था। 2020 में होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में कुल 56 झांकियों के प्रस्ताव आए थे। इन झांकियों के चुनाव के लिए विशेषज्ञ समिति में पांच दौर की बैठक की।

मंत्रालय को राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से झांकियों के 32 और केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से 24 प्रस्ताव मिले थे। जिसके बाद मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पांच बैठकों के बाद उनमें से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 16 और मंत्रालयों/विभागों के छह प्रस्ताव अंतिम रूप से गणतंत्र दिवस परेड 2020 के लिए चुने गया है।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। झांकियों का चयन एक विशेष समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्यकला से संबंधित लोग शामिल होते हैं। यह समिति प्रस्तावों पर विचार कर अपनी सिफारिशों को रक्षा मंत्रालय को सौंपती है। समय की बाध्यता को देखते हुए सीमित संख्या में ही झांकियों का चयन होता है

जो भी प्रस्ताव राज्यों या मंत्रालयों की तरफ से आते हैं, उनके आधार पर एक एक्सपर्ट कमेटी कई दौर की बैठक के बाद उनका चयन करती है. इस कमेटी में कल्चर, पेंटिंग, संगीत, कृषि, कोरियोग्राफी, कला समेत अन्य क्षेत्रों के एक्सपर्ट शामिल होते हैं, जो कई एंगल से प्रपोजल का रिव्यू करते हैं

गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल की झांकी के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने को लेकर गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला बोला। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य में प्रदर्शन के परिणामस्वरूप यह निर्णय लिया गया। उसने इसे राज्य और यहां की जनता का अपमान बताया।

पश्चिम बंगाल में संसदीय मामलों के मंत्री तापस रॉय ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने राज्य के प्रति बदले की भावना पाल रखी है। उन्होंने कहा कि चूंकि पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध कर रही है इसलिए उसके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।

इन आरोपों के जवाब में पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि झांकी का प्रस्ताव इसलिए खारिज हुआ क्योंकि राज्य सरकार ने प्रस्ताव पेश करने में नियमों एवं प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को हर मुद्दे पर राजनीति करना बंद करना चाहिए।