रायपुर: स्कूलों की सालाना फीस से कई पालकों और अभिभावकों का दम निकल रहा है, पढ़ाई के पीछे घर के बिगड़ते आर्थिक हालातों से प्रदेश में ज्यादातर परिवार पीड़ित है। अब उन्हें राहत की उम्मीद नजर आ रही है, बर्शते की इस आदेश का पालन कड़ाई से किया जा सके। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की पहल पर उस आदेश को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत स्कूल संचालकों की मनमानी पर रोक लग सकेगी।
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अब वे स्कूल फीस की आड़ में मोटी रकम नहीं वसूल पाएंगे। दरअसल पखवाड़े भर पहले कई पीड़ित पालकों ने रायपुर कलेक्टर से निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर रोक लगाने की अपील की थी। कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने मामले की गंभीरता से सरकार को अवगत कराया था। प्रदेश के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था, किसी पेशेवर उद्योग – धंधे का रूप ले चुकी है। बच्चों की पढ़ाई – लिखाई का खर्च टेढ़ी खीर हो गया है।
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हाल ही में न्यूज़ टुडे नेटवर्क ने मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की ओर शासन – प्रशासन का ध्यान दिलाया था। जबलपुर में स्कूल संचालकों ने लगभग 200 करोड़ से ज्यादा की रकम उन अभिभावकों को लौटाई थी, जो फीस के अलावा अन्य फिजूल खर्चों से जुड़ी हुई थी। इस तरह के अवैध वसूली के मामलों की रोकथाम के लिए कानून में कई प्रावधान किये गए है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया है, बावजूद इसके प्राइवेट स्कूलों की फीस आसमान छू रही है।
न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मुद्दे को जोर – शोर से उठाया था। आखिरकार, राज्य सरकार स्कूलों की बढ़ती फीस के मामलों से रूबरू हुई और फौरी आदेश जारी कर आम नागरिकों के लिए शिक्षा सुलभ कराने की पहल में जुट गई है. छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से त्रस्त पालकों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें सालाना फीस से परेशान नहीं रहना पड़ेगा हैं। प्राइवेट स्कूलों के द्वारा कई तरीकों से बच्चों से मनमानी फीस वसूली जाती है। इसको लेकर पहले भी कई आदेश दिए जा चुके हैं, लेकिन शिक्षा माफिया सरकार पर हावी रहे है। लेकिन अब इस पर रोक लग सकेगी। मनमानी फीस वसूली की शिकायतों के आने के बाद अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्ती दिखाई है।
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बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्राइवेट स्कूलों को लेकर सख्त आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत फीस वसूली में मनमानी नहीं चल सकेगी। प्राइवेट स्कूलों को अब 4 X 8 फीट के बोर्ड में तय फीस की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। इसे स्कुल की वेबसाइट पर भी जारी करना होगा। प्राइवेट स्कूल छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार ही फीस तय कर सकेंगे। यही नहीं स्कूलों में तय की गई फीस की सूची का ब्योरा आयोग को देना होगा।
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स्कूल संचालक तय मानक के अनुसार ही फीस की बढ़ोतरी कर सकेंगे। आयोग ने सभी कलेक्टरों और जिला फीस समितियों को यह आदेश जारी कर सख्ती के साथ नियमों के पालन के निर्देश दिए है। आयोग ने पत्र में लिखा है कि तय की गई कक्षावार फीस में प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से छूट देने और अन्य नाम से फीस लेने का अधिकार नहीं होगा। एडमिशन या बच्चों के शाला ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में भी छात्रों और पालकों से मनमाने फीस वसूली न की जाए, प्रशासन को इसका भी ध्यान रखना होगा।
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बाल संरक्षण आयोग की ओर से जारी किए गये पत्र में यह भी लिखा है कि स्कूल फीस के अलावा कई आयोजन एवं अन्य नाम से अतिरिक्त कैपिटेशन फीस पालकों से वसूली जा रही है। यह गैरकानूनी है, RTE अधिनियम की धारा 13 में इसके उल्लंघन पर 10 गुना जुर्माने के साथ इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। फीस विनियमन अधिनियम की धारा 12 में विद्यालय की प्रबंधन समिति के सदस्यों पर भी इसके उल्लंघन पर चार गुना जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
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आयोग का कहना है कि स्कूलों के दौरे और शिकायतों से यह भी संज्ञान में आया है कि छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूलों में फीस विनियमन कानून के अनुसार स्कूलों में विद्यालय फीस समिति में जागरूक और निष्पक्ष अभिभावकों को शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा आय- व्यय से संबंधित जानकारी सार्वजनिक नहीं करने से पालक फीस को लेकर अनभिज्ञ है, जिला फीस समिति की नियमित बैठक नहीं करने की वजह से प्रथम बार की उपयुक्त फीस का निर्धारण भी नहीं हो पाया है। आयोग के मुताबिक इस आदेश से छत्तीसगढ़ में अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का अब छात्र व पालकगण भी प्राइवेट स्कूलों की फीस की सूची ऑनलाइन देख सकेंगे, इससे स्कूल संचालकों की मनमानी पर रोक लग सकेगी।