रायपुर / छत्तीसगढ़ में आयकर-ईडी के छापों की गूंज रायपुर से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे रही है | इस मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों ने सवाल भी दागे है | यही नहीं छापों की गिरफ्त में आये कारोबारियों और अन्य लोगों को ईडी-आयकर ने नोटिस जारी कर दिल्ली तलब किया है | CBDT ने छत्तीसगढ़ में आयकर-ईडी की छापेमारी में मिली नकदी और प्राथमिक संपत्तियों का खुलासा कर डेढ़ सौ करोड़ का आंकड़ा जारी किया है | हालांकि CBDT ने अपने प्रेस नोट में इसके कई गुना बढ़ोत्तरी के आसार जाहिर किये है | इस बीच छापेमारी के शिकार कुछ कारोबारियों को ईडी-आयकर ने पूछताछ के लिए दिल्ली तलब किया है | छत्तीसगढ़ में आयकर-ईडी के अचानक छापो , उसकी पृष्टभूमि और कारणों की विवेचना भी शुरू हो गई है | राजनीति से लेकर प्रशासनिक गलियारों में इस कार्रवाई को आश्चर्य की निगाहों से देखा जा रहा ही |
न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ को आयकर-ईडी की दबिश की नींव रखने वाले “तीरंदाजों” की खबर मिली है | सूत्रों के मुताबिक ठेकेदारों के आपसी वैमनस्य और प्रतियोगी कारोबारियों को सबक सिखाने के लिए शराब ठेकेदारों के दो गुटों ने आपस में हाथ मिलाया | यह समूह आने वाले चार सालों के लिए आबकारी विभाग में अपना एकाधिकार कायम करना चाहता था | दरअसल राज्य में अधिकृत रूप से सालाना लगभग 4500-5000 करोड़ के राजस्व पूर्ति सिर्फ शराब से होती है | जबकि अनधिकृत रूप से सालाना सात हजार करोड़ से ज्यादा की शराब की खपत होती है | कई ठेकेदार इसकी आपूर्ति हरियाणा , महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से अवैध रूप से करते है |
सूत्रों के मुताबिक अपने कारोबार और आमदनी को बढ़ाने के लिए दो ठेकेदारों ने दिल्ली में सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं के कई चक्कर काटे और उन्हें राज्य में शराब के खेल का फार्मूला बताया | इसलिए उसने आबकारी विभाग में चल रहे “लेनदेन” का पूरा ब्यौरा लेकर केंद्रीय राजनीति के धुरंदर नेताओं से संपर्क साधा | इस ब्यौरे में मुख्यमंत्री सचिवालय के करीबी अफसरों से लेकर शराब ठेकदार अमोलक सिंह भाटिया समूह और उनके विश्वासपात्रों के यहां रैकी कर पूरी सूचना संबंधित अधिकारियों को सौंपी गई थी |
यह गौरतबल है कि आबकारी विभाग में शराब की आपूर्ति और प्लेसमेंट एजेंसी संचालित करने वाले कई ठेकेदारों को छोड़कर सिर्फ अमोलक सिंह भाटिया , आबकारी OSD एपी त्रिपाठी , मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया , CSIDC के एमडी अनिल टुटेजा , पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड , कारोबारी अनवर ढेबर , गुरुचरण सिंह होरा और स्काई वेंचर के ठिकानों पर दबिश दी गई | हालांकि यह दबिश उन अन्य ठिकानों पर भी दी गई , जो इन अफसरों , कारोबारियों , ठेकेदारों के करीबियों में से एक थे | सवाल उठ रहा है कि जब शराब के “हमाम” में कई बड़े ठेकेदार हर हर गंगे कर रहे है , तो सिर्फ अमोलक सिंह भाटिया के ठिकाने पर ही क्यों दबिश दी गई ?
आबकारी विभाग में शराब की आपूर्ति और प्लेसमेंट का कार्य कई ठेकेदार कर रहे है | लेकिन किसी अन्य बड़े ठेकेदार के यहां नहीं बल्कि आयकर-ईडी की टीम ने सिर्फ अमोलक सिंह भाटिया के यहां डेरा डाला | सूत्र बता रहे है कि बाहर से आई आयकर-ईडी की टीम रायपुर , दुर्ग , भिलाई और बिलासपुर से अंजान थी | ना तो उसे अमोलक सिंह भाटिया के ठिकानों का पता था और ना ही सरकारी अफसरों का चेहरा मोहरा और उनके बारे में कोई पुख्ता जानकारी | सूत्र बता रहे है कि छापामारी वाले दिन “अल सुबह” एक प्रभावशील शराब ठेकेदार के आधा दर्जन से ज्यादा गुर्गों ने छापामार दल को तमाम ठिकाने दिखाए |
जानकारी के मुताबिक रायपुर के कटोरा तालाब स्थित अमोलक सिंह भाटिया के दफ्तर में दबिश देने पहुंची टीम उनके दफ्तर से कही आगे निकल गई थी | यह टीम फिर वापस लौटी | जानकारों के मुताबिक “भेदिया” के वाहन के पीछे दौड़ रही छापामार दल की गाड़ी और भेदिये की गाड़ी का संपर्क टूटने के चलते यह स्थिति बनी थी | जानकारों के मुताबिक ठेकेदारों के एक समूह ने अमोलक सिंह भाटिया समूह को बाजार से बाहर करने की साजिश रची थी | लेकिन उनकी इस मुहीम में सरकारी अफसरों और उनके करीबियों को शामिल कर बड़ी छापामार कार्रवाई छेड़ दी गई |
बताया जाता है कि छापामार कार्रवाई इतनी सुनियोजित थी कि इसकी खबर किसी को कानोकान नहीं हुई | जानकारी के मुताबिक रायपुर के आयकर अमले के ज्यादातर अफसरों को अन्य कार्रवाई में हिस्सा लेने भोपाल भेजा गया था | उनके रायपुर से बाहर जाते ही दिल्ली मुंबई और नागपुर के अफसरों की टीम ने रायपुर , दुर्ग, भिलाई और बिलासपुर में धावा बोल दिया |
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में शराब के कारोबार में अमोलक सिंह भाटिया ग्रुप की भागीदारी लगभग 30 से 35 फीसदी , केडिया ग्रुप लगभग 35 से 40 फीसदी और पप्पू भाटिया ग्रुप लगभग 20 से 25 फीसदी लिक्कर की आपूर्ति कर रहे है | बियर के कारोबार में लगभग 70 फीसदी हिस्सेदारी पप्पू भाटिया ग्रुप की बताई जाती है | जबकि शेष लगभग 30 फीसदी में सभी ब्रांडेड बियर के कारोबारियों का हिस्सा है | पुख्ता जानकारी के मुताबिक केडिया ग्रुप से जुड़े व्यवसायिक भागीदार शराब की आपूर्ति के अलावा आबकारी विभाग में ए टू जेड नामक प्लेसमेंट एजेंसी का भी संचालन कर रहे है | यह एजेंसी सरकारी शराब दुकानों में सेल्स मेन के साथ साथ अन्य मेन पावर उपलब्ध कराती है |