नई दिल्ली / सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की जेल से रिहाई की कोशिशों पर पानी फेर दिया है | 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनका केस उस वक्त सुनवाई के लिए लिया जा सकता है, जब कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू होगी। सज्जन कुमार ने बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर मार्च महीने में ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत की मांग की थी |
कांग्रेस नेता की उस मांग को भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया , जिसमे उन्होंने उन्हें अस्पताल में रखे जाने की प्रार्थना की थी | कोर्ट ने कहा कि ‘सज्जन कुमार की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय उनके अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उन्हें अस्पताल में नहीं बल्कि जेल में ही रहना चाहिए।’
प्रधान न्यायधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “माफ कीजिए। हम इच्छुक नहीं हैं। खारिज।” कुमार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने दलील दी कि कुमार को स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि वह 20 महीनों से जेल में हैं और उनका वजन करीब 16 किलो कम हो गया है। उन्हें पहले से हुए कई रोगों का भी इलाज कराने की जरूरत है।
उधर अदालत में दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूलका ने इस याचिका का विरोध किया था | उन्होंने कहा कि सज्जन कुमार को जिस उपचार की जरूरत है वह जेल अस्पताल में उन्हें दिया जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 17 दिसंबर 2018 को मामले में सज्जन कुमार और अन्य को दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद से सज्जन कुमार आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
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उच्च न्यायालय ने एक-दो नवंबर 1984 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में पालम कॉलोनी के राज नगर पार्ट-1 इलाके में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारा जलाने के मामले में निचली अदालत द्वारा 2013 में कुमार को बरी किए जाने के फैसले को पलट दिया था।
गौरतलब है कि 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के दौरान देशभर में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़की थी। इसके बाद दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पूर्व कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद रह चुके सज्जन कुमार को कोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।