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केंद्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस अब भी देख रही स्कोप, 35 साल पहले शुरू हुआ जोड़ – तोड़ का मैनेजमेंट, अब भी कारगर, सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी नहीं बना पाई थी सरकार, नए दौर में मोदी युग…..

दिल्ली: दिल्ली की सिहासन के लिए कांग्रेस अभी भी नज़रे गढ़ाए बैठी है। पार्टी के कई नेता मौका मिलते ही चौका जड़ने की तैयारी में है। इसके लिए दिल्ली दरबार में उनका जुटना शुरू हो गया है। उधर बिहार के कई नेताओं ने अचानक बीजेपी मुख्यालय का रुख किया है। आज दोपहर तक नितीश कुमार, जूनियर पासवान और तेजस्वी यादव दिल्ली में लंच पॉलिटिक्स के लिए पहुंच रहे है।

तीनों ही नई सरकार में अपनी भूमिका दर्ज कराने की जी तोड़ कोशिश में है। लालू पुत्र तेजस्वी राहुल गाँधी के स्थान पर विपक्ष के नेता का पद हथियाने में जुटे है। वही नितीश कुमार भी उप प्रधानमंत्री से नीचे कोई पद लेने के मूड में नजर नहीं आ रहे है। राजनैतिक गलियारों से खबर आ रही है कि कांग्रेस ने भी सरकार बनाने के तमाम विकल्पों पर मंथन शुरू कर दिया है।

लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद केंद्र में बीजेपी सरकार के गठन की नीव रख दी गई है। इस बीच कांग्रेस को भी सरकार बनाने के न्यौते का इंतजार है। बीजेपी के अपेक्षित परिणाम नहीं आने से पूरा देश चौंक गया है। चुनावी नतीजों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई है और उसने 240 सीटों पर जीत दर्ज की है.

हालांकि, एनडीएन ने 292 सीटों पर जीत दर्ज की है और एनडीए की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस पूरे जोश में नजर आ रही है और चर्चा है कि क्या बीजेपी की सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी क्या इंडिया गठबंधन की सरकार बन सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह पहला मौका नहीं होगा, जब लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी को ही सत्ता से दूर रहना पड़ा.

कांग्रेस बनी है दूसरी सबसे बड़ी पार्टी
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसने 99 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, इंडिया गठबंधन ने कुल 234 सीटों पर कब्जा किया है, लेकिन बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उसे अब भी 38 सीटों की जरूरत है. वहीं, एनडीए गठबंधन ने 292 सीटों पर जीत दर्ज की है और उसके पास सरकार बनाने का आंकड़ा है.

सबसे ज्यादा सीट, फिर भी कांग्रेस नहीं बना पाई थी सरकार
सबसे ज्यादा सीट होने के बाद भी साल 1989 में कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी. 1984 में बंपर जीत के बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 200 से ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ और पार्टी सिर्फ 197 सीटें ही जीत पाई. वहीं, जनता दल को 143, भाजपा को 85 और वाम दलों को 45 सीटें मिली थीं. हालांकि, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन इसके बावजूद सरकार नहीं बना पाई. दरअसल, सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता दिया, लेकिन राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

उस समय उन्होंने कहा कि जनादेश उनके खिलाफ आया है, इसलिए सरकार नहीं बना सकते हैं. इसके बाद जनता दल ने सरकार बनाने के दावा पेश किया और भाजपा, वाम दल और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके बाद वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बने, लेकिन ये सरकार सिर्फ 11 महीने ही चल पाई. दरअसल, मंडल कमीशन की सिफारिश लागू होने पर भारतीय जनता पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे वीपी सिंह की सरकार गिर गई.

1996 में भी हुआ था कुछ ऐसा ही किस्सा
साल 1996 के चुनाव के बाद भी ऐसा ही हुआ, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई. उस चुनाव में बीजेपी ने 161 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 140 सीटों पर कब्जा किया था. सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ली. लेकिन, उनकी सरकार महज 13 दिनों में गिर गई, क्यों बीजेपी संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाई.

इसके बाद जनता दल ने संयुक्त मोर्चा गठबंधन के साथ सरकार बनाई और एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. जबकि, उस चुनाव में जनता दल सिर्फ 46 सीटें ही जीत पाई थी. हालांकि, यह सरकार भी ज्यादा लंबी नहीं चली और एक साल में ही गिर गई. इसके बाद इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद ही उनकी सरकार भी गिर गई और 1998 में मध्यावधि चुनाव हो गए.

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