लॉकडाउन में रियायत कोरोना की जीती हुई लड़ाई को हार में बदल सकने में सहायक साबित हो सकती हैं, ट्रक समेत अन्य वाहनों के अवैध सफर को कौन रोकेगा, बढ़ा जोखिम

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दिल्ली / रायपुर – लॉकडाउन – 3 में आज 4 मई से शुरू हुई रियायत कही लोगों का जीवन जोखिम में ना डाल दे | मजदूर अपने घरों की ओर रुख कर रहे है, कारखाने खुल रहे है, इसके अलावा अन्य व्यापारिक गतिविधिया पहले की तरह शुरू हो रही है | सिर्फ अंतर इतना है कि समय की कटौती हुई है | स्टाफ में कटौती के फरमान को कारोबारी कितना अमल में लाते है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो पायेगा | फ़िलहाल देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 40 हज़ार पार कर गया है |अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि यदि इसी तरह संक्रमण बढ़ते रहा तो लॉक डाउन खोलना भारी पड़ सकता है | जानकारों की निगाहें 50 हज़ार के आंकड़े पर है | उन्हें लग रहा है कि इस आकड़े को छूंते ही देश में हालत बिगड़ सकते है | ऐसे में दोबारा लॉक डाउन भी मददगार साबित नहीं होगा | 

देश के विभिन्न राज्यों के ग्रीन व ऑरेंज जोन में ट्रकों और अन्य वाहनों की सामान्य आवाजाही शुरू हो रही है। नेशनल परमिट वाले करीब पांच लाख ट्रक सड़कों पर निकलेंगे। इसके अलावा राज्य सरकार के अधिकृत वाहन भी सामान्य आवाजाही में शामिल होंगे | जानकारों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि ये ट्रक कोरोना वायरस संक्रमण का बड़ा जरिया बन सकते हैं।

उनके मुताबिक ये ट्रक कोरोना की जीती हुई लड़ाई को हार में भी बदल सकते हैं। हर राज्य में दूसरे प्रदेशों के मजदूरों की भारी तादाद अपने मूल 

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घर पहुंचने के लिए तैयार बैठी है। ये मजदूर इन वाहनों में यात्रा का हर संभव प्रयास करेंगे। लॉकडाउन 3.0 में जब बड़ी संख्या में ट्रक चलेंगे तो उनमें मजदूर भी कहीं न कहीं बैठे मिल सकते हैं। पहले यह कहा जा रहा था कि 4 मई से 30-40 लाख ट्रक चल सकते हैं |  

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतरण सिंह अटवाल का कहना है कि दोनों लॉकडाउन में बड़ी संख्या में ऐसे ट्रक पुलिस ने पकड़े हैं, जो गैरकानूनी तरीके से मजदूरों को ले जा रहे थे। हमने अपने सभी ट्रक ड्राइवरों से कहा है कि वे लॉकडाउन 3.0 में ऐसी हरकत न करें।

हालांकि ड्राइवर पैसे के लालच में आकर ये गलती करेंगे, हमें मालूम है। उनका यह भी कहना है कि ऐसी स्थिति में विभिन्न राज्यों की पुलिस को ही कुछ करना होगा। पुलिस को हर ट्रक की तलाशी लेनी चाहिए। उनके मुताबिक मजदूरों के पास चिकित्सा जांच का कोई दस्तावेज नहीं होता | इसके चलते यह पता लगाना कठिन है कि वे संक्रमित है या नहीं | अटवाल बताते है कि लॉकडाउन के दोनों चरणों में अनेक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ट्रक या दूसरे कमर्शियल वाहनों में मजदूर एक जगह से दूसरे शहर में जाते हुए पकड़े गए हैं। 

उनके मुताबिक खतरा इस बात का है कि न तो ट्रक डाइवर जानता है कि इनमें से किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस का कोई संक्रमण है और न ही मजदूरों को मालूम होता कि वे इस महामारी से बचे हैं या संक्रमण का शिकार हो गए हैं। ये मजदूर ड्राइवर या क्लीनर को थोड़े बहुत पैसे देकर ट्रक में बैठ जाते हैं।

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ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारी कहते हैं कि कोरोना की इस लड़ाई में सरकार ने ट्रक चालकों की तरफ ध्यान नहीं दिया है। चालक, क्लीनर और माल चढ़ाने-उतारने वालों का तो बीमा भी नहीं है। बहुत से मजदूर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें डर लगता है कि संक्रमित हो जाएंगे।

ट्रक डाइवर जब कहीं से माल भरकर चलता है, तो उसे यह बता दिया जाता है कि वह माल उतरवाने के लिए मजदूरों का इंतजाम भी कर ले। इस वजह से भी ट्रक चालक बीच में मजदूरों को बैठा लेते हैं। ऐसे में उन्हें कुछ पैसे भी मिल जाते हैं और सामान भी उतर जाता है। जानकर यह भी बताते है कि लॉक डाउन की रियायत का पालन कितना हो रहा है, इसका जायजा लेने के लिए सरकार के पास पर्याप्त बल नहीं है | यही नहीं नियमों का पालन ज्यादातर लोग पुलिस के डंडे और क़ानूनी कार्रवाई को देखकर कर रहे है | ऐसे में लॉक डाउन में रियायत सरकार के गले की फ़ांस न बन जाये |