रायपुर: छत्तीसगढ़ में वन विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार और अनिमियतता को लेकर एक याचिका बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर की गई है। इसमें कैंपा फंड के दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति और बिगड़े वनों के सुधार को लेकर बरती गई अनियमिता की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है। याचिका कर्ता विजय मिश्रा के मुताबिक भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भी शिकायत कर फॉरेस्ट चीफ की कार्यप्रणाली से अवगत कराया गया है।
यही नहीं प्रवर्तन निदेशालय (ED) को लगभग 1800 पन्नों का दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध करा कर याचिकाकर्ता ने एक शिकायत भी की है। इसमें सरकारी तिजोरी में हाथ साफ करने से जुड़े कई तथ्यों से एजेंसियों को अवगत कराया गया है। उधर राज्य की साय सरकार ने फॉरेस्ट चीफ के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को लेकर चुप्पी साध ली है। मुख्य सचिव कार्यालय को भी फॉरेस्ट चीफ की कार्यप्रणाली से अवगत कराने के बाद किसी भी तरह की कार्यवाही ना होने पर याचिकाकर्ता ने अब अदालत की शरण ली है। फॉरेस्ट चीफ उस समय सुर्ख़ियों में आये थे, जब 9 योग्य अधिकारियों को नजरअंदाज कर तत्कालीन भूपे सरकार ने उन्हें विभागीय प्रमुख बनाया था।
वन विभाग की खेल-कूद प्रतियोगिताओं में फिजूल खर्ची कर 10 करोड़ से ज्यादा की सरकारी रकम आयोजन के नाम पर फूंकने के मामले को लेकर भी फॉरेस्ट चीफ श्रीनिवास राव सुर्ख़ियों में रहे है। बताया जाता है कि विभागीय खेलकूद प्रतियोगिता में शामिल अतिथियों की मौज-मस्ती के लिए बड़े पैमाने पर सरकार रकम खर्च की गई थी। इस दौरान रायपुर के तमाम सितारा-गैर सितारा होटलों में प्रतियोगियों और आमंत्रित अतिथियों की मेहमाननवाजी में महँगी शराब और शबाब उपलब्ध कराए जाने के मामले ने काफी तूल भी पकड़ा था।
बहरहाल, फॉरेस्ट चीफ को कांग्रेस के बाद बीजेपी सरकार में भी प्राप्त राजनैतिक संरक्षण चर्चा में है। जानकारों के मुताबिक साय सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर फॉरेस्ट प्रमुख भारी पड़े है। नेताओं के लिए कमाऊपूत के नाम से जाने-पहचाने जाने वाले फॉरेस्ट चीफ के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही को लेकर साय सरकार की चुप्पी आने वाले दिनों क्या रंग दिखाती है, यह देखना गौरतलब होगा।