छत्तीसगढ़ के DGP शेख आरिफ को वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने एक शिकायती पत्र भेजा है। इस पत्र में उन पुलिस अधिकारियो के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने का निवेदन किया गया है ,जिन्होंने कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया का कवरेज करने से पूर्व उन्हें बंधक बना लिया था। यह घटना अदालत परिसर और कलेक्टर परिसर में उस वक्त हुई थी जब दिनांक 06/12 /2022 सौम्या को अदालत में पेश किया गया था।
रायपुर : सरकारी तिजोरी में हाथ साफ़ करने और करोडो के भ्रष्टाचार की की मुख्य आरोपी सौम्या चौरसिया की रिमांड अवधि ख़त्म होने पर उसे ED की टीम ने अदालत में पेश किया था। इस दौरान उसका मीडिया कवरेज कर रहे सभी मीडिया कर्मियों को रायपुर पुलिस और उसके अधिकारियो ने ज़रा भी परेशान नहीं किया ,लेकिन न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ के संपादक सुनील नामदेव को ना केवल घटना का वीडियो कवरेज करने से रोक दिया गया बल्कि पुलिस कर्मियों और अधिकारियो ने उन्हें गैर कानूनी रूप से बंधक बना लिया था। यही हालत वीडियो जर्नलिस्ट साजिद हाशमी की थी।
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दरअसल,सूत्र बताते है कि किसी भी पत्रकार या अन्य शख्स को अंदर-बाहर,उठक़ने-पटकने और ठिकाने लगाने की जवाबदारी IPS आरिफ शेख के कंधो पर है,जबकि DGP अशोक जुनेजा अन्य प्रशासनिक कार्यभार सभालते है। इसी कड़ी में रायपुर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का असल प्रभार ASP माहेश्वरी के हाथो में है। जबकि IPS प्रशांत अग्रवाल जिले का शेष प्रशासनिक प्रभार देखते है। प्रदेश में कई वरिष्ठ अधिकारियों का हाल-बेहाल है। लिहाजा PHQ के मौजूदा हालात को देखते हुए “रबर स्टेम्प” अफसरों के बजाए असल और असरकारक अफसर को पत्र लिखना मुनासिब समझा गया है।
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पुष्ट जानकारी के मुताबिक सौम्या चौरसिया को सुरक्षित अदालत तक पहुंचाने के लिए रायपुर पुलिस ने एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया था। आरोपी को पहले कलेक्टर परिसर लाया गया। इसके बाद भीतरी मार्ग से जिला अदालत ले जाया गया था। इस मार्ग पर मीडिया कवरेज के लिए पत्रकार नामदेव व हाशमी मौजूद थे। जैसे ही कुख्यात आरोपी सौम्या को ED की टीम लेकर पहुंची,वैसे ही रायपुर पुलिस के CSP बेहार और ASP पटेल समेत कई अफसर और पुलिस कर्मियों ने दोनों पत्रकारों को बंधक बना लिया था।
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वो उस समय तक इन्हे घेरे रहे जब तक की सौम्या चौरसिया सुरक्षित रुप से कोर्ट रूम तक दाखिल नहीं हो गई। इन पुलिस अफसरों ने फर्जी प्रकरण दर्ज करने की धमकी देते हुए,जमकर दबाव बनाया। उन्हें तब तक घेरे रखा गया,जब तक की दोनों पत्रकारों ने मौके से वापस लौटने की हामी नहीं भरी।
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गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया था कि,पत्रकारों को उनका कार्य करने से नहीं रोका जाना चाहिए। लेकिन रायपुर पुलिस के अफसरों ने गैरकानूनी ढंग से दोनों ही पत्रकारों को संवैधानिक संस्था के परिसर में ही बंधक बना लिया। इस घटना को सैकड़ो लोगो ने देखा। घटना के वक्त परिसर में कई वकील आम नागरिक और मीडिया कर्मी मौजूद थे। लोगो को हैरान करने वाला यह नजारा दिखाई दिया। जबकि पुलिस अधिकारियों को अन्य मीडिया कर्मियों के कवरेज से कोई आपत्ति नहीं थी। वे बे रोक टोक अपना कार्य कर रहे थे।
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वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने घटना का वीडियो फुटेज भी DGP के संज्ञान में लाया है। उन्होंने email कर अपनी शिकायत से SSP रायपुर और DGP को अवगत कराया है।
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सूत्र बताते है कि सौम्या चौरसिया गिरोह में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अफसर भी शामिल है। ये अफसर गैरकानूनी कार्यो को बहुत तेज़ी से अंजाम देते है। IT -ED समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों की जाँच प्रभावित करने को लेकर ऐसे अफसरों का नाम सुर्खियों में है। ऐसे अफसरों की कार्यप्रणाली की सुध लेने के लिए वरिष्ठ पत्रकरो के अलावा RTI कार्यकर्ताओ और समाजसेवियों ने केंद्र सरकार से भी आग्रह किया है।