मध्यप्रदेश के सागर में छत्तीसगढ़ के जेल अधिकारियों की करोड़ों की बेनामी संपत्ति , ED और इनकम टेक्स में शिकायत 

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सागर / मध्यप्रदेश में केंद्रीय जेल भोपाल और ग्वालियर के अधीक्षक रह चुके पुरषोत्तम सोमकुंवर की अनुपातहीन संपत्ति को इनकम टेक्स ने अटैच कर लिया है | बेनामी संपत्ति और काली कमाई के मामले में जेल की हवा खा चुके तत्कालीन जेल अधीक्षक पुरषोत्तम सोमकुंवर की तर्ज पर छत्तीसगढ़ के जेल अधिकारियों की बेनामी संपत्ति का मामला अब तूल पकड़ रहा है | EOW और इनकम टेक्स अन्य जांच एजेंसियो ने पुरषोत्तम सोमकुंवर की 65 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का खुलासा किया था | इसके साथ ही राज्य के तत्कालीन डीआईजी जेल उमेश गांधी की भी  करोड़ों की संपत्ति भी सामने आई थी | उमेश गांधी को भी अनुपातहीन संपत्ति के मामले में पुरषोत्तम सोमकुंवर की तर्ज पर जेल की हवा खानी पड़ी थी | हालांकि अदालत से मिली जमानत और जेल से हुई रिहाई के बाद उमेश गांधी ने आत्महत्या कर ली थी | अनुपातहीन संपत्ति के इन मामलो की अभी छानबीन जारी ही थी कि छत्तीसगढ़ के कुछ जेल अफसरों की भी बेनामी संपत्ति सामने आई है | सागर के कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं ने ED और इनकम टेक्स को भेजी गई शिकायत में छत्तीसगढ़ के जेल अधिकारियों की काली कमाई और अनुपातहीन संपत्ति का ब्यौरा दिया है | 

आयकर विभाग की बेनामी यूनिट ने जेल अधीक्षक रहे रहे पुरुषोत्तम सोमकुंवर की 30 बहुमूल्य प्रापर्टी ‘अटैच” की है। इन संपत्तियों की मार्केट में मौजूदा कीमत करीब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है। इन संपत्तियों का भुगतान सोमकुंवर ने जेल ठेकेदार भारद्वाज के खातों से कराया था। पंजीयन रजिस्ट्रार और जिला प्रशासन को आयकर ने पत्र और सोमकुंवर को नोटिस भेजा है। पंजीयन रजिस्ट्रार और जिला प्रशासन के अधिकारियों को भेजे पत्र में आयकर विभाग ने भोपाल के पास फंदा में सोमकुंवर की 50 एकड़ जमीन सहित सभी अचल संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई है। जेल अधीक्षक रहे और शासकीय सेवा से बर्खास्त हुए सोमकुंवर के पास मिली गैर आनुपातिक संपत्तियों की लंबी लिस्ट है।

सोमकुंवर ने सबसे ज्यादा निवेश खेती की जमीन में किया था | जिन प्रॉपर्टी को अटैच किया गया उनमें भोपाल के पास खामखेड़ा में 40 एकड़ और इसके आसपास 12 एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 60 करोड़ बताई जा रही है. इसके अलावा अलेक्जर ग्रीन जेल रोड पर दो प्लॉट हैं, जिनकी कीमत 68 लाख बताई जा रही है | साथ ही 3 प्लॉट्स पारस विला होशंगाबाद रोड पर हैं, जिसकी कीमत 3.30 करोड़ बताई जा रही है | सोमकुंवर का एक प्लॉट चुना भट्टी में है, जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ पर बताई जा रही है | म्यूचल फंड में 50 लाख रुपए का निवेश है | 2012 में लोकायुक्त की टीम ने पुरुषोत्तम सोमकुंवर पर छापामार कार्रवाई कर करोड़ों रुपए की गैर अनुपातिक संपत्ति का खुलासा किया था | इस मामले में सोमकुवर को जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि कुछ समय तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गई। फिलहाल सोम कुमार जमानत पर बाहर हैं | 

बताया जाता है कि पूर्व जेल अधीक्षक केंद्रीय जेल भोपाल पुरषोत्तम सोमकुंवर पर कसे क़ानूनी शिकंजे के दौरान पता पड़ा कि कई जेलों में पदस्थ जेलर प्रतिमाह लाखों का वारा-न्यारा कर रहे है | ऐसे जेल अधिकारियों की बेनामी संपत्ति की शिकायत जब EOW को मिली तो एक टीम का गठन कर उन शिकायतों की जांच कराई गई थी | जांच में शिकायतें और बेनामी संपत्ति की  जानकारी सही पाई गई | इसके बाद EOW ने पुरषोत्तम सोमकुंवर और तत्कालीन डीआईजी जेल उमेश गांधी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की थी | सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के सागर में बड़े पैमाने पर खरीदी गई बेनामी सम्पत्तियों के क्रेता के रूप में छत्तीसगढ़ में पदस्थ कुछ वरिष्ठ जेल अधिकारियों का नाम सामने आया है |   

जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के सागर संभाग मुख्यालय समेत विभिन्न जिलों में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ जेल अधिकारियों की करोड़ों की बेनामी संपत्ति का पता चला है | बताया जाता है कि जेल अधिकारीयों ने अपने करीबी नाते रिश्तेदारों और ससुराल पक्ष के लोगों के नाम से करोड़ों की बेनामी संपत्ति खरीदी है | यह संपत्ति पिछले सात सालों में खरीदी गई है | इसमें खेत , बंजर जमीने , रिहायशी प्लॉट और मकान शामिल है | जानकारी के मुताबिक सागर समेत उसके आसपास के इलाकों में खरीदी गई यह संपत्ति नगद भुगतान के जरिये ली गई | क्रेता-विक्रेता ने जमीनों की खरीदी बिक्री में कुछ रकम चेक से तो बड़ी रकम का भुगतान नगदी में किया है | जानकारी के मुताबिक जेलों में सामानों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों के जरिये भी काली कमाई को ठिकाने लगाया गया है | सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि जल्द ही मध्यप्रदेश के अफसर इस बेनामी संपत्ति का ब्यौरा छत्तीसगढ़ के अफसरों को भेजने के लिए विचार कर रहे है | ताकि सागर में खपाई जा रही काली कमाई की जानकारी छत्तीसगढ़ शासन के संज्ञान में लाई जा सके |