छत्तीसगढ़ में कलेक्टर रानू साहू की भ्रष्टाचार की माया, एक ही दिन में ब्लैकमनी से करोडो की रजिस्ट्री पे रजिस्ट्री, सरकार को भी लगा लाखो का चूना, अफसरों और नेताओं की आकूत दौलत की जाँच को लेकर पशोपेश में ED, देखे दस्तावेज

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन और खनन घोटाले की जाँच में जुटी ED की टीम प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार को लेकर पशोपेश में है। सूत्र बताते है कि राज्य में पिछले लगभग ढाई सालो में कुछ शीर्ष नेताओं और अफसरों की संपत्ति 5 हजार करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा छू सकती है। बताया जा रहा है कि प्रदेश के रजिस्ट्री दफ्तरों और कलेक्टर कार्यालय में लेंड रिकॉर्ड को लेकर जाँच एजेंसियों को दो – चार होना पड़ रहा है। बताते है कि कई संदिग्ध खरीदी – बिक्री का रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने से बड़े पैमाने पर खरीदी गई बेनामी संपत्ति की जाँच में रोड़ा अटक रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि ED ने अभी तक अपनी जाँच में सौम्या चौरसिया और सूर्यकान्त तिवारी समेत अन्य आरोपियों की नाम मात्र 152 करोड़ की संपत्ति जप्त की है। 

ED ने पहले अंदेशा जाहिर किया था कि यह संपत्ति लगभग 500 करोड़ की हो सकती है। सूत्र दावा कर रहे है कि अब तक की जाँच में ED को 5 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का सुराग हाथ लगा है। बताते है कि यह नामी – बेनामी सम्पत्ति छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशो में भी फैली हुई है। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरो में कई शीर्ष नेताओं और उनके करीबी अफसरों के करीबियों की करोडो की सम्पत्ति की जाँच में काफी चौकाने वाले निवेश के प्रमाण एजेंसियों को हासिल हुए है। बताते है कि टैक्स के दायरे से बचने और लो प्रोफाइल तरीके से करोडो की नगदी विभिन्न कारोबार में खपाई गई। इसमें कुछ एक राजनैतिक दलों के नेताओं के समर्थको के नाम पर खरीदी गई सम्पत्ति का ब्यौरे की पड़ताल जारी है। 

बताया जाता है कि रजिस्ट्री दफ्तरों में नामांतरण अपडेट नहीं होने, सामान्य रजिस्ट्री का पंजीयन भी आधा – अधूरा होने, नेताओं के समर्थको के नाम पर अचानक चल – अचल सम्पत्ति के मामले काफी गंभीर बताये जाते है। बताते है कि सौम्या चौरसिया से पूछताछ के बाद कई महत्वपूर्ण सम्पतियों की खरीदी – बिक्री और निवेश के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के चलते ED की कार्यवाही अटकती नजर आ रही है।

सूत्र बताते है कि जाँच अधिकारी उन खास प्रकरणों को लेकर पशोपेश में है। सूत्रों का दावा है कि ED को प्राप्त अब तक की कई शिकायतों की तस्दीक ये बेनामी और अघोषित सम्पतियाँ कर रही है। लेकिन रायपुर में स्टाफ की कमी और राज्य सरकार के कई जिम्मेदार अफसरों के असहयोगात्मक रवैये के चलते उसकी जाँच अंजाम तक पहुंचाने में अधिकारियो को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। 

सूत्रों का यह भी दावा है कि आरोपी सौम्या चौरसिया का चालान पेश होने से पूर्व ED के कई गवाहों पर बाहरी तत्वों द्वारा दबाव भी बनाया जा रहा है। बताते है कि इस बारे में कोरबा की एक कम्पनी RKTC ने ED को अपनी शिकायत से रूबरू कराया है। बताया जाता है कि इस कम्पनी द्वारा सौम्या चौरसिया और सूर्यकान्त तिवारी गिरोह को 25 रूपए टन की दर से लेव्ही दी जाती थी।

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ED की कार्यवाही में इस कम्पनी द्वारा हक़ीक़त से जाँच अधिकारियो को रूबरू कराये जाने के बाद RKTC पर ED को दिए गए बयान से मुकरने के लिए दबाव बनाये जाने की एक मामले की शिकायत चर्चा में है। बताते है कि कम्पनी की ओर से ED को दिए गए बयान को वापस लेने के लिए कई पैतरे आजमाए जा रहे है। इस कड़ी में रायपुर में किसी रवि पटनायक की गिरफ़्तारी का मामला भी सुर्खियों में है।

बताते है कि AT नामक किसी प्रभावशील शख्स के करीबी रवि से ED पूछताछ में जुटी थी। इससे पहले की उस पर शिकंजा कस पाता पटनायक पर बचाव पक्ष ने झपट्टा मार दिया। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों ने भी इस प्रकरण में अपनी निगाहें गड़ाए रखी है। इस बीच रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू के भ्रष्टाचार से जुड़ा एक मामला काफी सुर्खियां बटोर रहा है। बताते है कि IAS रानू साहू ने अभनपुर से गुजरने वाले और प्रस्तावित नेशनल हाईवे के खास इलाके में करोडो की जमीन खरीदी थी। यह जमीन रानू साहू समेत उसके माता – पिता, भाई – बहन और परिवार के लगभग 8 सदस्यों के नाम पर खरीदी गई थी।

डाऊनलोड कर देखें  रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू और उसके परिजनों के नाम खरीदी गई सम्पत्ति के दस्तावेज :

बताते है कि जिस दिनांक को रानू साहू ने ब्लैकमनी के जरिये यह जमीन खरीदी उसी वक्त उसका सरकारी भाव सवा 2 लाख रूपए प्रति डिसमिल से नीचे गिरा कर मात्र 14 हजार रूपए प्रति डिसमिल के लगभग कर दिया गया। इसके चलते सरकारी राजस्व में लगभग 10 लाख से ज्यादा की चपत लगी। बताते है कि बड़े पैमाने पर स्टाम्प ड्यूटी की चोरी आईएएस अधिकारी रानू साहू के निर्देश पर हुई। 

यह भी बताया जाता है कि रानू साहू द्वारा यह जमीन जिस दिन खरीदी गई थी, उसी दिन एक अन्य व्यक्ति द्वारा भी उसी जमीन के एक हिस्से की रजिस्ट्री कराई गई थी। लेकिन उस व्यक्ति को सरकार द्वारा तय गाइडलाइन के तहत सवा 2 लाख रूपए प्रति डिसमिल की दर से स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया गया। बताते है कि रानू साहू द्वारा अपनी खास सहयोगी माया के जरिये बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी खपाई गई थी।

इस मामले में भी संदेह जाहिर किया जा रहा है कि करोडो की इस जमीन के 8 हिस्से सिर्फ नेशनल हाईवे से मिलने वाले मुआवजे को गैरकानूनी रूप से हड़पने के लिए नगद भुगतान के जरिये जमीनों की खरीद फरोख्त की गई। बताया जाता है कि रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू की तर्ज पर अखिल भारतीय सेवाओं के कई अफसरों की यहाँ – वहां बेसकीमती जमीने भी जाँच के दायरे में है। यह देखना गौरतलब होगा कि सरकारी मशीनरी जामकर बेनामी सम्पतियो के मामलो की जाँच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ED को सीबीआई का सहारा कब मिलता है।