दिल्ली : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर मोहन मरकाम को लेकर एक गुट विशेष को जोरदार धक्के की खबर है। कांग्रेस मुख्यालय से लेकर कई वरिष्ठ नेताओ के बंगले में नजर आ रहे, छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेताओ की घर वापसी सुनिश्चित हो गई है। बताते है कि हफ्ते भर तक जनधन और पसीना बहाने के बाद बगावत में उतारू टोली बैरंग लौट गई है।
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सूत्र बताते है कि दो नेताओ को राहुल गाँधी ने साफ कर दिया है कि मोहन मरकाम को भविष्य में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, फ़िलहाल ‘सरकार’ को सहयोग कीजिए। बताते है कि अपनी बात कह कर राहुल आगे बढ़ लिए थे। बताते है कि छत्तीसगढ़ में नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर हफ्ते भर से जारी विवाद पर अब विराम लग गया है।
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छत्तीसगढ़ में हालिया संपन्न हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री बघेल और मोहन मरकाम के बीच तनातनी में आई तेजी से राज्य में सत्ता और संगठन के बीच गतिरोध देखा जा रहा है। बताते है कि मुख्यमंत्री की एक शिकायत के बाद मरकाम के करीबी अमरजीत चावला को पार्टी ने तलब भी किया था।
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बताते है कि इस दौरान संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी देख रहे चावला ने खुद बा खुद राष्ट्रीय अधिवेशन से दूरियां बना ली थी। यह मामला फ़िलहाल ठंडे बस्ते में बताया जाता है, जबकि मरकाम को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की मुहीम लम्बे समय से जारी रही।
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सूत्र बताते है कि मोहन मरकाम और उनके विरोधी गुट को आपस में तालमेल बैठाने के निर्देश दिए गए है। बताते है कि चुनाव की बेला के पूर्व, बेदाग छबि के पार्टी अध्यक्ष को बगैर किसी ठोस आरोप के बदले जाने से खड़गे ने साफ इंकार कर दिया है। बताते है कि खड़गे ने दोनों ही पक्षों को तालमेल के साथ चुनावी कार्य में जुट जाने का फरमान जारी किया है।
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बताते है कि मरकाम को बदले जाने को लेकर भी खड़गे ने खरी-खरी कही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक ‘ बेदाग छवि और भ्रष्ट चेहरे ‘ में कुछ तो फर्क होता है, जुमले से छत्तीसगढ़ के विवाद की सही दिशा तय कर दी गई है। इस नेता के मुताबिक आने वाले दिनों प्रदेश की राजनीति में इसके परिणाम भी सामने आ सकते है।
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न्यूज़ टुडे ने मोहन मरकाम विवाद को लेकर प्रियंका गाँधी के सचिव संदीप सिंह और छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा से भी संपर्क किया था। लेकिन वे भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम विवाद से अपना किनारा करते नजर आए।
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सूत्र बताते है कि पार्टी आलाकमान ने राज्य के ऐसे नेताओ को कड़ी हिदायत दी है, जो वरिष्ठ आदिवासी नेता मोहन मरकाम को हटाए जाने की गुहार लगा रहे है। बताते है कि 2023 में कांग्रेस की सरकार बनाने का संकल्प दे कर मरकाम के विरोधियो को दिल्ली दरबार से चलता किया जा रहा है।
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सूत्र बताते है कि बघेल और मरकाम के बीच विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब मुख्यमंत्री पद को लेकर ढाई-ढाई साल का फार्मूला उफान पर था। इस दौरान कई विधायक बघेल की दावेदारी मजबूत करने के लिए दिल्ली दौड़ रहे थे। सूत्र बताते है कि बघेल समर्थक विधायकों की दिल्ली से लेकर रायपुर तक तीमारदारी का बीड़ा कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी ने उठाया था।
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बताते है कि इस दौरान विधायकों की आवाजाही वाले विशेष विमान में कई कोयला माफिया भी सवार थे। इस दौरान मंत्री टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री पद विवाद में आलाकमान के निर्देश पर बतौर अध्यक्ष मरकाम ने ऐसे विधायकों की दिल्ली दौड़ पर पाबन्दी लगाई थी, जो पार्टी के भीतरी मामलों को सार्वजनिक कर रहे थे। बताते है कि इस पाबन्दी की घटना के बाद से दोनों ही नेताओ के बीच ठन गई है।