दिल्ली वेब डेस्क / चीन की नींद उडी हुई है | दरअसल कई बड़ी कंपनियों ने चीन से कारोबार समेट कर भारत का रुख करना शुरू कर दिया है | इसी के साथ ही सरकार ने मोबाइल फोन उत्पादन में भारत को दुनिया का शीर्ष देश बनाने के लक्ष्य के साथ 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से तीन नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है | लेकिन जानकारों की मानें तो इतने प्रयास से मोबाइल हैंडसेट में चीनी प्रभुत्व को खत्म करना और दुनिया की टॉप मोबाइल कंपनियों को देश में अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना आसान नहीं होगा |
भारत में मोबाइल क्रांति का आगाज करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह ऐलान किया है कि मेक इन इंडिया किसी दूसरे देश को पीछे छोड़ने के लिए नहीं बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है | मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उसके कलपुर्जों के उत्पादन को गति देने के उद्देश्य से ये योजनाएं शुरू की गईं हैं |
प्रसाद ने दावा किया कि इन तीनों योजनाओं से अगले पांच साल में करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है | इसके साथ ही आठ लाख करोड़ रुपये के मैन्युफैक्चरिंगऔर 5.8 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है | उन्होंने कहा कि 40995 करोड़ रुपये की प्रोडक्ट लिंक्ड इन्सेंटिव योजना का लक्ष्य मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ाना है |
उन्होंने बताया कि भारत में वैश्विक मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं को भी आकर्षित करना चाहता है और मोबाइल हैंडसेट के लिए ग्लोबल मैन्युफक्चरिंग हब बनना चाहता है | आंकड़ों के मुताबिक, देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कारोबार साल 2014-15 में 2.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 24.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया |यानी इस दौरान इसमें 70 फीसदी की सालाना बढ़त हुई है |
रविशंकर प्रसाद को उम्मीद है कि दुनिया में मोबाइल मार्केट के 80 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने वाली पांच बड़ी कंपनियां जल्द ही भारत आएगी | उन्होंने बताया कि मोबाइल बाजार में सिर्फ 5-6 कंपनियों को कब्जा है और इसलिए भारत इन 5 टॉप ग्लोबल प्लेयर्स को यहां आकर्षित करने का इरादा रखता है | इसके अलावा पांच भारतीय कंपनियों को भी प्रमोट करने की योजना है |
भारत में अभी 80 फीसदी स्मार्टफोन उत्पादक पूरी तरह से चीन से आयातित किट मंगाकर यहां उसकी एसेंबलिंग करते हैं | मोबाइल कारोबार में कुछ कंपनियां खुद हैंडसेट बनाती हैं तो कुछ अपना डिजाइनिंग कर किसी और कंपनी से सेट बनवाती हैं | दिग्गज कंपनी ऐपल भी दूसरी कंपनियों विस्ट्रॉन, फॉक्सकॉन और पेगाट्रन से हैंडसेट बनवाती है | ऐपल के ये डिवाइस मैन्युफक्चरर वैसे तो ताइवान के हैं, लेकिन ये भी सस्ती लागत की वजह से अपना मैन्युफैक्चरिंग कार्य चीन के कारखानों से करते हैं | इसी तरह ओप्पो, शायोमी, विवो जैसी कंपनियां चीन की विंगटेक, लांगचीयर जैसी दूसरी कंपनियों से अपने हैंडसेट बनवाती हैं |
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बताया जाता है कि चीन में इन कंपनियों को भारी सरकारी सहायता मिलती है, इसकी वजह से निर्माण लागत काफी कम हो जाती है | दुनिया में कोरोना संक्रमण को फ़ैलाने को लेकर चीन विश्व के कई देशों के राडार पर है | अमेरिका समेत कई देशों के राय है कि भारत और उसका बाजार इन कंपनियों के लिए अनुकूल साबित हो सकता है | हालांकि भारत का रुख करने वाली कंपनियों को अनुकूल आद्योगिक वातावरण उपलब्ध कराना होगा |