मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों की कैबिनेट में एंट्री के बावजूद मुश्किल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, शेष चार मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर बीजेपी विधायकों का दबाव, दिल्ली से लेकर भोपाल तक विधायकों की लामबंदी से सरकार का बढ़ा सिरदर्द

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रिपोर्टर – मनोज सागर

भोपाल / मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुसीबत ख़त्म होने के बजाये और बढ़ गई है। उन्हंे उम्मीद थी कि कैबिनेट विस्तार से सिंधियाँ समर्थकों को मौका मिलने से वे राहत की सांस लेंगे। लेकिन हुआ उल्टा। मंत्री मंडल विस्तार के बाद बीजेपी के कई विधायक अपनी उपेक्षा से नाराज हो गए। इन विधायकों को उम्मीद थी कि कैबिनेट विस्तार में उन्हें भी मौका मिलेगा। लेकिन सिर्फ दो पूर्व मंत्रियों को दोबारा कुर्सी सौंपे जाने से बीजेपी विधायकों में नाराजगी देखी जा रही है। उनकी दलील है कि कांग्रेस से बीजेपी में आये विधायकों को मुख्यमंत्री मौका दे रहे है। लेकिन जो विधायक सालों से बीजेपी का दामन थामे हुए है उन्हें मंत्री मंडल से बाहर रखा जा रहा है। दरअसल राज्य में उपचुनाव के ख़त्म होने के करीब 53 दिनों के बाद रविवार को शिवराज कैबिनेट का तीसरा विस्तार हो गया है।

सिंधियाँ समर्थक विधायकों का पार्टी में दबदबा देखा जा रहा है। इससे बीजेपी विधायकों का सिर दर्द शुरू हो गया है। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की मंत्रिमंडल में एंट्री तो मिल गई, लेकिन बीजेपी के विधायक इस विस्तार के बाद खुद को ठगा महसूस करने लगे। उनके मुताबिक कैबिनेट में अभी भी चार मंत्री पद खाली हैं। लेकिन उन्हें भरने के लिए शिवराज सिंह ने कोई रूचि नहीं दिखाई। विस्तार से पूर्व बीजेपी के कुछ वरिष्ठ विधायक भी मंत्री बनने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर दबाव बनाए हुए थे, लेकिन इस विस्तार में उन्हें जगह नहीं मिल सकी है। नतीजतन उनकी नाराजगी बढ़ गई है।

चौथी बार सीएम बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पहली बार जब कैबिनेट का विस्तार किया था, तब 5 मंत्रियों ने शपथ ली थी | इसमें गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट शामिल थे, लेकिन 6 महीने के अंदर चुनाव नहीं हुए तो दोनों नेताओं को इस्तीफा देना पड़ा। विधानसभा की 28 सीटों पर नवंबर में हुए उपचुनाव सिंधिया समर्थक नेताओं ने चुनाव लड़ा | इसमें सिंधिया खेमे को तीन मंत्री इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंषाना चुनाव हार गए, जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था | इस तरह 5 मंत्री पद खाली हो गए थे और एक मंत्री पद पहले से ही खाली था. इस तरह से कुल शिवराज कैबिनेट में कुल 6 मंत्री पद खाली थे, लेकिन रविवार को महज दो ही विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है |

तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के शपथ के बाद 4 पद अभी भी खाली हैं | बीजेपी के कई पुराने लोग इन पदों पर दावेदार माने जा रहे थे | इनमें राजेंद्र शुक्ल, गिरीश गौतम, केदारनाथ शुक्ला, गौरीशंकर, बिसेन, संजय पाठक, अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल, सीतासरण शर्मा, रामपाल सिंह, मालिनी गौड़, रमेश मेंदोला और हरिशंकर खटीक थे, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मंत्री रह चुके थे | सिंधिया समर्थकों के चलते इस बार इन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है | शिवराज कैबिनेट में फिलहाल 11 सिंधिया समर्थक विधायक मंत्री हैं |

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में चार पद खाली पड़े हैं |इनमें से भी करीब दो मंत्री पद सिंधिया अपने करीबी विधायकों को और दिलवाना चाहते हैं जबकि इन चारों पदों पर बीजेपी अपने वरिष्ठ नेताओं को मौका देना चाहती है। सिंधिया गुट की ओर से दावा इसलिए किया जा रहा है कि क्योंकि फिलहाल जो चार पद खाली हैं, उनमें से तीन मंत्री पद सिंधिया खेमे के मंत्रियों के हार जाने की वजह से हुई है। दरअसल, पिछले साल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था | इसी के चलते कमलनाथ सरकार सत्ता से हाथ धो बैठी थी।

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