दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई ने टकसाल में होलोग्राम छापने के प्रकरण को अपनी मंजूरी दे दी है। राज्य में शराब की बोतलों पर लगने वाले स्टीकर अथवा होलोग्राम को टकसाल में छापने का यह पहला मौका है। भारत सरकार की देख-रेख में होलोग्राम प्रिंट करने का कार्य होगा। माना जा रहा है कि राज्य में परंपरागत शराब घोटाले की नीव इसी नकली होलोग्राम पर रखी जाती थी।
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दिल्ली समेत कई महानगरों में होलोग्राम प्रिंट करने वाले कारोबारी शराब ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों के साथ मिली भगत कर खुले बाजार से नकली होलोग्राम छपवा लिया करते थे। इसके बाद सरकारी और गैर-सरकारी ठिकानों से बगैर ड्यूटी पैड माल देश-प्रदेश में खपा दिया जाता था। इससे जहाँ छत्तीसगढ़ शासन को बड़ी राजस्व हानि उठानी पड़ती थी, वही शराब माफियाओं को मोटा आर्थिक लाभ होता था।
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इस पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में पहली बार घोटाले के केंद्र बिंदुओं का ही सफाया शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भारत सरकार से मंजूरी प्राप्त कर सरकारी टकसालों को नई जिम्मेदारी सौंप दी है। दरअसल अभी तक टकसालों में नोट और स्टाम्प पेपरों की छपाई होती थी। छत्तीसगढ़ में शराब की बोतलो पर अब नकली स्टीकर नहीं लगेंगे। बल्कि भारत सरकार की टकसाल में छपे होलोग्राम ग्राहकों को ड्यूटी पैड माल की गारंटी देंगे।
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राज्य सरकार की इस पहल के बाद इसकी प्रिंटिंग को लेकर प्राइवेट एजेंसी को मुहैया कराये जाने वाले इस कदम पर रोक लग जाएगी। केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को प्रिंटिंग की अनुमति प्रदान कर दी है। जानकारी के मुताबिक होलोग्राम प्रिंटिंग का काम नासिक रोड में स्थित भारत सरकार के उपक्रम भारत प्रतिभूति मुद्रणालय में होगा। यही से छत्तीसगढ़ सरकार को होलोग्राम की आपूर्ति होगी।
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प्रदेश में वर्षों तक होलोग्राम की प्रिंटिंग आबकारी विभाग से जुड़े ठेकेदारों और कतिपय अधिकारियों के लिए करोड़ो की अवैध आमदनी का श्रोत बन गया था। राज्य में 2200 करोड़ का शराब घोटाला सामने आया है। इसकी छपाई विभाग द्वारा कराई गई थी। लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने असली और नकली दो प्रकार के होलोग्राम प्रिंट कर हर माह करोड़ो का घोटाला किया था। इस सिलसिले में कई अधिकारी इन दिनों जेल की हवा खा रहे है, ED मामले की जांच में जुटी है। बताया जाता है कि इसी माह अक्टूबर के अंत तक छपाई का काम टकसाल में शुरू हो जायेगा। छत्तीसगढ़ को पहली खेप इसी माह के अंतिम दिनों से पूर्व प्राप्त हो जाएगी।
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छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी कमिश्नर और विभागीय मामलों के जानकार गणेश शंकर मिश्रा के मुताबिक ने संभवत: ये पहली बार देश में भारत सरकार ने करेंसी प्रिंटिंग यूनिट में छत्तीसगढ़ के लिए शराब के होलोग्राम प्रिंट करने का निर्देश दिया है। इसका असर ये होगा कि असली होलोग्राम प्रिंटिंग के जरिये उपभोक्ताओं को सरकारी देख-रेख में निर्मित होने वाली शराब की गुणवत्ता की गारंटी मिलेगी। नकली और जहरीली शराब की आपूर्ति का कारण अब तक प्राइवेट एजेंसी द्वारा निर्मित होलोग्राम भी रहा है। उनके मुताबिक ऐसे होलोग्राम चलन में आने से अवैध शराब का कारोबार नियंत्रित होगा और पूरी तरह से बंद भी हो सकता है।
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मिश्रा के मुताबिक जब प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों से प्रिंटिंग होती थी। तो इसका रिस्क रहता था कि फेक प्रिंटिंग हो सकती है, पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यही हुआ था। उन्होंने बताया कि राज्य में शराब घोटाला इसी वजह से जन्मा था। आबकारी मामलों के जानकार गणेश शंकर मिश्रा कहते है कि राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के इस फैसले से भविष्य में घोटालों से निजात मिलेगी।
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उन्होंने कहा कि वैध और असली होलोग्राम शराब की गुणवत्ता को प्रदर्शित करते है। उनके मुताबिक ED और EOW ने अदालतों में दलील दी है कि नकली होलोग्राम प्रिंट कर मनमाने तरीके से माफियाओं ने गुणवत्ताविहीन शराब की आपूर्ति कर प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर काली कमाई की थी।