छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के ताबूत पर मुख्यमंत्री साय ने ठोंकी आखिरी कील, सूपड़ा साफ होने की कगार में कांग्रेस, भारी मतदान के आसार, SC-ST वोटर सुर्खियों में…

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रायपुर/बिलासपुर/अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 7 सीटों पर मगंलवार को मतदान होगा। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। कोरबा की यह सीट हाई प्रोफाइल सीट के रूप में गिनी जा रही है, यहां लोकसभा की निवर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत का सीधा मुकाबला राज्यसभा की सांसद रही सरोज पांडेय से है। सरोज पांडेय जहां बीजेपी में कद्दावर नेता के रूप में जानी जाती हैं वहीं ज्योत्सना महंत का भी जलजला कम गौरतलब नही है। वे कांग्रेस संगठन के विभिन्न पदों पर कार्य कर चुकी हैं।

इसके अलावा उनके पति डॉ चरणदास महंत संयुक्त मध्यप्रदेश में इस इलाके का बतौर विधायक के रूप में कई वर्षों तक प्रतिनिधित्व करते रहे है। मध्यप्रदेश सरकार के अलावा यूपीए शासनकाल में केंद्रीय मंत्री के रूप में चरणदास महंत काफी चर्चित रहे हैं। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में वे विधानसभा अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। इस सीट पर जहां बीजेपी ने भी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है वहीं महंत भी कांग्रेस की जीत के लिए दिन रात एक किए हुए हैं।

छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण में रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर, रायगढ़, दुर्ग, कोरबा में मतदान को लेकर भारी जोश देखा जा रहा है। शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तूफानी दौरा कर आधा सैकड़ा से ज्यादा आम सभाएं और जनसंपर्क कर कांग्रेस प्रत्याशियों के होश उड़ा दिए हैं। कई इलाकों में बतौर मुख्यमंत्री पहली बार पहुंचने के चलते विष्णुदेव साय की सभा में लोगों की भारी भीड़ जुट रही है, हर कोई उन्हें सुनना चाह रहा है। कई तो मुख्यमंत्री के साथ कभी तस्वीरें लेकर तो कभी सेल्फी के साथ, फूले नहीं समा रहे हैं।

लोकसभा चुनाव की इस बेला में छत्तीसगढ़ सरकार ने मोदी गारंटी, महतारी वंदन योजना, किसानों को बोनस और विभिन्न फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाकर कृषि पर आश्रित एक बड़ी आबादी को भारी राहत दी है। बीजेपी नेता नरेश गुप्ता के मुताबिक इन योजनाओं का सीधा लाभ जनता को मिल रहा है। उनका दावा है कि जन हितैषी कार्यों से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पीड़ित आबादी के बीच सरकार की जिम्मेदारी का एहसास कराया है। इससे बीजेपी के पक्ष में जबर्दस्त माहौल दिखाई दे रहा है.

राज्य में विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के तीन माह बाद ही लोकसभा चुनाव का डंका बजने लगा है। इसने ज्यादातर मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पूर्ववर्ती भू-पे सरकार के भारी भरकम भ्रष्टाचार और अपराधों को जनता अब तक भूल नही पाई है, लिहाजा माना जा रहा है कि मतदाताओं को एक बार फिर कांग्रेस को सबक सिखाने का मौका मिला है। दरअसल ज्यादातर सभाओं में मुख्यमंत्री साय भ्रष्ट अफसरों और नेताओं को सबक सिखाने का ऐलान करते रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने का वादा कर उन्होंने कांग्रेसी उम्मीदवारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

बताया जाता है कि एक रणनीति के तहत कांग्रेसी उम्मीदवार प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ना कभी कठोर भाषा का उपयोग कर रहे हैं बल्कि गाली गलौच और अपशब्द कहने से भी नही चूक रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस नही चाहती की राज्य में विधान सभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा में भी “भ्रष्टाचार” बड़ा मुद्दा बनकर उभरे, इसके लिए पार्टी एक कदम आगे बढ़कर पीएम मोदी पर निजी हमला करने से भी नही चूक रही है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की नब्ज टटोलते हुए मुख्यमंत्री साय ने चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में कांग्रेस के ताबूत पर अंतिम कील ठोक दी है। वे भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बताने वाले कांग्रेसियों की नाक पर नकेल डाल रहे हैं। जनता को साफ संदेशा दिया जा रहा है कि भ्रष्टाचारियों की कोई खैर नही। उनके इस ऐलान के बाद हजारों- लाखों मतदाताओं की यादें तरोताजा हो गई है, वे भू-पे और सौम्या चौरसिया के आपसी संबंधों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। बताते हैं कि इस जोड़ी ने सरकारी तिजोरी पर तोड़ी कर कई योजनाओं की रकम हजम कर लीं थीं। जनता की तिजोरी का एक एक पैसा वापसी के लिए मुख्यमंत्री साय ने संकल्प लिया है। इसका अच्छा खासा असर मतदाता के बीच देखा जा रहा है।

तीसरे चरण में जिस लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, वहां आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। इन दोनो समुदायों के अलावा ओबीसी वर्ग तीसरी शक्ति के रूप में नजर आ रहा है। हालाकि दोनों ही पार्टियों ने इस वर्ग के वोटों को रिझाने के लिए कोई कसर बाकी नही छोड़ी है। बावजूद इसके मोदी फैक्टर कांग्रेस की गले की फांस बन गया है। राजनैतिक पंडितों के मुताबिक छत्तीसगढ़ की शेष सभी सातों सीटों पर बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। फिलहाल यह तो मतगणना के बाद ही साफ होगा की ऊंट किस करवट बैठेगा।