छत्तीसगढ़ में पांच पत्रकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी गोद में बैठे सरकारी नौकरो के निशाने पर,भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं की असलियत उजागर करने पर फर्जी कार्यवाही के पुलिस को निर्देश

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रायपुर : छत्तीसगढ़, भ्रष्टाचार के मामलो में देश भर में कुख्याति अर्जित कर रहा है। देश की कई बड़ी जाँच एजेंसिया लगातार इस प्रदेश का रुख कर रही है। प्रदेश में सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी और गुणवत्ता विहीन कार्यो के चलते कई योजनाए अपने मार्ग से भटक चुकी है। खासकर केंद्रीय फंडिंग वाली योजनाओं का तो बुरा हाल है। ज्यादातर योजनाए भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है। यही हाल राज्य सरकार की अधिकतम योजनाओं का है। भ्रष्टाचार के चलते कई महती योजनाए आम जनता से कोसों दूर है।

बिजली विभाग लोगो से मीटर के किराए और अमानत राशि के रूप में फिर मोटी रकम वसूल रहा है। जबकि बिजली उत्पादन में अपनों को उपकृत करने के लिए सालाना लगभग 1 हजार करोड़ का अतरिक्त भुगतान अडानी की कम्पनी से जुड़े ठेकेदारों को किया जा रहा है। आम उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मुहैया कराना जबकि अडानी की कम्पनी को ऊँची दरों पर अनावश्यक भुगतान किए जाने का मामला सुर्खियों में है। यही नहीं घटिया कोयला सप्लाई करने के मामलो में अडानी की कम्पनी पर लगभग 100 करोड़ की जुर्माना की फाइल को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया है।

एक ओर राहुल गाँधी देश भर में अडानी को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार को पानी पी-पी कर कोसते है,वही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार और अडानी की दोस्ती रंग ला रही है। सरगुजा में हजारो आदिवासियों के हितो पर कुठाराघात हो रहा है। जल जंगल और जमीन के साथ-साथ वन्य जीवों को बचाने के लिए पत्रकार और कई सामाजिक कार्यकर्ता एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है।  

गोबर खरीदी में करोडो का भ्रष्टाचार, शैक्षणिक संस्थानों में फर्नीचर सप्लाई घोटाला, बीज निगम और केम्पा योजना में घोटाले ही घोटाले, स्वेच्छानुदान में जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता देने के बजाय अपनों को उपकृत करने के मामले, वर्क्स डिपार्टमेंट में व्यापक भ्रष्टाचार, PHE और जल जीवन मिशन में करोड़ो का घोटाला, कृषि, हॉर्टिकल्चर, पंचयात और ग्रामीण विकास विभाग में दर्जनों  गड़बड़ी और सरकारी तिजोरी में चोट के मामलो को उजागर करने वाले पत्रकारों को सबक सिखाने के लिए अब सरकारी तंत्र की सक्रियता सुर्खियों में है। 

प्रदेश में IT -ED लगातार भ्रष्टाचार के मामलो की जाँच कर रही है। अखिल भारतीय सेवाओं के दर्जनों अफसरों के अलावा कई कारोबारी और उद्योगपति अपने कारनामो को लेकर चर्चित हो रहे है। प्याज के छिलकों के तरह निकल रहे भ्रष्टाचार के मामलो से शासन -प्रशासन की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है। सरकारी मशीनरी को जाम कर अवैध उगाही करने वाले कई आरोपी ED -IT के हथ्थे चढ़ रहे है। केंद्रीय एजेंसियों की पड़ताल में कई अफसरों, नेताओं और उनके चमचो के असली चेहरे भी उजागर हो रहे है। उनके कारनामो से जुडी खबरों को कवर करने वाले ऐसे पत्रकारों पर सरकार की तिरछी नजर चर्चा में है। 

छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सरकार ने पत्रकारों की रक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लाने का वादा किया था। लेकिन कुर्सी में बैठने के बाद नेता जी और उनकी टोली ने अपने कारनामो को छिपाने के लिए पत्रकारों को ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। कई पत्रकार फर्जी मामलो में जेल दाखिल किये गए। पत्रकारों को बदनाम करने के लिए पुलिस के अलावा प्रेस -मीडिया कर्मियों और सुचना सहायको को झोंक दिया गया।

बताया जाता है कि प्रेस -मीडिया में भ्रष्ट अफसरों और उनके काले कारनामों पर पर्दा डालने के लिए मोटी रकम खर्च की जा रही है। कई पत्रकारों को नौकरी से भी निकलवाने के लिए जनसम्पर्क विभाग के मुखिया हाथ -पैर मार रहे है। अखबारों, TV और अन्य प्रचार माध्यमों में जनता को असलियत नहीं बल्कि सरकार की झूठी वाह -वाही परोसी जा रही है। पत्रकारों का दायित्व है कि वे सरकार के रचनात्मक कार्यो के अलावा उन मामलो को भी संज्ञान में लाये जो भ्रष्टाचार के दायरे में है। राज्य में इस दायित्व का निर्वहन करने वाले पत्रकार प्रताड़ित हो रहे है।    

सूत्र बताते है कि प्रदेश में पांच चर्चित पत्रकारों को फर्जी मामलो में फंसाने के लिए सरकार की गोद में बैठे मीडिया के दलालों ने नई रणनीति तैयार की है। इस पर ”मुखिया” की भी सहमति की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि दो सुपर CM और उनके इशारो पर नाचने वाले चंद अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की इन दिनों नींद हराम है। IT -ED के बाद ऐसे दागी अफसरों पर NIA की कार्यवाही का भी अंदेशा जाहिर किया जा रहा है।

बताते है कि अब ”महादेव एप” के काले कारोबार को संचालित करने वालो पर NIA की भी पैनी निगाह है। लिहाजा अपनी खाल और जनता और सरकारी तिजोरी से लूटे गए माल की हिफाजत के लिए पांच पत्रकारों को फर्जी मामलो में फंसाने की कवायत जोरो पर है। ये पत्रकार सरकार के अच्छे कार्यो के साथ -साथ गैरक़ानूनी कृत्यों का खुलासा कर रहे है। 

बताते है कि सरकारी तनखैया प्रेस -मीडिया कर्मियों से परे हट कर पांच पत्रकारों ने ”जैसा दिखा -पाया, वैसे लिखा और दिखाया” की नीति पर खबरों को जनता तक पहुंचाया है। इन पत्रकारों ने अपनी लेखनी और अभिव्यक्ति से आम आवाम को प्रदेश के ताजा राजनैतिक और प्रशासनिक हालत से रूबरू कराया है। ऐसे पत्रकारों की कलमबंदी और मुखर अभिव्यक्ति को दबाने के लिए खाकी वर्दी का गैरकानूनी इस्तेमाल को अमल में लाया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक ख़ुफ़िया तंत्र को इन चुनिंदा पत्रकारों की जासूसी और उनके फ़ोन टेपिंग के फरमान जारी किये गए है। सूत्र बताते है कि इन पत्रकारों से सरकार भयभीत है। चुनावी साल में ये पत्रकार मौजूदा सत्ताधारी दल और सरकार की गले की फ़ांस ना बन जाये, इसे लेकर उन्हें झूठे मामलो में फंसाने की कवायत जोरो पर है। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर खाकी वर्दीधारी कुछ ईमानदार अफसरों ने सरकारी साजिश की सूचना देकर इन पत्रकारों को अगाह किया है। 

ताजा जानकारी के मुताबिक स्टेटमेन के पत्रकार अजय भान सिंह, द हितवाद के मुकेश सिंह, जगत विजन की संपादक विजया पाठक, न्यूज़ टुडे नेटवर्क के संपादक सुनील नामदेव और स्वंतत्र पत्रकार आलोक पुतुल को निशाने में लेने के लिए खाकी वर्दी की तैनाती की गई है। इसके लिए अपनी नौकरी दांव पर लगाकर अपराधो को अंजाम देने में माहिर कुछ चुनिंदा अफसरों को जुटाया गया है। सूत्र बताते है कि पुलिस विभाग के कई वरिष्ठ अफसरों ने पत्रकारों के खिलाफ कथित फर्जीवाड़े से इंकार कर दिया है। जबकि काले कारनामो के लिए चर्चित जूनियर अधिकारियो ने इसकी हामी भर दी है।

बताते है कि इस गैरकानूनी कृत्य के लिए एक विशेष डेस्क खोली गई है। इसमें इन पत्रकारों की जासूसी से लेकर उन्हें प्रताड़ित करने को लेकर माथा -पच्ची किये जाने की खबर है। फिलहाल सरकार के निशाने पर आये इन पत्रकारों ने भूपेश बघेल सरकार की इस नई कवायत से राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोग, भारत सरकार, CJI, प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया और CVC को अवगत कराया है। इन पत्रकारों ने साफ़तौर पर एलान किया है कि सरकारी अत्याचारों से वे विचलित नहीं होने वाले, और ना ही वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टोली के समक्ष नतमस्तक होने वाले है।