आध्यात्मिक पीठ के सामने नतमस्तक हुई राजपीठ, जैन संत आचार्य महाश्रमण के दर्शन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा – सदभाव भाई चारे की भावना और परस्पर समन्वय की संस्कृति छत्तीसगढ़ में विद्यमान, आचार्य ने कहा – प्रदेश की स्कूली शिक्षा में आध्यात्म और नैतिकता का भी अध्ययन हो

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रायपुर / रायपुर के मानस भवन में राजपीठ और आध्यात्मिक पीठ का उस समय समन्वय दिखाई दिया , जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जैन संत आचार्य महाश्रमण के आगे शीश झुकाकर आशीर्वाद लिया। उन्हें आचार्य श्री की ओर से राज्य की समृद्धि और विकास का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ | मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारा परम सौभाग्य है कि आचार्य महाश्रमण जी के चरण छत्तीसगढ़ की धरती पर पड़े | उन्होंने आचार्य महाश्रमण जी सहित अहिंसा यात्रा में उनके साथ आए साधु और साध्वियों का छत्तीसगढ़ की जनता की ओर स्वागत करते हुए कहा कि आचार्य जी अपनी इस यात्रा के दौरान सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश दे रहे हैं |
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, हमारा परम सौभाग्य है कि आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरण छत्तीसगढ़ की धरती पर पड़े।

छत्तीसगढ़ को सदैव आचार्य महाश्रमण जी जैसे महात्माओं ने संस्कारित किया है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में परस्पर समन्वय, सद्भाव और भाईचारे की भावना विद्यमान रही है। यहां का समाज शांति और अहिंसा का पक्षधर रहा है। आपके संदेश हमें सचेत करते रहेंगे कि बदलते हुए परिवेश में हमें अपने सद्गुणों को और भी अधिक मजबूती के साथ धारण करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, छत्तीसगढ़ शांति का टापू कहलाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षाें से हमारे यहां नक्सल घटनाएं घटित हुई हैं। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने बस्तर से प्रवेश कर रायपुर तक की लम्बी यात्रा में शांति और सद्भाव का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई, इन संदेशों और आचार्य जी के व्यक्तित्व का प्रभाव उन लोगों पर भी पड़ेगा और वे शांति के मार्ग पर लौटेंगे।

उधर राजपीठ के आध्यात्मिक पीठ के करीब आने पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि छत्तीसगढ़ के शिक्षा संस्थानों में अध्यात्म और नैतिकता जैसे विषयों का अध्ययन भी होना चाहिए । इससे विद्यार्थियों के शारीरिक विकास के साथ उनका बौद्धिक, भावनात्मक और मानसिक विकास भी होगा। उनमें ईमानदारी जैसे सदगुण रहें। यही विद्यार्थी आगे चलकर देश के अच्छे नागरिक साबित होंगे। कार्यक्रम में उपस्थित आयोजन समिति के अध्यक्ष महेंद्र धाड़ीवाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य जन प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके आगमन से आचार्य श्री की अहिंसा यात्रा को संबल और समर्थन मिला है | इसके लिए समाज उनका आभारी है |

जैन संत आचार्य महाश्रमण पिछले सात वर्षों से शांति, सद्भाव, नशा मुक्ति और अहिंसा का प्रचार करने के लिए अहिंसा पदयात्रा कर रहे हैं। इन वर्षों में उन्होंने पैदल ही नेपाल, भूटान और भारत के 19 राज्यों की यात्रा की है। इस यात्रा के एक पड़ाव के तौर पर वे पहली बार रायपुर पहुंचे हैं। यहां उनकी पदयात्रा का 50 हजार किलोमीटर का पड़ाव हुआ है। उनका सान्निध्य पाने के लिए जैन समाज उनका मर्यादा महोत्सव मना रहा है।

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