रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रेस-मीडिया का गला घोटने और सच्चाई जाहिर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने अमानवीय हमला बोला है. एक ताजा घटनाक्रम में गैरकानूनी कार्यवाही करते हुए सरकारी अमले ने एक वरिष्ठ पत्रकार के आशियाने को ध्वस्त कर दिया. नया रायपुर में एनआरडीए और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने रविवार की सुबह से ये तोड़-फोड़ की कार्यवाही शुरू की जो कि देर शाम तक चली.
इस दौरान इस वरिष्ठ पत्रकार के आशियाने पर चुन-चुन के वार किया गया. अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई कार्यवाही में एनआरडीए,जिला प्रशासन स्थानीय पुलिस और अन्य महकमे के करीब 250 की संख्या में अधिकारी और कर्मचारियों ने एक साथ वरिष्ठ पत्रकार के घर पर हमला बोला. रविवार यानी सरकारी सार्वजनिक अवकाश के दिन की गई इस गैरकानूनी कार्यवाही को ख़ास मकसद से अंजाम दिया गया था.
बताया जाता है कि इस वरिष्ठ पत्रकार ने कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली और व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर कई खबरे प्राकाशित और प्रसारित की थी. इसके चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सिपाहसालार काफी परेशान रहे. नतीजतन उन्होंने इस पत्रकार को सबक सिखाने के लिए सीधा हमला किया. इस पत्रकार के आवास को तोड़ने के लिए अतिक्रमण का झूठा आरोप लगाया गया.
यह पत्रकार कोई कानूनी उपचार न प्राप्त कर सके इसके लिए रविवार के दिन तोड़-फोड़ की कार्यवाही की गई. पीड़ित पत्रकार को ना तो सुनवाई का मौक़ा दिया गया और ना ही तोड़-फोड़ की पूर्व सूचना. रविवार सुबह-सुबह प्रसाशन और एनआरडीए का हमला इस वरिष्ठ पत्रकार के सूने आवास में आ धमका और तोड़-फोड़ की कार्यवाही शुरू कर दी.
बताया जाता है कि इस कार्यवाही को अंजाम देने के लिए मुख्यमंत्री और उनकी टोली जोर-शोर से जुटी रही. कार्यवाही में जुटे अफसर अपने आकाओ को पल पल की जानकारी देते रहे. यही नहीं इस एक मात्र पत्रकार के आवास को पूरी तरह से तोड़ने के लिए सरकारी अमला मुस्तैद रहा जबकि इलाके में अनाधिकृत निर्माण और बैगर लाइसेंस के दर्जनों होटल और रेस्टोरेंट बे-रोकटोक संचालित हो रहे है. सरकारी अमले का उनके प्रति संरक्षण और उदासीनता चर्चा में है. यह भी बताया जा रहा है कि सिर्फ इस वरिष्ठ पत्रकार के ही आवास को तोड़ने के लिए बघेल सरकार ने निर्देशित किया था.
गौरतलब है कि इस वरिष्ठ पत्रकार ने अनाधिकृत निर्माण को लेकर एनआरडीए के झूठे आरोपों और नोटिस को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. अदालत में सुनवाई के दौरान एनआरडीए ने बगैर शर्त अपने सभी नोटिस वापस ले लिए. उन नोटिसों को निरस्त करने की सूचना भी पीड़ितों को दी गई. लेकिन चंद दिनों बाद वही नोटिस नई तिथि में इस वरिष्ठ पत्रकार के सूने आवास में चस्पा कर दिए गए. फिर मौका मिलते ही रविवार को उनके आवास को ध्वस्त कर दिया गया. प्रशासन और एनआरडीए के वरिष्ठ अफसरों ने खुद इस कार्यवाही को लेकर हैरानी जताई. उन्होंने दबी जुबान यह भी साफ़ किया कि बघेल & कम्पनी के गैरकानूनी फरमानों के आगे नतमस्तक होना उनकी मजबूरी है.
यह पहला मौका है जब प्रदेश में किसी वरिष्ठ पत्रकार को फर्जी मामलों में फ़साने के साथ साथ उसके आवास को तोड़ने में कांग्रेस सरकार की भूमिका अग्रणी रही. हालाकि तोड़-फोड़ की प्रशासनिक कार्यवाही की कामयाबी पर इस वरिष्ठ पत्रकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हृदय से धन्यवाद दिया.
उन्होंने अपने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि इस तरह की गैर कानूनी कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टोली को विशेष पुरुष्कार से नवाजा जाना चाहिए. इस उल्लेखनीय कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री बघेल के अलावा आवास और पर्यावरण मंत्री मो.अकबर, सौम्या चौरसिया, अनिल टुटेजा, विवेक ढांड, आनन्द छाबड़ा, और उनकी पत्नी शालिनी रैना, रामकुमार तिवारी, और उनके साले सूर्यकांत तिवारी के प्रति भी इस वरिष्ठ पत्रकार ने आभार जताया है.