CG NEWS: रायपुर के दामाखेड़ा से 10 किलोमीटर के रेडियस में नहीं खुलेगा स्पंज आयरन प्लांट,मुख्यमंत्री बघेल का कबीर भक्तो से वादा,प्रदुषण प्लांटों के हटने के इंतज़ार में जनता…

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रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कबीर भक्तो से रायपुर से सटे दामाखेड़ा पवित्र स्थल को प्रदुषण से बचाने के लिए बड़ा वादा किया है। बघेल ने सद्गुरु प्रकाशमुनि की लगाईं गई गुहार के बाद खुले मंच से वादा किया है कि दामाखेड़ा से 10 किलोमीटर के रेडियस में कोई स्पंज आयरन प्लांट नहीं खुलेगा।

दरअसल,सद्गुरु प्रकाशमुनि ने दामाखेड़ा में आयोजित माघ मेला कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से गुहार लगाईं थी कि दामाखेड़ा का अस्तित्व खतरे में है। प्रदुषण की वजह से करीब दर्जन भर से ज्यादा गांव में लोगो का जीना मुहाल हो गया है। लोगो को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है,त्वचा रोग हो रहे है,साँस लेना मुश्किल है,साफ़ कपडे चंद मिनटों में मैले हो रहे है,घरो में धूल-धुंए की परत है,घरों में बनाए जाने वाले रखिया-बड़ी और बिजौरा खुले आसमान में सुखाने पर प्रदुषण से काला हो जाता है,प्रदुषण नियंत्रण नहीं होने से लोग पलायन कर रहे है।सद्गुरु प्रकाशमुनि ने मंच पर ही लोगो की दिक्कतों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया|

कबीर आश्रम दामाखेड़ा का राष्ट्रीय और अंतरष्ट्रीय महत्त्व बताते हुए प्रकाशमुनि ने कहा कि स्पंज आयरन प्लांटों की वजह से लोगो का बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल से मामले को गंभीरता से लिए जाने की अपील करते हुए गहरी चिंता जाहिर की है। कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर,गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और स्थानीय विधायक भी शामिल थे। मुख्यमंत्री बघेल ने ऑक्सीजन का महत्व बताते हुए खुले मंच से स्पंज आयरन प्लांटों पर रोक का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रकाशमुनि के वचनो को आदेश के रूप में लेते है। मुख्यमंत्री के स्पंज आयरन प्लांटों पर रोक की घोषणा सुनकर कार्यक्रम में भक्तो ने जमकर तालियां बजाई। 

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में उरला-सिलतरा औधोगिक इलाकों से स्पंज आयरन प्लांटों को हटाने की कवायद शुरू की गई थी,लेकिन चुनाव करीब आने के चलते मामला लटक गया था। इस बार भी चुनाव करीब आते ही एक बार फिर प्रदुषण का प्रयाय बन चुके स्पंज आयरन प्लांटों को हटाने के लिए लोगो ने मोर्चा खोल दिया है।

एक बड़ी आबादी को बचाने के लिए कबीर पंथी संत ने प्रदुषण के खिलाफ मोर्चा खोला है। सद्गुरु प्रकाशमुनि साहब ने दामाखेड़ा और कबीरपंथियों के तीर्थ स्थलों पर होने वाले विकास कार्यो को लेकर सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके साथ ही कबीरपंथी लाखो भक्तो के अलावा रायपुर की आमजनता भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की स्पंज आयरन प्लांट पर रोक की घोषणा को अमलीजामा पहनते देखने की राह तक रही है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक स्तर से 11 तो कोरबा का 28 गुना तक बढ़ चुका है। यह तथ्य राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र (एसएचआरसी) के एक अध्ययन में भी सामने आया है।सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों में  प्रदूषण से फेफड़े व सांस के रोगियों की संख्या भी डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। एसएचआरसी ने राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में प्रदूषण से बढ़ती बीमारियों पर चिंता भी जताई है। बताते है कि राजधानी के डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के छाती रोग विभाग की ओपीडी में हर माह औसतन 600 से ज्यादा सांस व फेफड़े से संबंधित मरीज आते है। इसमें 40 फीसद से अधिक मरीजों में प्रदूषण की वजह से समस्याएं सामने आई हैं।

राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र की अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक इन क्षेत्रों में पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर 2.5 माइक्रो मीटर का स्तर पाया गया है, जो बाल की चौड़ाई से 100 गुना छोटा होता है और सांस के जरिए फेफड़े तक पहुंचकर व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। प्रदूषण का स्तर मानक राष्ट्रीय मानक स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (60 यूजी/एम3 ) की तुलना में कोरबा में 28 गुना और रायपुर में करीब 11 गुना ज्यादा है।एक जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 90 स्पंज आयरन फैक्ट्रियां हैं, इसमें सर्वाधिक रायपुर में है। इसके अलावा दुर्ग, रायगढ़ और बिलासपुर में सबसे ज्यादा उद्योग संचालित हैं।

स्पंज आयरन उद्योगों को हर साल 12 मिलियन टन आयरन ओर की जरूरत होती है। देश-विदेश में स्पंज आयरन उद्योग ख़त्म होने की कगार पर है। प्रदुषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए देश के कई राज्यों में इस पर बैन लगा दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जहाँ यह उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है।

रायपुर,रायगढ़ और कोरबा में तो प्रदुषण के स्तर ने कई बार राष्ट्रीय मानकों की धज्जियाँ तक उड़ा दी है। इन शहरो ने समय-समय पर देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरो में स्थान भी पाया है। बावजूद इसके कोरोना काल समाप्त होते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने स्पंज आयरन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान किया था। इसके तहत स्पंज आयरन उद्योग को कई तरह की छूट दी गई थी। बताते है कि स्पंज आयरन उद्योगों को विभिन्न श्रेणी में लगभग 150 फीसदी छूट मिलने से उनका तेजी से विस्तार हुआ है।

प्लांटों की उत्पादन क्षमता बढ़ने से प्रदुषण भी तेजी से बढ़ा,लेकिन प्रदुषण नियंत्रण के लिए सरकारी विभागों ने कोई रूचि नहीं दिखाई। रायपुर से सटे कई बड़े इलाके में प्रदुषण रिकॉर्ड तोड़ हो रहा है,वहीं उत्पादन आसमान छू रहा है। जबकि प्रदुषण पर नियंत्रण लगाने के तमाम प्रयास धरे के धरे रह गए है।

कोरोना काल समाप्त होने के बाद आज हालात फिर तेजी से जस के तस हो रहे है। हाल यह है कि स्पंज आयरन प्लांट से निकलने वाला धुंआ रायपुर शहर के चारो ओर कहर बरपा रहा है। पीड़ित लोग डॉक्टरों के चक्कर में चक्कर काट रहे है। स्पंज आयरन उद्योग जिन-जिन इलाको में स्थापित किया गया है,वहां का तो हाल-बेहाल है। उरला,सिलतरा और धरसीवां के दर्जनों गांव के लोग पलायन के लिए मजबूर है। इसके पूर्व वे कई बार धरना प्रदर्शन कर थक चुके है,उनकी मांग नक्कार खाने में तूती की आवाज़ की तरह दब कर रह गई है।

लिहाजा कबीर पंथ के गुरु प्रकशमुनि प्रभावित आबादी को बचाने के लिए सामने आए है। उन्हें चिंता इस बात को लेकर है कि यही हाल रहा तो रायपुर से सटे दामाखेड़ा जैसा पवित्र स्थल का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।सद्गुरु प्रकाश मुनि चिंतित है कि  जिस तरह से ग्रामीण इस इलाके से पलायन करने लगे है,आने वाले दिनों कहीं भक्त दामाखेड़ा जैसे संत कबीर के तीर्थ से दूरियां ना बना लें। दरअसल यहाँ देश-विदेश से हजारो भक्त आते है। लेकिन प्रदुषण की वजह से इस पुरे इलाके का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।

हालांकि, संत प्रकाशमुनि की चिंता का निदान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने,जिस दार्शनिक अंदाज़ में किया है,राजनीति के जानकार,उसे सिर्फ आश्वासन मान रहे है। उनके मुताबिक बघेल ने दामाखेड़ा से 10 किलोमीटर दूर तक स्पंज आयरन उद्योग पर रोक की घोषणा तो कर दी। लेकिन इन उद्योग धंधो का सिमटना कब शुरू होगा ?  इसकी तिथि और प्रक्रिया कार्यक्रम के चार दिनों बाद भी सामने नहीं आई है। फिलहाल तो जनता प्रदुषण से मुक्ति के इंतज़ार में है।