रायपुर : छत्तीसगढ़ विधान सभा में न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ की उस खबर को लेकर जमकर हंगामा हुआ, जिसमे छत्तीसगढ़ विधुत मंडल में देश में सर्वाधिक ऊँची दरों पर कोल परिवहन का ठेका कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और उससे जुडी कंपनियों को सौंपा जा रहा है। सदन में आज CSEB के भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बीच तीखी नोक झोंक हुई। रमन सिंह ने प्रश्न और प्रतिप्रश्न की झड़ी लगाते हुए बघेल की बोलती बंद कर दी। लोगो को इससे ज्यादा हैरानी यह देखकर हुई की पूरी बहस के दौरान बघेल ने ‘अडानी’ का नाम लेने के बजाय ‘MDO’ का संबोधन किया ।
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सदन में सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायक अपने ही मुख्यमंत्री का रुख देख कर हैरत में पड़ गए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में घंटो की बहस में एक बार भी ‘अडानी’ का नाम अपनी जुबान पर नहीं लाया। सदन में बीजेपी के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने देश की सर्वाधिक ऊँची दरों पर अडानी और उनसे जुडी कंपनियों को ठेका दिए जाने के मामले को पूरी तरह से जायज ठहराया।
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गौरतलब है कि राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अडानी के बीच दोस्ताना और कारोबारी रिश्ते काफी प्रगाढ़ बताये जाते है। ये और बात है कि सदन के भीतर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ‘अडानी’ का नाम तक लेने में परहेज कर रहे हो। लेकिन सडको पर राहुल, प्रियंका और मुख्यमंत्री बघेल समेत कांग्रेस के तमाम नेता अडानी को जी -भरके कोसते नजर आते है।
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छत्तीसगढ़ विधान सभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देख कर राज्य के कई नेताओ को ‘MDO’ नामक साहब का नाम सुनकर हैरानी हुई। अभी तक निरीह आदिवासी अडानी को MDO के नाम से नहीं जानते थे। सरगुजा इलाके में कोयला खदान से प्रभावित लोग हो या फिर अडानी की खदान में कार्यरत आबादी, वे भी MDO शब्द से परिचित नहीं है। उन्हें ‘अडानी’ बोलने में सहजता और अपनापन लगता है।
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दरअसल इस इलाके में पेयजल, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अडानी इंटर प्राइजेस ने बेहतर कार्य किया है। स्थानीय लाभार्थी अडानी की इस मामले में तारीफ करना नहीं भूलते। उन्हे पहली बार मुख्यमंत्री बघेल के जरिये अडानी का नाम ‘MDO’ भी है, पता पड़ा। ये लोग, इस बात पर हैरान है कि वे खुद लाभार्थी होने के बावजूद ‘अदब’ से नाम लेते है, लेकिन साहब है कि डकार तो दूर नाम तक लेने में परहेज बरत रहे है। फ़िलहाल आज सदन की कार्यवाही पर लोगो की व्यापक प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
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दरअसल बघेलखण्ड में शामिल कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी ने कोर्ट में अपनी कमाई का हवाला देते हुए खुद को ‘अडानी’ के साथ कार्यरत बताया था। CSEB द्वारा महज 500 करोड़ का ठेका उसे और उससे जुडी कंपनी को लगातार दो सालो से 1000 करोड़ में दिया जा रहा था। बताते है कि इस बार भी CSEB की कमान संभाल रहे IAS अधिकारी अंकित आनंद ने नया ठेका सरगुजा और रायपुर से जुडी ‘अडानी’ की कंपनी को ‘आउट ऑफ वे’ जाकर दिया है। इसे लेकर बवाल मचा है।
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बीजेपी का आरोप है कि जनता की कमाई सरकारी तिजोरी में सुरक्षित रखने के बजाय मुख्यमंत्री बघेल नये-नये नुस्खे आजमा कर लुटा रहे है। बताते है कि CSEB ने तीसरी बार ग्लोबल टेंडर के नाम पर 500 करोड़ का ठेका तीन गुनी अधिक कीमत पर अडानी की लोकल साझेदारी वाली फर्मो को सौपा है। जबकि सरगुजा इलाके में SECL और NTPC की कोयला परिवहन की दरे CSEB की तुलना में आधी से भी कम है।
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विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने CSEB के भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री बघेल को आड़े हाथो लिया है। उन्होंने सदन में बगैर अडानी का नाम लिए बघेल पर तीखा हमला किया है। लेकिन पलटवार के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीसरी बार भी अडानी से जुडी कंपनी को मात्र 500 करोड़ का ठेका 1000 करोड़ से ज्यादा में दिए जाने के मामले को जायज ठहराया है। उन्होंने विधायकों की कमेटी से मामले की जाँच कराये जाने तक से इंकार कर दिया। आखिर अडानी से लेकर MDO तक अचानक बघेल के तेवर नरम क्यों पड़ गए ? इसे लेकर मंथन जारी है।
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छत्तीसगढ़ में विधान सभा के भीतर और बाहर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भूपेश बघेल को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जम कर धोया है। रमन सिंह ने CSEB में देश की सर्वाधिक परिवहन दरों पर कोल परिवहन का मुद्दा सदन में उठाया था। इस मामले में जवाब देते हुए मुख़्यमंत्री बघेल अपने ही उत्तर में उलझ गए। सदन में बघेल का जवाब सुनते ही रमन सिंह ने अपने तर्कों से सीएम बघेल को जमकर धोया। हालांकि सदन में बचाव की मुद्रा में आये बघेल ने भ्रष्टाचार के मामलो की जाँच की मांग ख़ारिज कर दी।
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सदन में विपक्ष ने विधायकों की कमेटी से भ्रष्टाचार के मामले की जाँच कराये जाने की मांग की थी। मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच CSEB के भ्रष्टाचार को लेकर लगातार तीखी बहस छिड़ी रही। इस दौरान विधान सभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने बीच बचाव कर दोनों ही नेताओ का जहाँ संयम बनाये रखा वही सवाल-जवाब के लिए उनकी पीठ भी थपथपाई।
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महंत ने चुटीले अंदाज में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री पर अपने ही अंदाज में कटाक्ष भी किया। सदन में एक ओर जहाँ पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्री के बीच भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर तीखी बहस जारी रही वही दूसरी ओर विधान सभा अध्यक्ष चरणदास महंत भी पूरी बहस को बड़ी तन्मयता के साथ सुनते नजर आए। सदन में बहस के दौरान मुख़्यमंत्री बघेल की कमजोर दलीलों को सुनकर कई मौको पर अध्यक्ष का स्नेह भी नजर आया।
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पक्ष विपक्ष के कई विधायक भूपेश बघेल का रुख देख कर हैरान थे। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के सवालों और आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री बघेल ने उस समय राहत की साँस ली जब विधान सभा अध्यक्ष महंत ने कार्यवाही से ‘भ्रष्टाचार’ शब्द विलोपित करने के निर्देश दिए। बावजूद इसके मुख्यमंत्री बघेल की अगुवाई में कांग्रेस सरकार के लिए सदन में आज का दिन पहली बार कठिनाइयों से भरा रहा। सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी के बीच CSEB में ऊँची दरों पर परिवहन ठेका एक खास कंपनी को दिए जाने को लेकर महत्वपूर्ण बहस सरकार के कामकाज को नियम कायदो में तोलते रही।
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विधान सभा अध्यक्ष ने बखूबी दोनों ही पक्षों को अपनी बात कहने और सुनने का भरपूर मौका दिया। सदन में कई बार नोक-झोक के स्वर भी सुनाई दिए। लेकिन सदन में मौजूद किसी भी विधायक के मुँह से भूल से भी उस प्रसिद्ध उद्योगपति का नाम नहीं निकला, जिसे मुख्यमंत्री बघेल ‘MDO’ बता रहे थे। सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव को देखते हुए भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सतर्क नजर आये।
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उन्होंने उत्तर देते वक्त, भूल से भी उस उद्योगपति का नाम तक लेने से परहेज बरता, जिसका नाम अक्सर राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी की जुबान पर रहता है। कांग्रेस की सभा हो या फिर संसद में बहस, मोदी सरकार पर हमले की बेला के वक्त, पूरी कांग्रेस पार्टी सडको पर इस उद्योगपति के खिलाफ लामबंद है। उनके खिलाफ हाथो में तख्ती लगाए कांग्रेसी प्रदर्शन करते नजर आते है। लेकिन सदन में आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस उद्योगपति का नाम लेने में आखिर क्योँ ? बोलती बंद हो गई। बघेल ने इस उद्योगपति का नाम तक अपनी जुबान पर नहीं लाया।
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सदन में CSEB के भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल घिरते रहे। जबकि सामने ताल ठोक रहे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दमदारी के साथ सवालों के तथ्य भी रखे। विधान सभा की कार्यवाही का वीडियो देख कर कई मौको पर बघेल उत्तेजना से भरे भी नजर आ रहे थे। फिर भी वे ‘MDO’ शब्द का इस्तेमाल करते रहे। बताते है कि CSEB में कोल परिवहन का ठेका इस बार भी इन्ही प्रसिध्द उद्योगपति के हाथो में सौप दिया गया है।
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सदन में रमन सिंह के सवाल पर जवाब देते वक्त इस उद्योगपति का नाम तक लेने में मुख्यमंत्री बघेल की ‘घिघ्दि’ बनते देख, लोग हैरत में पड़ते रहे। सदन में जवाब देते वक्त बघेल बार बार MDO शब्द का इस्तेमाल करते रहे, उनका रुख चर्चा में है। बहस के दौरान पूरे समय कोल परिवहन की ऊँची दरों को जायज ठहराते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मूल सवाल का जवाब देने में जहां उन्होंने कोताही बरती, वहीँ वे रमन सिंह पर उनके कार्यकाल में दिए गए ठेको को लेकर पलटवार करते रहे।
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सदन में पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कोल परिवहन की ऊँची दरों को लेकर NTPC और SECL की तय गाइडलाइन के पूर्ण पालन करने का जिक्र भी किया। लेकिन उसका भी बघेल ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। बल्कि आखिरी वक्त तक बघेल,अधिकारियों द्वारा लिख कर दिया जाने वाला रटा-रटाया जवाब की ही पुनरावृत्ति करते नजर आए।
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सदन में बतौर मुख्यमंत्री भूपेश के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब उनका सीधा सामना पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से हुआ है। जाहिर है, नोक झोक तो होनी ही थी, लेकिन दोनों नेताओ को संयम में देख कर अध्यक्ष भी निश्चिंत नजर आये। हालांकि सदन में बहस ख़त्म होने के बाद पक्ष विपक्ष के कई विधायकों की जुबान पर भूपेश बघेल के बदले-बदले सुर की चर्चा खूब रही। इस प्रसिद्ध उद्योगपति के प्रति MDO वाला हृदय परिवर्तन सुर्खियों में है। कई विधायकों का मानना है कि ‘पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह’ का इस उद्योगपति का नाम लेना या न लेना उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना की मुख्यमंत्री बघेल का।
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उनका मानना है कि बघेल ने हालिया,हफ्ते भर पहले ही इस उद्योगपति के खिलाफ सडको में ‘पार्टी प्रदर्शन’ किया था। लेकिन सदन में जब उसका नाम लेने की बारी आई तो,MDO पुकारने लगे। उसका नाम तक लेना भूल गए। इन विधायकों को भूपेश बघेल का अंक गणित समझने में देर नहीं लगी, लेकिन कई विधायक पूछते रहे, माजरा क्या है? आखिर बघेल सदन के बाहर पानी पी-पी कर इस उद्योगपति की आलोचना करते है, उन्हें कोसते नजर आते है। लेकिन सदन के भीतर उस उद्योगपति का नाम तक लेने में खौफ खाते है। देखे वीडियो…..