
काठमांडू / दिल्ली / रायपुर : – नेपाल में तख्ता पलट ठीक उसी तर्ज पर हुआ, जैसा कि नौजवान अपनी मंशा रखते थे। देश की सर्वोच्च सरकार के 70 फ़ीसदी कमीशन की मांग वाले फरमानों से नौजवानो को अपना भविष्य अन्धकारमय नजर आ रहा था। आखिरकर पीएम ओली की सरकार छत्तीसगढ़ की भू – पे सरकार की तर्ज पर रसातल में जा समाई है। नेपाली नौजवान चुन – चुन कर भ्रष्ट्र नेताओं को सबक सिखा रहे है।

नेपाल की ओली सरकार और छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भू – पे सरकार के काले चिट्ठे लगभग एक जैसे ही नजर आ रहे है। करप्शन बघेल की तर्ज पर शासन कर रही ओली सरकार भी अब भ्रष्टाचार के गर्त में जा समाई है। भू -पे और ओली सरकार के कारनामें भले ही एक – दूसरे से मेल खाते हो ? लेकिन प्रदेश के पीड़ित नौजवानों के हथ्थे चढ़ने से बघेल किसी तरह बच निकले थे। तस्दीक की जाती है कि रायपुर के आमापारा चौक के अलावा भिलाई में कई स्थानों पर पुलिस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को भीड़ के हत्थे चढ़ने से बचाया था। इसका ब्यौरा पुलिस के रोजनामचों में दर्ज बताया जताया है।

जानकारी के मुताबिक शिक्षित बेरोजगार हो या फिर CG PSC के घोटालों से पीड़ित कई योग्य उम्मीदवार, पीड़ित आंदोलनकारियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को सबक़ सीखाने की ठान रखी थी। मुख्यमंत्री सुरक्षा की कमान संभालने वाले तत्कालीन महत्वपूर्ण वरिष्ठ अधिकारी भी तस्दीक करते है कि समय रहते घोटालेबाज मुख्यमंत्री को जनता ने विधानसभा चुनाव में रुखसत कर दिया, वरना नेपाल जैसे हालात छत्तीसगढ़ में भी बनने लगे थे। नाम न जाहिर करने की शर्त पर इन अफसरों ने साफ़ किया कि चुनाव सिर पर आते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री की धुलाई के पूरे समीकरणों को उन्होंने भांप लिया था।

लिहाजा करप्शन बघेल की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए थे। उनके मुताबिक नौजवानो के ग़ुस्से का शिकार होने से बचाने के लिए पुलिस को एड़ी – चोटी का जोर लगाना पड़ता था। यही नहीं पुलिस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को बचाने के लिए कई मौंको पर आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज भी किया था।

सूत्रों के मुताबिक ऐसी तमाम घटनाओं का ब्यौरा भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि समय रहते बीजेपी ने लोगों का ग़ुस्सा शांत किया और पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षित बिदाई तय कर दी। इस तरह से तत्कालीन मुख्यमंत्री को जनता के ग़ुस्से का हिंसक शिकार होने से पूर्व बीजेपी ने सत्ता की बागडोर थाम ली। उसने CG – PSC और महादेव एप सट्टा घोटाले की जाँच सीबीआई को सौंप कर आम जनता को काफी राहत प्रदान की। जानकारों के मुताबिक इन दोनों घोटालो से प्रभावितो में नौजवानो की संख्या सर्वाधिक है। जबकि कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार बेरोजगारी भत्तों से वंचित पीड़ित नौजवानो की संख्या भी लाखो में बताई जाती है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज के पूरे 5 बरस पूर्व मुख्यमंत्री के घोटालो और नाच – गाने की भेट चढ़ गए। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और नेपाल विरासत को बचाए रखने का एलान कर पूर्व मुख्यमंत्री ने गरीबो को 2 रुपये किलो गोबर बटोरने की योजना में व्यस्त कर दिया था। जबकि उनका गिरोह कोयले की दलाली में कूद गया था। पूर्व मुख्यमंत्री की करीबी उपसचिव सौम्या चौरसिया और कोल माफ़िया सूर्यकान्त तिवारी समेत अन्य की टुकड़ी ने 700 करोड़ के कोल खनन घोटाले को अंजाम दिया था। इसी दौर में 3200 करोड़ का शराब घोटाला भी सामने आया था। इस मामले में जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल जेल की हवा खा रहे है, वही आदिवासी नेता कवासी लखमा को भी उम्र के इस दौर में अपना वक्त जेल की सीखचों के भीतर गुजारना पड़ रहा है।

रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, आईएएस रानू साहू और आईएएस समीर विश्नोई समेत कई अफसरों का भविष्य दांव पर लग चूका है। कई कारोबारी भी कोर्ट – कचहरी के चक्कर काट रहे है। कुछ एक अफसर जमानत प्राप्त कर जैसे तैसे अब अपने आपराधिक प्रकरणों से पीछा छुड़ाने की मुहिम में जुटे है। सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने वालों से पब्लिक मनी की वसूली का मामला नौजवानो के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

राज्य में 5 हजार करोड़ का चांवल घोटाला, 2 हजार करोड़ का गाय – गोबर गौठान घोटाला, 2 हजार करोड़ का हार्टिकल्चर घोटाला, 500 करोड़ का DMF घोटाला समेत भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों में पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल की लिप्तता सामने आई है। IT – ED, सीबीआई, ACB – EOW जैसी एजेंसियां विभिन्न घोटालो की जाँच में जुटी है। सरकारी धन की सुरक्षित वापसी का मामला सुर्खियों में है। जबकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार भ्रष्टाचार पर पुरजोर लगाम लगाने की क़वायतो में जुटी है। उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का एलान कर अपनी राह पकड़ ली है।

प्रदेश की आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने और गुणवत्तापूर्ण कार्यो के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है। भ्रष्टाचार के मामलो से सजग जनता के फैसले अब सड़को पर दिखाई देने लगे है। नेपाल के हालात भारत में भ्रष्ट राजनेता और पीड़ित जनता के आपसी संबंधो की दास्तान के रूप में देखें जा रहे है।