रायपुर/राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में चुनावी बयार बहने लगी हैं। बीजेपी के सभी 11 सीटों पर,उम्मीदवार ताल ठोक कर मैदान में उतर गए हैं। जबकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नही खोले हैं, बावजूद इसके राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। चर्चा है कि राज्य की जनता की आंखों में धूल झोंकने का सपना संजो कर वे अब सांसद बनना चाहते हैं। बताते हैं कि यदि उनका विरोध नही हुआ तो राजनांदगांव लोकसभा सीट से वे अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में जुटे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की अधिकतम सीटें हासिल करना कांग्रेस का लक्ष्य है, लेकिन योग्य उम्मीदवार पार्टी को ढूंढे नही मिल रहे हैं।
ऐसे में विधान सभा चुनाव में जय-पराजय का सामना कर चुके उम्मीदवारों को ही एक बार फिर बीजेपी के आगे परोसने की कवायत जोरों पर है। सूत्रों के मुताबिक भू-पे बघेल के काले कारनामों के चलते ज्यादातर प्रत्याशियों ने चुनाव में खड़े होने से इंकार कर दिया है। उनका मानना है कि हार तय है।उनके मुताबिक पूर्ववर्ती भू-पे सरकार ने भ्रष्टाचार का जो नंगा नाच कर पार्टी की छवि पर कड़ा प्रहार किया है, वो जनता को भूले नही भूलता। वे बताते हैं कि बीते 5 सालों में भू-पे सरकार का प्रदर्शन देख कर कई निष्ठावान कांग्रेसियों ने पार्टी की विचारधारा से ही खुद को अलग कर लिया है। ऐसे में संगठन के भीतर भू-पे को राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर खलबली मच गई है।
चर्चा है कि कई निष्ठावान कार्यकर्त्ता अभी से दावा करने लगे हैं कि राज्य में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके भू-पे की अगुवाई में यदि लोकसभा चुनाव हुए तो पार्टी को फिर बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा। उनका मानना है कि मोदी गारंटी और सिर्फ एक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर वोटिंग होगी। ऐसे में भू-पे को चुनावी मैदान में उतारने से पूरी 11 सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। बताते हैं कि रायपुर ससंदीय सीट में बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल के सामने चुनावी जंग के लिए कोई भी योग्य उम्मीदवार हामी नही भर रहा है। कहते हैं कि पार्टी द्वारा मोटा चुनावी फंड उपलब्ध कराने के आश्वासन के बावजूद संशय की स्थिती है, कांग्रेस को उम्मीदवार ढूंढे नही मिल रहे हैं। रायपुर में बड़ी मुश्किल से पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने हामी भरी है।
यही हाल दुर्ग,बिलासपुर,महासमुंद, रायगढ़,अंबिकापुर, और चांपा-जांजगीर लोकसभा सीट का बताया जाता है। यह भी बताते हैं कि बस्तर में फिर कांग्रेस का सुपड़ा साफ होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक बस्तर के बजाए कांकेर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूर्व मंत्री कवासी लखमा के बेटे को आगे कर दिया गया है। इस इलाके के कई वरिष्ठ कांग्रेसी दावा करते हैं कि बीते 5 सालों में सिर्फ लखमा पिता-पुत्र ही पार्टी से लाभांवित हुए हैं। उन्होंने ही सत्ता का स्वाद चखा है।भू-पे राज में आदिवासियों के साथ छलावा किया गया था, ऐसे में योग्य आदिवासी नेता कांग्रेस पर भरोसा जताने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि भू-पे राज में गोबर, गौधन न्याय योजना में 2000 हजार करोड़ का घोटाला, राजीव मितान क्लब में 200 करोड़ का घोटाला,2200 करोड़ का शराब घोटाला,5000 हजार करोड़ का चांवल घोटाला,3000 करोड़ का कस्टम राइस मिलिंग घोटाला,6 हजार करोड़ का महादेव ऐप घोटाला,600 करोड़ का कोल खनन परिवहन घोटाला,5000 करोड़ का दवा घोटाला,5000 करोड़ का आदिवासी कल्याण विभाग और महिला बाल विकास विभाग में घोटाला, पीएससी घोटाला,5000 हजार करोड़ का वन विभाग के कैंपा फंड में घोटाला, माइनिंग घोटाला,2000 करोड़ का DMF फंड घोटाला,20000 करोड़ का जल-जीवन मिशन घोटाला,2000 करोड़ का विवेक ढांड द्वारा समाज कल्याण विभाग घोटाला और राज्य की जनता के साथ धोखाधड़ी जैसे कई गंभीर आरोप पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे पर हैं।
IT-ED जैसी बड़ी केंद्रीय जांच एजेंसियां भू-पे सरकार के काले कारनामों की जांच में जुटी है। ये एजेंसियां करोड़ों का काला धन जब्त कर रही है। कई अधिकारी और नेता जांच के घेरे में है।छत्तीसगढ़ में बीते 5 सालों में भू-पे सरकार ने सरकारी तिजोरी को जिस तरह से लुटा है, उससे अक्रांता मोहम्मद गजनवी की यादें तरुणताजा हो जाती हैं। छत्तीसगढ़ महतारी के इस प्रदेश और सोमनाथ की गरिमा एक जैसी बताई जाती है।
कई साधु संत इसकी महिमा वर्णित करते हैं। ऐसी पावन धरा ,इस कौशल प्रदेश को जिस किसी नेता ने अपनी कुर्सी का रौब दिखाकर भय और आतंक का राज स्थापित किया, जनता ने उसे तगड़ा जवाब दिया है। ऐसे लुटेरे शासकों को कुर्सी से उतार फैंका गया है। बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे की गति भी यही हुई है। पार्टी के कई समर्पित नेता हालिया विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा सिर्फ भू-पे पर फोड़ रहे हैं।
आम कार्यकर्त्ता बताते हैं कि भू-पे राज में घोटालेबाज अनिल टुटेजा, विवेक ढांड, वन विभाग का कैंपा राव, सौम्या चौरसिया, कुख्यात IPS शेख आरिफ, और आनंद छाबड़ा, की ही तूती बोलती थी। उनके मुताबिक पार्टी के खर्चों के अलावा चुनावी मुद्दे और अपराधों को यही लोग तय किया करते थे।भू-पे के जोर जबरदस्ती समर्थन के लिए विधायकों को रायपुर और दिल्ली में पकड़ के रखना, लाना ले जाना और लालच देना जैसी गतिविधियों को यही चंडाल चौकड़ी अंजाम दिया करती थी।
वे तो सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, आतंक इतना था।उनका मानना है कि काले कारोबार में मुख्यमंत्री कार्यालय के भी शामिल हो जाने से पूरे 5 बरस तक जन कल्याणकारी कार्य के बजाए घोटाले ही घोटाले हुए थे। भू-पे के सरकारी भ्रष्टाचार को जनता अभी नही भूली है। ऐसे में भू-पे बघेल को लोकसभा चुनाव में आगे कर देने से जनता का आक्रोश कांग्रेस के प्रति और बढ़ेगा, भड़केगा,अंदेशा यही जाहिर किया जा रहा है। फिलहाल राजनैतिक गलियारों में छत्तीसगढ़ के मोहम्मद गजनवी को लेकर चर्चाओं का दौर छिड़ गया है।