छत्तीसगढ का मछुआरा आईपीएस सुर्खियों मे, महादेव एप घोटाले और एफआईआर दर्ज-निरस्त करवाने के धंधे में हर माह करोड़ों वसूले, अब ईडी के घेरे में

0
50

दिल्ली/मुंबई /रायपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के आधा दर्जन आई.पी.एस. अधिकारी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गिरोह में किसी आपराधिक किस्म के लठैत के रूप में कार्य कर रहे थे। उनकी कार्यप्रणाली से केन्द्र सरकार और अखिल भारतीय सेवाओं की छवि पर बुरा असर पड़ा है। इन आई.पी.एस. अफसरों में 2005 बैच के अधिकारी शेख आरिफ का नाम अव्वल नंबर पर बताया जाता है। रायपुर रेंज में एस.एस.पी.,आई.जी. और ACB- EOW में बतौर महानिरीक्षक पदस्थ रहते इस अफसर नें पीड़ितों से तो कभी आरोपियों से मोटी रकम उगाही की थी। महादेव एप घोटाले में पुलिस महकमे में सेट रखने की जवाबदारी यह अफसर बखूबी निभा रहा था.रोजाना दफ्तर में बैठकर अवैध वसूली करना, वैधानिक प्रकरणों के खात्में और अवैधानिक प्रकरण दर्ज कर अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करना इसकी नियमित कार्यप्रणाली बन गई थी। नतीजतन राज्य से भूपे सरकार की रवानगी हो गई. हालाकि मौजूदा बीजेपी सरकार ने भी अपना पैर जमाने के लिए इस अफसर ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

राज्य में भू-पे की भ्रष्ट्राचारी सरकार का चेहरा-मोहरा और लठैत बन चुके इस आई.पी.एस अधिकारी पर अब कानून का शिकंजा कसने लगा है। मुंबई से खबर आ रही है कि ईडी के 2005 बैच के उस आई.पी.एस. अफसर की बिदाई हो चुकी है, जो पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और शेख आरिफ के हितों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी विवेचना को प्रभावित कर रहा था।सूत्र बताते है कि शेख आरिफ को उसके एक बैचमेट का अटूट संरक्षण प्राप्त था। इसके चलते राज्य में ईडी की कार्यवाही बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी। बताते है कि इस ईडी अफसर के खिलाफ अब सीबीआई ने ‘पी’दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। वही दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में ईडी की जाँच हर स्तर पर निष्पक्ष और पारदर्शितापूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने के निर्देश दिये गये है। बताते है कि जल्द ही छत्तीसगढ कैडर के कई आईपीएस अफसर अपने कारनामों को लेकर ईडी की गिरफ्त में नजर आयेंगे। पहली कड़ी में 4 आईपीएस और 3 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों का नाम सामने आया है.ईडी ने कई दिनों तक जांच करने के बाद पुख्ता सबूत हासिल किए हैं.

सूत्र यह भी बताते है कि शराब घोटाले, डीएमएफ, खाद्यान्न, कोल खनन परिवहन और महादेव एप्प घोटाले में जांच भटकाने वाले मुंबईया अफसर सेअधिकारियों को मुक्ति मिल गई है। यह जानकारी भी सामने आई है कि अभी तक शेख आरिफ और उसका बैचमेट ईडी की जाँच भटका रहे थे.एक ही प्रकृति के अपराधों में ईडी आरोपी बनाए गए कुछ अपराधी अधिकारियों और कारोबारियों को जेल की सैर करनी पड़ी है, जबकि कई अपनी गवाही और पूछताछ के बाद आजाद बाहर घूम रहें है।

भूपे पुत्र बिट्टू समेत महादेव एप और शराब घोटाले के कई महत्वपूर्ण संदेही बताते है कि शेख आरिफ और उसके बैचमेट की सांठ-गाँठ के चलते ही यह संभव हो पाया था। इसके लिए उन्हे मोटी रकम गवानी पड़ी है.आरिफ के ईडी बैच मैट की कार्यप्रणाली से कई महत्वपूर्ण संदेही सबूत नष्ट करने में जुटे रहे.लेकिन इस मुंबईया अफसर की जांच शुरू होने से पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है.फिलहाल ईडी की कानून संवत कार्यवाही जारी है.कई घोटालेबाजों के खिलाफ EOW में एफआईआर दर्ज कराई जा रही है.ताकि केन्द्र और राज्य सरकारों को हुये आर्थिक नुकसान की भरपाई की जा सके.

यही नही दागी अफसरों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही किए जाने की खबरें सामने आ रही है.छत्तीसगढ़ में भूपे गिरोह में शामिल आधा दर्जन से ज्यादा आईपीएस अधिकारी सरकार और आम जनता पर बोझ बन गये है.इन अफसरों के ठिकानों पर ईडी की छापामार कार्यवाही भी अन्जाम दी गई थी. इनमें से कुछ अफसरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गयी है। जबकि कुछ अफसरों का नाम विभिन्न घोटाले की चार्जशीट में भी शामिल है. इनमें रायपुर के एसएसपी आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, डीआईजी पारूल माथुर और एसएसपी भोजराम पटेल, एएसपी अभिषेक महेश्वरी, एएसपी संजय ध्रुव समेत 5 थानेदारों का नाम सुर्खियों में है. बताते हैं कि राज्य पुलिस सेवा के कई अफसर भी आईपीएस की तर्ज पर खाकी वर्दी पहने दिनदहाड़े लूटपाट और डकैती की घटनाओं को अन्जाम दे रहे थे. इनके खिलाफ अवैध वसूली के कई मामलों को ईडी ने संज्ञान में लिया है.ईडी ने विभिन्न घोटालों की फेहरिस्त में उन पुलिस अधिकारियों का नाम भी दर्ज किया है.

छत्तीसगढ में IT-ED अपनी कार्यवाही को सक्रियता के साथ अन्जाम दे रही है. लेकिन दागी अफसरों के खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन की ओर से होने वाली कार्यवाही ठप्प पड़ी है.छत्तीसगढ शासन द्वारा आखिर कब वैधानिक कदम उठाये जायेंगे,इस ओर लोगों की निगाहे लगी हुई है. ईडी गलियारों में फिलहाल तो रायपुर रेंज के आईजी शेख आरिफ और पूर्व खुफिया प्रमुख आनंद छाबड़ा के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही जल्द किए जाने की चर्चा जोरों पर है.सूत्र बताते हैं कि शेख आरिफ ने छत्तीसगढ, लखनऊ और पुणे में कई बोगस नामों से जमीनों की खरीद फरोख्त की है. इसमें करीब 200 एकड़ के रकबे में मछली पालन, मुर्गी पालन और गोडाउन बनाने का प्लान भी मूर्त रुप ले रहा है. सूत्र बताते हैं कि महादेव एप घोटाले में फंसे चार्टर्ड एकाउंटेंट फरहान और उमेर से इन जमीनों के व्यावसायिक इस्तमाल की कार्ययोजना बनाई गई थी. यह भी तथ्य सामने आया है कि महादेव एप घोटाले से मिलने वाली मोटी रकम का निवेश रियल एस्टेट कारोबार में भी किया गया है.

कई पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं नें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार को इन पुलिस अफसरों के काले कारनामों से अवगत कराते हुये शिकायतें भी सौंपी है. इधर दागी अफसर अपने काले कारनामों से बचने के लिये अब बीजेपी सरकार में अपना नया ठिकाना और रहनूमां ढूँढ रहे है. हालिया स्थानांतरण सूची में आईपीएस छाबड़ा को पीएचक्यू स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि शेख आरिफ अपने पद पर अभी भी डटे हुये है.उधर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किए गए एएसपी अभिषेक महेश्वरी ने डीजीपी कार्यालय का महत्वपूर्ण कामकाज संभाल लिया है.सूत्र बताते हैं कि मौजूदा बीजेपी सरकार की कई महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज इस दागी अफसर के संज्ञान में लाए जाएंगे.

बीजेपी सरकार के लिए यह खतरे की घंटी साबित हो सकती है.बताते है कि कांग्रेस और भू-पे के निर्देश पर शेख आरिफ ने बीजेपी के कई नेताओं के दरवाजों पर मत्था टेकना भी शुरू कर दिया है ताकि अपनी कुर्सी बचाई जा सके. घोटालेबाज भूपे की रणनीति के तहत उसके निष्ठावान अफसरों द्वारा मौजूदा बीजेपी सरकार में समीकरण बिठाये जा रहें है, घुसपैठ जारी है.बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय मे पदस्थ एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिले अभयदान के बाद शेख आरिफ के अलावा उनकी आईएएस पत्नि शम्मी आबिदी को भी माकूल ठिकाना मुहैया हो गया है. पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल में इस आईएएस-आईपीएस दंपत्ति ने कई बड़े घोटालों को अंजाम दिया है. इनकी पुख्ता शिकायतों के बावजूद जनता से जुड़े महत्वपूर्ण विभागों में दागी अफसरों की तैनाती देखकर जनता भी हैरत में हैं.