रायपुर / कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का एक ट्वीट सिर्फ पीएम मोदी नहीं बल्कि उनकी अपनी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को भी मुंह चिड़ा रहा है | इसमें राहुल ने साफतौर पर उन लोगों को तंज कसा है जो आपदा में कमाई के अवसर ढूंढ रहे है | लेकिन कमाई सरकारी खजाने में जाए तो कोई बुराई नहीं , क्योंकि यह कमाई फिर जनता के कल्याण में खर्च होगी | लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां कांग्रेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है , वहां के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्ट्राचार का बोलबाला दिखाई दे रहा है | गंभीर बात यह है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मामले की तह में जाने के बजाये उसे रफा-दफा करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे है | इसकी वजह क्या हो सकती है , इसका अंदाजा आप लगा सकते है | उन्होंने इस संबंध में प्रकाशित समाचार को लेकर अपने एक कार्यकर्ता के जरिये न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ के खिलाफ जोर जबरदस्ती फेक न्यूज का दावा कर FIR दर्ज करवा दी |
उधर रायपुर का एसपी बनने के चक्कर और मंत्री जी की गुड बुक में आने के लिए जिले के एसपी ने भी बगैर ओपचारिकताएं पूर्ण किये FIR दर्ज कर दी | मामले को लेकर न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने बिलासपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया | अदालत ने न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ की याचिका पर पुलिस और सरकार को नो कोरेसिव एक्शन के निर्देश दिए है |
हमारी ओर से अदालत में पैरवी करने वाले वरिष्ठ वकील महेंद्र दुबे के मुताबिक तमाम साक्ष्यों के बावजूद पुलिस के FIR दर्ज करने के तौर तरीकों पर अदालत ने ना केवल हैरानी जताई बल्कि ऐसी FIR दर्ज करने को लेकर फटकार भी लगाई | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय , DOPT और छत्तीसगढ़ पुलिस के आलाधिकारियों को अवगत कराया है कि बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक ने अवैध रूप से फोन टेपिंग की घटनाओं को कैसे बेशर्मी से स्वीकार किया | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ प्रदेश में चल रहे अवैध फोन टेपिंग के मामले का जल्द ही खुलासा भी करेगा |
बहरहाल पहले आप उस तंज को समझिये जो राहुल गाँधी ने भले ही केंद्र पर कसा हो लेकिन यह तंज उनकी छत्तीसगढ़ सरकार पर भी कही ज्यादा प्रभावी दिखाई देता है | यही नहीं फिर गौर कीजिये कि राज्य के कथित राजा और अरबपति कैबिनेट मंत्री की कार्यप्रणाली किस तरह की है | दो दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है , जिस पर काफी चर्चा हो रही है | राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है कि बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफ़िट ले सकते हैं – आपदा को मुनाफ़े में बदल कर कमा रही है ग़रीब विरोधी सरकार |’ यह ट्वीट छत्तीसगढ़ में किस तरह से फिट बैठ रहा है , इसकी बानगी देखिये सबूतों सहित | यह भी गुजारिश है कि छत्तीसगढ़ सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस मामले की जांच जरूर कराए |
दरअसल न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने पूर्ण जिम्मेदारी , सजगता और पत्रकारिता के कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए समाचार “आईसीएमआर ने जिस कंपनी एचडी बायोसेंसर को अयोग्य घोषित किया वही छत्तीसगढ़ में करेगी कोरोना टेस्ट किट की सप्लाई , लोगों की जान जोखिम में” शीर्षक का समाचार प्रकाशित किया था | इस संबंध में पूर्ण वैधानिक तथ्य दस्तावेज सहित आप अभी पाठकों और सरकार के अवलोकनाथ संलग्न किये जा रहे है | संदिग्ध मामले की लंबाई चौड़ाई नेता जी की कद काठी की तरह है | अतः इसे किश्तों में प्रकाशित करना पड़ रहा है | लिहाजा रूबरू होईये पहली किश्त से |
रैपिड किट खरीदी के लिए पहला टेंडर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 07.04.2020 को जारी किया गया था | यह टेंडर 10.04.2020 को फाइनल हुआ था | इसमें 6 कंपनियों ने हिस्सा लिया था | इनमे से 3 कंपनियां “एलिजिबिल” पाई गई | जबकि 3 कंपनियां “नॉट एलिजिबल” पाई गई थी | टेंडर में शर्त रखी गई थी कि किट सप्लाई करने वाली कंपनी ICMR (Indian Council of Medical Research) से APPROVED होना चाहिए | टेंडर खुलने पर SD BIOSENSOR HELTHCARE PVT. LTD अयोग्य पाई गई थी | सीरियल नंबर – 4 पर सरकारी दस्तावेज में उसका स्टेटस “नॉट एलिजिबल” दर्ज है | संलग्न (दस्तावेज नंबर – 01 एवं 02)
स्वास्थ्य विभाग ने बगैर किसी ठोस कारण को जनता के बीच जाहिर किये इस टेंडर को 12.04.2020 को निरस्त कर दिया गया | इसके बाद दिनांक – 13. 04. 2020 को रैपिड किट की खरीदी के लिए री-टेंडर जारी किया गया | 16.04.2020 को इसे फाइनल होना था | इस टेंडर में मूल रूप से शर्त रखी गई थी कि सप्लाईकर्ता कंपनी को सिर्फ ICMR से APPROVED होना चाहिए | हैरत की बात है कि दिनांक 14.04.2020 को छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग (CHHATTISGARH MEDICAL SERVICES CORPORATION LTD) ने गुपचुप तरिके से AMMENDMENT-2 LETTER जारी किया | इसमें ICMR के अलावा एक अन्य संस्थान CE-IVD से भी APPROVED होने की शर्त जोड़ दी गई | ताकि SD BIOSENSOR HELTHCARE PVT. LTD को मौका मिल सके | इस टेंडर में उक्त कंपनी ने (L-1) के आधार पर लगभग ढाई करोड़ की किट सप्लाई करने की प्रक्रिया शुरू की | यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि देश में कोविड-19 से लड़ने के लिए भारत सरकार की ICMR की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है | ऐसे में CE-IVD नामक संस्था से APPROVED होने की शर्त जोड़ना संशय पैदा करता है | दरअसल महामारी के दौरान पहले टेंडर में ही उपयुक्त वस्तुओं की खरीदी की जानी चाहिए थी | ताकि संक्रमण को फौरन रोका जा सके | लेकिन पहले टेंडर को निरस्त कर दुबारा टेंडर करना और तीसरी बार उसमे AMMENDMENT करना खरीदी प्रक्रिया पर सवालियां निशान लगाता है | (संलग्न दस्तावेज क्रमांक – 03-04-05)
यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि दिनांक 11 अप्रैल 2020 को ICMR ने अपनी वेब साइट पर “RAPID TEST KIT ARE NOT CONSIDERED DUE TO LACK OF ONE OR MORE OR ALL OF THE REASONS CITED BELOW” दर्शाकर कॉलम – 16 पर SD BIOSENSOR कंपनी का नाम दर्ज किया था | (संलग्न दस्तावेज क्रमांक – 06)
यह तथ्य बेहद गंभीर और गौर करने वाला है कि लगभग ढाई करोड़ की रैपिड किट की खरीदी के टेंडर में अफसरों ने उस किट की जांच को लेकर कोई शर्त नहीं रखी | इस रैपिड किट की सप्लाई का ऑर्डर बगैर टेस्ट प्रक्रिया से गुजरे आपूर्तिकर्ता कंपनी SD BIOSENSOR को दे दिया गया | रैपिड किट की सप्लाई से पूर्व किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज या संदिग्ध मरीज की नमूना जांच नहीं की गई | जबकि एम्स रायपुर समेत अन्य जिलों में कोरोना संक्रमित मरीज अस्पतालों में भर्ती थे | यह गौरतलब है कि कोई व्यक्ति 10 रूपये की पेन की खरीदी करता है , तो उसे देख परख कर लेता है | लेकिन लगभग ढाई करोड़ की रैपिड किट की खरीदी बगैर किसी जांच प्रक्रिया से गुजरे की गई | यह जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा कदम है | इस किट की सप्लाई होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसे विभिन्न जिलों में वितरित किया | छत्तीसगढ़ में रैपिड किट ने कई इलाकों में “फाल्स पॉजिटिव” केस दिए | अर्थात कई स्वस्थ व्यक्तियों को भी इस रैपिड टेस्ट किट ने कोरोना संक्रमित दर्शा दिया | ऐसे कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों का जब “आरटी-पीसीआर” टेस्ट हुआ तो वे नेगेटिव पाए गए | यह उन व्यक्तियों और उनके परिवार के लिए काफी जोखिम भरा समय था , जो स्वस्थ होते हुए भी रैपिड किट टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाए गए | शेष समाचार अगली कड़ी में सबूतों सहित :