रायपुर / जिले में अब बच्चों को सुपोषण थाली के भोजन की महक घर से आंगनबाड़ी केंद्रों खींच कर ला रही है । आंगनवाड़ी केंद्रों पर दीदी बच्चों को हाथ धुलवा कर पोषण थाली देती है जिससे बच्चे खूब मजे लेकर खाते है|
पर्यवेक्षक रीता चौधरी बताती है:“आंगनबाड़ी केंद्रों पर शासन द्वारा जारी कोविड-19 दिशा निर्देशों का पालन करते हुए कार्य किया जा रहा है । बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण थाली देने से पूर्व हाथों को अच्छे से धुलवाया और सैनिटाइज करवाया जाता है । साथ ही गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं का वज़न भी नियमित लिया जा रहा है ।
पोषण थाली में दाल, चावल, रोटी रासेवाली मिक्स सब्जी, हरी भाजी, आचार, पापड़, सलाद में खीरा मूली, टमाटर, गाजर, हरी धनिया, नीबू , अंकुरित अनाज आदि में प्रोटीन के स्रोत प्रचुर मात्रा में रहता है। आंगनबाड़ी केंद्र से छह माह से तीन वर्ष, तीन वर्ष से छह वर्ष, गर्भवती,धात्री और किशोरियों के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखा जाता है । वही गर्भवती को महतारी जतन के तहत गर्म भोजन में संपूर्ण थाली परोसी जाती है , जिसमें दाल, चावल, रोटी, हरी सब्जी,रासेदार सब्जी,अचार,पापड़,सलाद अंकुरित दालें, आंगनबाड़ी में खिलाया जाता है और घर पर भी सभी सम्पूर्ण आहार को खाने को कहा जाता है ।
उन्होंने बताया “भोजन में ऐसे तत्वों को शामिल किया जाना चाहिए जिनमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन आदि मिल सके। टेक होम राशन (टीएचआर) को विविध रूपों में खाने का तरीका भी है । घर पर बच्चों को खाना अलग प्लेट या थाली में दे, जिससे पता चलता रहेगा आपके बच्चे ने कितना खाना खाया है। बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रतिदिन सारणी के अनुसार भेजें, साथ ही पढ लिखकर और पौष्टिक आहार खाकर वह कुपोषण से बच सकेंगे”।
सुपोषित भोजन क्यों जरुरी
शरीर को स्वस्थ्य रखने में पोषक तत्व का अहम रोल होता है। जब कोई महिला गर्भवती होती है तो पोषण बच्चे के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गर्भ में पल रहा बच्चा अपनी माता से गर्भ नाला द्वारा पोषण प्राप्त करता है। गर्भवस्था के दौरान महिलाओं का खान पान सही होना बहुत जरूरी है। अगर माता में पोषण की कमी या संक्रमण हुआ तो इसका सीधा असर बच्चे के मस्तिष्क और उसके शरीर के विकास पर पड़ सकता है।