
दिल्ली / रायपुर : – छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के गठन के बाद राज्य सरकार को एक अदद चीफ सेकेट्री और DGP की तलाश है, लेकिन डेढ़ साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद उसकी ये मनोकामना अब तक पूरी नहीं हो पाई है ? कब पूरी होगी ? कुछ नहीं कहा जा सकता। इस वक्त यह प्रदेश मौजूदा चीफ सेकेट्री के एक नए दंश से दो – चार हो रहा है। जबकि पूर्णकालिक DGP के लिए भी इस राज्य को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है। नतीजतन नौकरशाही की मायूसी लगातार बढ़ती जा रही है।

प्रदेश के पहले ”कामचलाऊ” चीफ सेकेट्री बगैर किसी योग्य और वरिष्ठ अधिकारी को चार्ज सौंपे बगैर विदेश प्रवास पर है। इस महत्वपूर्ण सरकारी दौरे की अवधि और कार्यक्रम काफी पूर्व तय हो जाने के बावजूद भी चीफ सेकेट्री का किसी भी योग्य अफसर को कार्यभार सौंपे बगैर विदेश यात्रा पर चले जाना किसी चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है। मंत्रालय में कई बैठकों और सरकारी कार्यो में चीफ सेकेट्री के दिशा – निर्देश काफी महत्वपूर्ण साबित होते है। कई विभागों के जिम्मेदार अधिकारी इन दिनों चीफ सेक्रेटरी की गैरमौजूदगी देखकर हैरानी जता रहे है। बताया जाता है कि चीफ सेक्रेटरी की अनुपस्थिति के चलते कुछ बैठकें आगामी आदेश तक टाल दी गई है। मंत्रालय में अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय है कि चीफ सेकेटरी के साथ उनके जातीय बंधू और कांग्रेस के एक पूर्व विधायक के कारोबारी पुत्र भी उस प्रतिनिधिमंडल के साथ मौजूद है, जो इन दिनों विदेश प्रवास पर छत्तीसगढ़ में निवेश को लेकर माहौल तैयार करने में जुटा है।

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 21 से 31 अगस्त तक जापान और दक्षिण कोरिया के प्रवास पर है। उनके साथ अधिकारीयों का एक प्रतिनिधि मंडल भी विदेश प्रवास पर बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि रिटायरमेंट प्राप्त चीफ सेकेट्री इस बार भी ग़ैर जिम्मेदारी का परिचय देते हुए बगैर कार्यभार सौंपे इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बन गए है। आमतौर पर नियमो के तहत विदेश यात्रा के दौरान कार्यभार सौंप कर ही सरकारी अधिकारी सात समुन्दर पार उड़ान भरते है, लेकिन राज्य के मौजूदा चीफ सेकेट्री कायदे – कानूनों से ऊपर आंके जा रहे है। कांग्रेस सरकार की रवानगी के बाद चीफ सेकेट्री के भी कार्यकाल के ख़त्म होने की गुंजाइश जाहिर की जा रही थी। लेकिन प्रदेश की बीजेपी सरकार ने कांग्रेस राज में नियुक्त चीफ सेकेट्री पर भरोसा जताते हुए ना केवल उनकी कुर्सी यथावत बचाए रखी बल्कि 3 माह का सर्विस एक्सटेंशन प्रदान कर उनकी काबिलियत पर पूरा भरोसा जताया था।

एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश के मौजूदा चीफ सेकेट्री का सर्विस एक्सटेंशन अगले माह ख़त्म हो जायेगा। जबकि राजनैतिक खेमों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश की बीजेपी सरकार मौजूदा चीफ सेकेट्री को दूसरी बार सेवा – विस्तार देकर उपकृत करने की तैयारी में जुटी है। इसका ताना – बाना एक बार फिर बुना जा रहा है। मौजूदा CS के बगैर प्रभार सौंपे विदेश प्रवास की बानगी को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा सरगर्म है कि ”कमाऊ पूत” कितना भी भ्रष्ट क्यों न हो ? उसकी जरुरत हर एक राजनैतिक दल को है, सत्ताधारी दल का रिटायर CS से मोह प्रशासनिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

दावा तो यह भी किया जा रहा है कि मौजूदा चीफ सेकेट्री का प्रशासनिक नेतृत्व कांग्रेस की तर्ज पर बीजेपी सरकार को भी नई उचाईयां प्रदान कर रहा है। उनकी कार्यप्रणाली एक सरीखी है, कांग्रेस भी खुश, बीजेपी सरकार भी गदगद। राजनीति के जानकारों को अंदेशा है कि प्रशासनिक क्षमता के धनी रिटायर चीफ सेक्रेटरी कांग्रेस राज की तर्ज पर कही सत्ताधारी दल के लिए चुनौती न बन जाये ? सरकार का हनीमून पीरिएड बीते महीनों गुजर चुके है, जनता से किये गए वायदों पर खरा उतरने के लिए एक अदद चीफ सेकेट्री की तलाश लम्बी हो चली है। मौजूदा चीफ सेकेट्री को दूसरी बार महत्वपूर्ण पद पर बनाए रखने की मुहीम भविष्य में क्या रंग दिखाएगी ? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन योग्य अफसरों की मौजूदगी के बावजूद विदेश प्रवास के दौरान भी कुर्सी से चिपके रहने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। नौकरशाही इस मामले को लेकर नई कठिनाई के दौर से गुजर रही है।

प्रदेश में भ्रष्टाचार और घोटालों की लम्बी फेहरिस्त में तमाम गंभीर आरोप प्रशासनिक महकमें के शीर्ष अधिकारी चीफ सेकेट्री पर भी बताये जाते है। लेकिन चीफ सेकेट्री के कार्यालय तक पहुंचने से पहले ही जाँच एजेंसियों के हाथ बांधे जाने की जानकारियां भी सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक राज्य के रिटायर चीफ सेकेट्री को बीजेपी के कद्दावर सजातीय राजनेता का आशीर्वाद प्राप्त है। इसके चलते न केवल मौजूदा प्रशासनिक व्यवस्था में कई कुपात्र अधिकारीयों की भूमिका सुनिश्चित कर दी गई है, बल्कि उन पर उच्च स्तर पर राजनैतिक कृपा भी बरस रही है। इसके प्रभाव से भले ही प्रदेश की आम जनता ग्रसित हो लेकिन कमाऊ पुतो की तूती बोल रही है। दरअसल, भू – पे राज के दौरान अंजाम दिए गए तमाम बड़े घोटाले में मौजूदा चीफ सेकेटरी का कुशल प्रशासनिक नेतृत्व भी जिम्मेदार बताया जाता है।
प्रदेश के मौजूदा चीफ सेकेट्री के दिशा – निर्देशों के बैनर तले ही आरोपियों ने कई घोटालों को अंजाम दिया था। विधानसभा चुनाव के दौरान सत्ताधारी दल के खिलाफ बीजेपी ताल ठोक के खड़ी थी। इस मामले में प्रदेश में अब गजब की राजनीति परवान चढ़ रही है। उसके शासन काल में मौजूदा चीफ सेक्रेटरी की रहनुमाई में डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त गुजर चूका है, शेष वर्ष प्रगति पर है। इन वर्षो में विधानसभा में कानून व्यवस्था से लेकर सरकारी योजनाओं की विफलताओं को लेकर विपक्ष बीजेपी पर आक्रामक तेवर दिखा रहा है। जनोपयोगी योजनाओं की कामयाबी और पार्टी घोषणा पत्र के वायदों को पूरा करने का दारोमदार चीफ सेक्रेटरी के कंधों पर बताया जाता है। ऐसे जिम्मेदारी से परिपूर्ण पद के लिए योग्य अफसरो के बजाय रिटायर अधिकारी को एकतरफा अवसर प्रदान करने का मामला प्रदेश के हितों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में योग्य अफसरों की कोई कमी नहीं है। छत्तीसगढ़ कैडर में 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्लै, 1992 बैच के सुब्रत साहू, 1994 बैच की ऋचा शर्मा, 1994 बैच के मनोज पिंगुआ और इसी बैच के वरिष्ठ आईएएस सुबोध सिंह की गिनती योग्य अफसरों में होती है। बावजूद इसके ऐसे अफसरों को दरकिनार कर प्रभार अंतरण न करने का मामला गंभीर और अनुशासनहीनता के दायरे में बताया जा रहा है। एक वरिष्ठ अफसर ने इस मामले में अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त के साथ दावा किया है कि बीजेपी सरकार की आंखों का तारा बने, मौजूदा चीफ सेक्रेटरी की प्रशासनिक बेरुखी शासन – प्रशासन पर भारी पड़ रही है। यह भी बताया जाता है कि विदेश यात्रा की समाप्ति के बाद नए चीफ सेकेट्री की ताजपोशी तय होगी या नहीं ? कहना मुश्किल है, उनके मुताबिक राजनैतिक हस्तक्षेप से प्रशासनिक व्यवस्था दिनों – दिन लचर हो रही है, योग्य और अनुभवी चीफ सेक्रेटरी प्रदेश की पहली जरुरत है। फ़िलहाल, मामला गरमाया हुआ है।