भोपाल/जबलपुर: मुंबई में प्रसिद्ध सिने अभिनेता सैफ अली खान स्वास्थ्य होते ही घर में आराम फरमा रहे है। लेकिन घर लौटते ही एक सालों पुराने विवाद से उनका सामना हुआ है। पटौदी परिवार की 15 हज़ार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के साथ-साथ ‘नवाब’ की पदवी छीनने का उन पर खतरा मंडराने लगा है। इस नई मुसीबत से पटौदी परिवार को फ़िलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
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दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस स्टे को ख़ारिज कर दिया है, जिसके चलते पटौदी परिवार की अरबों की संपत्ति के मालिकाना हक़ को लेकर सालो से विवाद छिड़ा था। इस संपत्ति पर मध्यप्रदेश सरकार काफी पहले से ही अपना दावा करते आ रही थी। लेकिन अब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर ने इससे जुड़ी उस याचिका पर से स्टे हटा दिया है, जिस पर अभी तक पटौदी परिवार उनकी रिहासत और चल-अचल संपत्ति का पुश्तैनी दावा किया करता था।
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मध्य प्रदेश में पटौदी परिवार की 15 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी जब्त हो सकती है। इसमें अल-सबह पैलेस, नूर-ए-सभा भोपाल और सीहोर समेत आसपास के कई जिलों की कई ऐतिहासिक संपत्तियां शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में तत्कालीन बीजेपी-कांग्रेस की समय-समय पर सत्तारूढ़ सरकार ने इन सम्पत्तियों पर अपना दावा किया था। ये सम्पत्तियाँ उन लोगों की थी, जिन्होंने 1947 में भोपाल छोड़ पाकिस्तान में अपना ठिकाना बना लिया था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के इस दौर में हज़ारों लोगों ने भोपाल-सीहोर और उसके आसपास के इलाकों से पलायन कर सीधे पाकिस्तान का रुख कर लिया था। वे फिर कभी हिन्दुस्तान नहीं लौटे।
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केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक 1968 में बने शत्रु संपत्ति कानून के तहत विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले लोगों की भारत में छोड़ी गई संपत्तियों पर केंद्र सरकार का हक प्रमाणित किया गया था। आज भी यह कानून प्रभावशील है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने 25 फरवरी, 2015 को शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत राजस्व विभाग को पटौदी परिवार की संपत्ति राजसात करने का आदेश दिया था। बताया जाता है कि सैफ के पिता नवाब पटौदी और उनके वकीलों ने केंद्र सरकार के इस फैसले को सालों पहले चुनौती भी दी थी।
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कई वर्षों से यह मामला अलग-अलग याचिकाओं के दायर होने के बाद अदालत में विचाराधीन रहा। इससे जुड़ी एक याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सालों से जारी स्टे को हटा दिया है। यही नहीं स्टे जारी रखने को लेकर नियत 30 दिन का अपील करने का समय भी बीते पखवाड़ा बीत चूका है। बताया जाता है कि अपील दायर करने की अवधि 14 जनवरी को खत्म हो गई है।
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लेकिन सैफ अली खान की ओर से इस प्रकरण पर कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं किये जाने से संपत्ति जब्ती को लेकर सुगबुगुहाट तेज हो गई है।जानकारी के मुताबिक संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में इस संपत्ति विवाद को लेकर जमकर खींचतान मची थी। इसके चंद महीनों बाद ही 1 नवंबर 2001 को मध्यप्रदेश से विभाजित हो कर नए राज्य छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। नए राज्य की स्थापना के साथ ही दोनों प्रदेशों के बीच संपत्ति बंटवारे को लेकर महीनों गतिरोध भी कायम रहा।
इस दौरान भोपाल में पदस्थ पत्रकार सुनील नामदेव ने शत्रु संपत्ति कानून को लेकर इस विवाद को जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद हरकत में आई तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने अदालत में इन संपत्ति की जब्ती को लेकर अपना पक्ष रखा था। लेकिन मामला अदालत में लटका रहा। इसके चलते पटौदी परिवार के कब्जे वाली कुल संपत्ति में छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी तय नहीं हो पाई थी। लेकिन अब स्टे हटने के बाद इस संपत्ति पर छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित मानी जा रही है।
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एक जानकारी में न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने बताया कि वर्ष 2002-03 में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजित जोगी ने पटौदी परिवार की इस संपत्ति पर प्रदेश की दावेदारी सुनिश्चित करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों से मुलाकात भी की थी। लेकिन मामला अदालत में विचाराधीन होने के चलते लंबित रहा था।
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उनके मुताबिक मौजूदा दौर में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों ही प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है। लिहाजा प्रदेश के हितों को लेकर छत्तीसगढ़ अपनी हिस्सेदारी की मांग मध्यप्रदेश से कर सकता है। उन्होंने बताया है कि इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर, 2024 को स्टे हटा लिया है। हाईकोर्ट से स्टे हटने के बाद कानून के जानकार जता रहे है कि मध्यप्रदेश स्थित पटौदी परिवार की 15 हजार करोड़ की संपत्तियां जब्त हो सकती हैं।
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उनके मुताबिक नियमों के तहत यदि ऐसा होता है तो सैफ का नवाब का टाइटल भी छिन सकता है। शत्रु संपत्ति के अनुसार सरकार अधिनियम 1968 के तहत इन पर कब्जा कर सकती है। भोपाल के नवाब की प्रमुख संपत्तियों में फ्लैग स्टाफ हाउस, अहमदाबाद पैलेस और नूर-ए सभा, अल-सबह पैलेस जैसी कई ऐतिहासिक संपत्तियां शामिल हैं।
1968 में बने शत्रु संपत्ति कानून के तहत विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले लोगों की भारत में छोड़ी गई संपत्तियों पर केंद्र सरकार का हक है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने 25 फरवरी, 2015 को शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत राजस्व विभाग को पटौदी परिवार की संपत्ति राजसात करने का आदेश दिया था। फ़िलहाल, नवाब की संपत्ति को लेकर क़ानूनी जंग किस मोड़ पर जाएगी ? अब यह देखना गौरतलब होगा।