नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ भारत सरकार की कार्यवाही सुर्ख़ियों में है। केंद्रीय जांच एजेंसियां इस राज्य में बखूबी अपने कार्यों को अंजाम दे रही है। इस दिशा में भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ की परिकल्पना के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी-जान से जुटे हुए है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के खिलाफ कभी लाल किले तो कभी संसद के अंदर-बाहर दिए गए वक्तव्यों-घोषणाओं को अमल में लाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों ने भी मैदानी कार्यवाही शुरू कर दी है। नतीजतन, इस राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की पहल जोरो पर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ऐलान कर चुके है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ नक्सलवाद मुक्त प्रदेश बन जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश को भ्रष्टाचार के मोर्चे से भी मुक्त करे की पहल जोरो पर है।
छत्तीसगढ़ में आईटी-ईडी और सीबीआई समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों को आशातीत सफलता प्राप्त हो रही है। कई महत्वपूर्ण मामलों में एजेंसियां अपना पेशेवर रुख दिखा रही है, इसके चलते घोटालेबाजों की नींद हराम है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय केंद्र सरकार की नीतियों और दिशा निर्देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घोटालों और अनियमितताओं के खुले पिटारे पर क़ानूनी कार्यवाही करने में जुटे है। उनकी मंशा से माना जा रहा है कि साल भर के भीतर कई भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों को उनके असल ठिकाने मतलब जेल में दाखिल करा दिया जायेगा। यही नहीं जो लूटा है, उसे लौटाना होगा की तर्ज पर सरकारी संपत्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। राज्य में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद भ्रष्टाचार के नए आयामों पर भी शिकंजा कसने लगा है।
राज्य में नहीं बचेंगे भ्रष्टाचारी का शंखनाद कर मुख्यमंत्री साय ने कानून का राज स्थापित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राजनीति के जानकार तस्दीक करते है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी के हौंसले साय-साय दिखाई दे रहे है। सरकार को अब दबे-छिपे घोटालेबाज भी साफ-साफ नजर आ रहे है। जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को अपने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे की काली करतूतों के चलते बगले झांकना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार के मोर्चे पर जहाँ कांग्रेस की साख पर बट्टा लगा है, वही प्रदेश में कांग्रेस राज के सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटालों के 5 साल, जनता को भुलाए नहीं भूल रहे है। हालत यह है कि सत्ताधारी दल के आरोपों और जांच एजेंसियों के सबूतों के सामने कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को भी जवाब देते नहीं बन रहा है। राजनैतिक स्वार्थ के चलते अंजाम दिए गए तमाम अपराधों से अब ऐसे नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे से किनारा करना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस राज के इस दौर में तत्कालीन भूपे सरकार ने सिर्फ घोटालों और भ्रष्टाचार के ना केवल नए रिकॉर्ड बनाये बल्कि प्रदेश के विकास की नींव तक हिला दी। इन वर्षों में जनता के साथ कांग्रेस का वादा-दावा भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया था। राजनीति के जानकारों के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल की कारगुजारियों से प्रदेश में कांग्रेस की कमर टूट चुकी है। कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं को सत्ताधारी दल के सामने ही नहीं अपितु आम जनता के बीच जवाब देना तक मुश्किल हो रहा है।
उनके मुताबिक मौजूदा दौर में नया कांग्रेस नेतृत्व ही पार्टी को मुश्किलों से उबारने में सहायक साबित हो सकता है। उधर शराब घोटाले, CGPSC घोटाला, चावल घोटाला, महादेव ऐप सट्टा घोटाला, DMF फंड घोटाला, कोल खनन परिवहन घोटाला, गाय-गोबर और गौठान घोटाला समेत भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले जांच एजेंसियों के मुँह बाएं खड़े है, तमाम मामलों की जांच जारी है। एजेंसियों को मय सबूत आरोपियों कों धर-दबोचने में बड़ी कामयाबी मिल रही है। पीएससी घोटाले के नए सात आरोपियों की अदालत ने रिमांड बढ़ा दी है। इन सभी को मंगलवार को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था।
कोर्ट ने सभी की एक दिन की न्यायिक रिमांड बढ़ा दी है। सीबीआई ने 29 जनवरी तक की रिमांड मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने एक दिन की रिमांड बढ़ाई है। कोर्ट में पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामम सिंह सोनवानी, उनके भतीजे नितेश सोनवानी व साहिल सोनवानी, उद्योगपति श्रवण गोयल, उनके बेटे शशांक गोयल व भूमिका कटियार, तत्कालीन डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर ललित गणवीर को पेश किया गया था। इधर महादेव ऐप सट्टा प्रकरण की ईओडब्ल्यू से सीबीआई ने केस डायरी अपने हाथों में ले ली है। दिल्ली से सीबीआई की स्पेशल टीम जांच-पड़ताल के लिए रायपुर भेजी गई है। इस घोटाले में कमीशन और प्रोटेक्शन मनी के रूप में लाभ कमाने वाले आईपीएस अधिकारियों और भूपे गिरोह के बचे-कूचे सदस्यों पर एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है। सूत्रों के मुताबिक सट्टा पैनल ऑपरेटर, हवाला कारोबारी और कई रियल एस्टेट में रकम निवेश करने वाले कारोबारियों पर सीबीआई की नजर है।
कांग्रेस सरकार के दौर में प्रभावशाली आईपीएस अधिकारी शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अजय यादव, प्रशांत अग्रवाल, ASP अभिषेक माहेश्वरी, ASP संजय ध्रुव समेत कई संदेहियों के खिलाफ पुख्ता कार्यवाही के आसार नजर आ रहे है। सट्टेबाजी एप के एक प्रमोटर ने दुबई से वीडियो जारी कर दावा किया था कि रायपुर में पदस्थ पुलिस के आलाधिकारियों और नेताओं को महादेव ऐप सट्टा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए प्रति माह लाखों में भुगतान किया जाता था। ईडी ने 2022 में ECIR दर्ज कर सट्टेबाजी के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, शुभम मोनी, अतुल आप्रवाल को आरोपी बनाया था। कई रसूखदार आईपीएस अधिकारियों की लॉबी ने जांच शुरू होने के बाद उसे ठप करवा दिया था। इसके लिए कई क़ानूनी दांवपेच अपनाए गए थे।
2200 करोड़ के शराब घोटाले में जिसके खिलाफ भी साक्ष्य मिलेगा, उसे आरोपी बनाने के साथ-साथ गिरफ्तारी का ऐलान ED ने अदालत में किया है। शराब घोटाले में आरोपी अनवर और टुटेजा के आवेदन पर अपना पक्ष रखते हुए ED ने कहा कि शराब घोटाले में जिसके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य मिलेगा उसे आरोपी बनाया जाएगा। इसके साथ ही जांच में सहयोग और पूछताछ के लिए उपस्थिति दर्ज नहीं कराने पर संदेहियों की गिरफ्तारी होगी। इस मामले में जेल भेजे गए अनवर ढेबर और पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा की ओर से लगाए गए आवेदन पर ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक सौरभ पांडेय द्वारा सोमवार को विशेष न्यायाधीश के समक्ष अपना जवाब पेश किया था।
अब इस प्रकरण की सुनवाई 25 जनवरी को होगी। वही, आरोपियों के इसी आवेदन पर एसीबी कोर्ट में 1 फरवरी तथा शराब घोटाले के मूल प्रकरण में एसीबी कोर्ट में 13 फरवरी को सुनवाई होगी। बता दें कि 2161 करोड़ के शराब घोटाले में अनवर ढेबर, रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉपेरिशन लिमिटेड के पूर्व एमडी अरूणपति त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास, प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के डायरेक्टर विधु गुप्ता, अकाउंटेंट सुनील दत्त और स्टेट हेड दिलीप पांडे को आरोपी बनाया गया है। इसमें नकली होलोग्राम मामले के आरोपी भी शामिल हैं। 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले की जांच भी सीबीआई को सौंपे जाने की सुगबुगुहाट तेज है।
ईओडब्ल्यू और एसीबी की विशेष न्यायाधीश की अदालत में कोयला घोटाले की सुनवाई 25 मार्च को होगी। सोमवार को इस प्रकरण में जेल भेजे गए समीर विश्नोई, लक्ष्मीकांत तिवारी, संदीप नायक, शिवशंकर नाग, निखिल चंद्राकर, पारेख कुर्रे, राहुल सिंह, वीरेन्द्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल, शेख मुइनुद्दीन कुरैशी और रोशन कुमार सिंह को पेश किया गया था। जबकि उपस्थित होने से बचने के लिए आवेदन लगाए जाने के कारण सौम्या चौरसिया, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी और रजनीकांत तिवारी को अदालत में पेश नहीं किया गया।
उधर कस्टम मिलिंग घोटाले में करीब 500 राइस मिलरों से पूछताछ हो रही है। भूपे राज में प्रदेश में अंजाम दिए गए 127 करोड़ रुपए से ज्यादा के कस्टम मिलिंग घोटाले में 500 राइस मिलरों को नोटिस जारी किया गया है। इसमें से 300 राइस मिलरों से पूछताछ कर बयान लिया जा चुका है। वहीं 200 अन्य लोगों को उपस्थिति के लिए नोटिस भेजा गया है। उपस्थिति दर्ज कराने वाले मिलरों से 2021 से 2024 तक कस्टम मिलिंग के एवज में मिलने वाली रकम, उसके भुगतान के एवज में दिए जाने वाले कमीशन और अवैध वसूली करने वाले सिंडीकेट के संबंध में पूछताछ की गई।
बताया जाता है कि ईडी ईडी ने इस घोटाले की जांच के दौरान मनोज सोनी और राइस मिल एसोसिएशन के पूर्व कोषाध्यक्ष रौशन चंद्राकर के बीच वॉट्सऐप चैटिंग को खंगाला। इसमें राइस मिलरों से कमीशन लेने और लेन-देन के इनपुट मिले हैं। बहरहाल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस राज में प्रदेश को कांग्रेस का एटीएम साबित करने में बीजेपी ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। सत्ता में आने के बाद नज़ारे, जनता के सामने है। भूपे राज के 5 सालों का अंत तो हो गया, लेकिन कई प्रकरणों में मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी पर अभी-अभी रहस्य कायम है।