रायपुर / वरिष्ठ पत्रकार राजेश जोशी ने भी फेक न्यूज पर लगाम लगाने पर जोर दिया | उन्होंने कहा कि सीरियस जनर्लिस्ट कभी भी फेक न्यूज को महत्व नहीं देते | वर्ना इसका असर उनके कैरियर पर पड़ सकता है | उन्होंने कहा कि सत्य और विश्वसनीय न्यूज़ पर कार्रवाई भी होती है | उन्होंने कहा कि कोई भी पत्रकार सही खबरे देने का ही प्रयास करता है , उन्होंने फेक न्यूज़ वाली मौजूदा कमेटी पर कोई कमेंट नहीं किया | उनके मुताबिक यह सरकार का लुकआउट है , कि किसे कमेटी में रखे या ना रखे | लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी कमेटी में वरिष्ठ पत्रकारों का होना जरुरी है क्योकि वे किसी अफसर से बेहतर यह समझ सकते है कि आखिर क्यों खबरे बनाई गई और उसका प्रकाशन-प्रसारण हुआ | उन्होंने कहा कि पत्रकारों को तथ्यों पर आधारित खबरों पर जोर देते हुए फेक न्यूज से बचना चाहिए |
वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने फेक न्यूज पर कड़ी कार्रवाई की वकालत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार का यह सराहनीय कदम है | उन्होंने कहा कि जिस तेजी से विश्वसनीय खबरों के स्थान पर मसालेदार खबरों पर जोर दिया जा रहा है , उससे पत्रकारिता और पत्रकार दोनों पर संकट है | उन्होंने कहा कि फेक न्यूज को नियंत्रण करने वाली सरकार की कमेटी में वरिष्ठ पत्रकारों , संपादकों और कानून के जानकारों को भी स्थान दिया जाना चाहिए | मौजूदा कमेटी को नाकाफी करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें नए सदस्यों को शामिल कर कमेटी को मजबूती दी जानी चाहिए | उनके मुताबिक फेक न्यू पर कार्रवाई जरूर हो लेकिन जानबूझकर निशाना बनाने वाली शिकायतों के जरिये कोई पत्रकार किसी भी सूरत में प्रताड़ित ना हो इसके प्रावधान भी कमेटी को सुनिश्चित करना चाहिए | सुनील नामदेव ने कहा कि मौजूदा दौर में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जिस तेजी से सोशल मीडिया हावी हो रहा है , वो वाकई गौर करने लायक है | उनके मुताबिक सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों की सत्यता की पुष्टि ना होने वाली खबरों ने इसे घातक बना दिया है | उनके मुताबिक सरकार और अफसरों को सत्य और प्रमाणित खबरों पर कार्रवाई के लिए भी सक्रियता दिखानी होगी | वर्ना फेक न्यूज का आरोप लगाकर पत्रकारों को परेशान करने और बदलापुर की कार्रवाई जैसे मामलों में तेजी आएगी |
वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुसदकर ने भी फेक न्यूज पर पाबंदी का स्वागत करते हुए सवाल उठाया कि आखिर फेक न्यूज तय करने की प्रक्रिया का मापदंड भी सरकार को बताना चाहिए | उन्होंने कहा कि इसे नियंत्रित करने वाली कमेटी में वरिष्ठ पत्रकारों की गैर मौजूदगी से कई पत्रकार दुर्भावना का शिकार हो सकते है | अनिल पुसदकर ने यह भी कहा कि सत्य खबरों के प्रकाशन-प्रसारण पर भी कार्रवाई के लिए सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए |
वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि फेक न्यूज निर्धारण करने के मापदंडों के लिए मौजूदा कमेटी में कोई भी वरिष्ठ पत्रकार शामिल नहीं है | उनके मुताबिक इस कमेटी में पुलिस और अन्य अफसरों की बहुलता से पत्रकारों के साथ इंसाफ हो पायेगा कहना मुश्किल है | उन्होंने फेक न्यूज पर नियंत्रण के लिए सरकार के कदम को उचित ठहराते हुए कमेटी में सुधार की गुंजाईश जाहिर की | रवि भोई ने कहा कि हर कोई चाहता है कि फेक न्यूज पर नियंत्रण लगे | लेकिन खबरों की पुष्टि और घटनाओं पर प्रतिक्रिया के लिए सरकारी प्रयास भी होने चाहिए | उन्होंने कहा कि फेक न्यूज को तय करने का पैमाना भी निश्चित और पारदर्शी होना चाहिए | वर्ना सत्ता और प्रभावशील पक्ष पत्रकारों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे |