दिल्ली/ रायपुर : केंद्रीय गृह मंत्रालय के गलियारों में छत्तीसगढ़ के 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख आरिफ की चर्चा जोरो पर है। बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने रणनीतिकार अधिकारी को राजभवन की कमान सौंपने की कवायत में जोरशोर से जुटे हुए है। इसके लिए शेख आरिफ को उस कमेटी का प्रभार सौंपा गया है,जिनके हाथो से राजभवन की प्रशासनिक गतिविधियां संचालित होती है।
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सूत्र दावा कर रहे है कि इसके लिए छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय को निर्देशित भी किया गया है,ताकि जल्द ही राजभवन में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार का शिकंजा कस सके।
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जानकारी के मुताबिक, राजभवन में ADC की नियुक्ति का चलन है,लेकिन इस परिपाटी को तोड़ने के प्रयास विफल होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नया दांव खेला है।अब ADC की नियुक्ति पर राज्यपाल की मनमर्जी नहीं चलेगी। पुलिस मुख्यालय की एक सदस्यीय कमेटी ADC की सिफारिश पुलिस मुख्यालय से राज्य सरकार को भेजेगी,सरकार के इस मनपसंद अधिकारी को ही राज्यपाल का ADC नियुक्त किया जाएगा।
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बताते है कि राज्यपाल के परिसहाय के कब्जाने से राजभवन पर सरकार का नियंत्रण पहले से कही अधिक मजबूत होगा। सूत्रों के मुताबिक नए फार्मूले से राजभवन की जासूसी की कानूनन खिड़की खोलने की योजना फिर अस्तित्व में नजर आ रही है।
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चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में पिछले दरवाजे से राजभवन कब्जाने के नुस्खों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। इसके लिए एक IG स्तर के अधिकारी की राजभवन में पदस्थापना किए जाने की कवायद जोरो पर चल रही है।माना जा रहा है कि समीकरण फिट बैठे तो शेख आरिफ को राजभवन की कमान भी सौंपी जा सकती है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी अभी जारी नहीं की गई है।
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छत्तीसगढ़ में राजभवन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच रस्साकसी जोरो पर चल रही है। बताते है कि संख्या बल के आधार पर पारित होने वाले कई ऐसे विधेयक राज्यपाल के संज्ञान में आ रहे है,जिनसे कांग्रेस सरकार की मुश्किल बढ़ती जा रही है। विधिक जानकार बताते है कि आरक्षण समेत कई ऐसे विधेयक है,जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का समुचित पालन नहीं करते है,इससे उनका अनुमोदन करना राजभवन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
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छत्तीसगढ़ राजभवन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच लगातार संघर्ष अभी भी जारी है,तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उइके और बघेल के बीच आरक्षण विधेयक को लेकर तनातनी की घटनाए सुर्ख़ियों में रही है।
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राजभवन को राजनीति का केंद्र बनाए जाने को लेकर महामहिम राज्यपाल उइके ने निंदा भी की थी। हालाँकि संघर्षो के उफान के दौर में राज्यपाल उइके की विदाई हो गई,इसके साथ ही राजभवन में IG स्तर के अधिकारी की नियुक्ति का मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया था।
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सूत्र दावा कर रहे है कि सरकार के अरमानो पर फिरते पानी से बचने के लिए राजभवन को ही गिरफ्त में लेने की योजना मूर्त रूप ले रही है। अबकी बार छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन के सामने नई मुश्किलें खड़ी करने का दौर है। यह देखना गौरतलब होगा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नई बिसात में छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय का कौन सा प्यादा,राजभवन के लिए वजीर साबित होता है,या फिर मोहरा …?