एडीजी जी पी सिंह के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनकी पत्नी को जोर जबरदस्ती फंसाए जाने के खुलासे के बाद गरमाई छत्तीसगढ़ की राजनीति, भाजपा ने कहा बेगुनाहों को फंसा रही कांग्रेस सरकार,नान घोटाले को लेकर एक बार फिर बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने…

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रायपुर:- छत्तीसगढ़ में एडीजी जी पी सिंह और उन पर दर्ज़ मामले को लेकर राजनीति गरमा गई है। नान घोटाले को लेकर जी पी सिंह के एक बड़े खुलासे से बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। हाल ही में जी पी सिंह ने कहा था कि “ये पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का मामला है। मैं हमेशा से कहता आ रहा हूं, नान (नागरिक आपूर्ति निगम) की जांच के समय मुझे गवाहों को हॉस्टाइल करने कहा गया था। और मामले में पूर्व सीएम रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने कहा गया।” सिंह के इस बयान के बाद से प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है।

जी पी सिंह के इस बयान के बाद भाजपा उनके समर्थन में आ गई है। भाजपा नेता और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि “जीपी सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से नान केस में पूर्व सीएम रमन सिंह और उनकी पत्नी को फंसाने और गवाह के ऊपर दबाव डालने का प्रयास किया गया। जी पी सिंह के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में भी इससे संबंधित एफिडेविट दिया गया है।कौशिक ने आगे कहा कि, “वर्तमान सीएम भूपेश बघेल जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर थे तब उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था कि “नान घोटाले में फंसे दो अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई होनी चाहिए। अगर सरकार ऐसे चलेगी और दबाव बनाएगी तो सरकार से निरपेक्षता की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं। सरकार द्वारा दबाव बनाकर बेगुनाह लोगों के फंसाने का काम किया जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है।”

जी पी सिंह

उधर बीजेपी के हमलावर रुख के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि “IPS जी पी सिंह खुद को बचाने के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने बचाव के लिए जी पी सिंह कुछ भी बोल दें यह सहीं नहीं है। और भाजपा ऐसे झूठ के आधार पर राजनीति कर रही है।”

अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला

कांग्रेस के सत्ता में आने के तीन साल बाद भी नान घोटाले की जांच को लेकर कोई ठोस कदम न उठाए जाने से मुख्यमंत्री बघेल सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल 36 हज़ार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में नान घोटाले को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया। रायपुर कोर्ट में मामले की सुनवाई को लेकर भी कोई पहल नहीं की गई। अलबत्ता जिला न्यायालय, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सरकार का रुख काफी लचीला नज़र आया। क़ानून के जानकार बताते है कि कांग्रेस राज में कानूनी दांव पेंचो का ऐसा खेल खेला गया कि नान घोटाले को ही बेबुनियाद करार देने के प्रयास शुरू हो गए। इसके तहत मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के समर्थन में कांग्रेस आ खड़ी हुई।

एसआरपी कल्लूरी

जानकारी के मुताबिक़ इन दोनों ही अफसरों को बचाने के लिए ईओडब्ल्यू के तत्कालीन एडीजी एसआरपी कल्लूरी और जीपी सिंह पर भारी दबाव की चर्चा है। मिली जानकारी के मुताबिक़ दोनों ही अफसरों की नियुक्ति कांग्रेस सरकार ने की थी। लेकिन चंद महीनो में ही बिना किसी ठोस कारण के उन्हें हटा दिया गया। इन दोनों ही अफसरों के प्रति सरकार की नाराजगी इस हद तक बढ़ी की उनके फोर्सफुल रिटायरमेंट के लिए आनन् फानन में प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया। यह भी बताया जाता है कि एसीबी-ईओडब्ल्यू की कमान सौपते वक्त दोनों ही अफसर सरकार की गुड बुक में थे । लेकिन चंद महीनो में ही ये दोनों अफसर उसकी आँखों की किरकिरी बन गए।