नई दिल्ली/रायपुर: देश में घोटालों, गड़बड़ी और पद का दुरुपयोग कर लाभ कमाने वाले आल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार सख्त रवैया अपना रही है। दागी अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि DOPT में कई वरिष्ठ अधिकारियों को उनकी ‘CR’ के मद्देनजर समय पूर्व सेवानिवृत्ति दिए जाने को लेकर केंद्र ने हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही देशभर के दागी अफसरों पर लगाम लगाने के लिए सीबीआई को फ्री हैंड कर दिया गया है। ताजा मामले में सीबीआई ने तटरक्षक बल के पूर्व डीजी (महानिदेशक) के. नटराजन के खिलाफ FIR दर्ज की है। उन पर वरिष्ठ अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में छेड़छाड़ का आरोप है।
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सीबीआई की ताजा कार्यवाही से देशभर के मंत्रालयों, स्टेट हेडक्वार्टर (HQ) समेत केंद्र सरकार के कई विभागों में हड़कंप है। दरअसल, अवैधानिक गतिविधियों में लिप्त कई अफसरों के खिलाफ केंद्र ने सख्ती के निर्देश दिए है। इसके तहत रक्षा मंत्रालय ने भी सीबीआई को ऐसे मामलों की समुचित जानकारी उपलब्ध कराई थी। सूत्र तस्दीक करते है कि कई अधिकारियों के ‘नॉन इनिशिएशन सर्टिफिकेट’ गायब कर दिए गए थे। बताते है कि यह मामला तब सामने आया जब महानिरीक्षक राकेश पाल ने रक्षा सचिव को एक शिकायत में अफसरों की कार्यप्रणाली से जुड़े प्रामाणिक तथ्य भेजे थे।
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उधर छत्तीसगढ़ में देश के दर्जनों महाभ्रष्टाचार सामने आये है। इसमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल समेत कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी सीधेतौर पर लिप्त पाए गए है। इनमे से ऐसे चुनिंदा दागी आईएएस अफसर इन दिनों जेल की हवा खा रहे है, जिन्हे ED ने साफतौर पर लिप्त पाया था। इसके अलावा दर्जनों आईएएस और आईपीएस ऐसे है, जिनकी कार्यप्रणाली चंबल के डकैतों की तुलना में ज्यादा घातक और भारतीय सिविल सेवा आचरण संहिता के ठीक विपरीत आंकी गई है। पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के गिरोह में शामिल ऐसे आईपीएस अफसरों ने एक के बाद एक कई घोटालों को अंजाम देने के लिए पद के दुरुपयोग के साथ-साथ आपराधिक गतिविधियों में अपनी भूमिका दर्ज कराई थी।
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सूत्र तस्दीक करते है कि घोटालों में लिप्त कई जिम्मेदार अफसरों ने अपनी ‘CR’ चमकाने के लिए मोटी रकम खर्च की है। इसके तहत एक ही झटके में पिछले कई वर्षों की ‘ACR’ में कर्तव्यनिष्ठा का सबसे बेहतर प्रदर्शन दर्ज कराया जा रहा है। यही नहीं संभावित वैधानिक कार्यवाही से बचने के लिए ‘ACR’ में क़ानूनी दांवपेचों का विकल्प भी खोला रखा गया है। ताकि प्रकरणों की विवेचना में बेहतर ‘ACR’ का उपयोग-दुरुपयोग किया जा सके। सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि ‘CR’ दर्ज करने की क़ानूनी पात्रता रखने वाले कई अफसरों की कमाई इन दिनों छप्पर फाड़ कर हो रही है। दरअसल, नए वित्तीय वर्ष फरवरी-मार्च महीने के पूर्व कई दागियों ने अपनी ‘CR’ बेदाग बनाने के लिए तिजोरी खोल दी है।
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जानकारी के मुताबिक 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले, 5 हज़ार करोड़ का चांवल घोटाला, 2200 करोड़ का शराब घोटाला, 700 करोड़ का कोल खनन परिवहन घोटाले में लिप्त और संदेह के दायरे में पाए गए कई आईएएस और आईपीएस अफसरों ने अपनी ‘ACR’ में घोटालों से जुड़ी टिप्पणी से बचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। इसमें 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, 2008 बैच की पारुल माथुर और 2013 बैच के आईपीएस भोजराम पटेल का नाम सुर्ख़ियों में है। ED ने कोल खनन परिवहन घोटाले में इन तीनों ही अफसरों की काली करतूतों को बाकायदा दस्तावेजी प्रमाणों के साथ संलग्न कर चार्जशीट में शामिल किया है।
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सूत्रों के मुताबिक ED की विशेष कोर्ट में इन तीनों ही दागियों को बतौर आरोपी जेल दाखिल कराने के लिए एक याचिका भी दायर की गई है। गौरतलब है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में 2010 बैच के आईएएस समीर विश्नोई, 2010 बैच की आईएएस रानू साहू समेत 2008 बैच की छत्तीसगढ़ राज्य सेवा की डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया और भारतीय टेलिकॉम सर्विस के वित्त-लेखाधिकारी अरुणपति त्रिपाठी समेत कई कारोबारी इन दिनों जेल की चक्की पीस रहे है।बता दे कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से राज्य सेवा संवर्ग में पदस्थ लेखाधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को शराब घोटाले को अंजाम देने के लिए आबकारी सचिव तक बना दिया गया था। आमतौर पर यह पद आईएएस अधिकारियों की सेवा संवर्ग और पदस्थापना से जुड़ा बताया जाता है।
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यही हाल 15 हज़ार करोड़ के उस महादेव ऐप सट्टा घोटाले का बताया जाता है, जिसमे रायपुर के तत्कालीन एसएसपी 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ, 2001 बैच के आनंद छाबड़ा, 2004 बैच के अजय यादव, 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। बताते है कि इन अफसरों को ऑनलाइन गेम-सट्टा महादेव ऐप के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए हर माह कई लाख रुपये दिए जाते थे।
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जानकारी के मुताबिक ED ने राज्य के EOW को मय दस्तावेज इन अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन राजनैतिक-प्रशासनिक दबाव के चलते EOW के तत्कालीन अधिकारियों को महादेव ऐप घोटाले में सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के खिलाफ FIR दर्ज कर अपने हाथ खींचने पड़े थे।
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यह भी बताया जाता है कि 2200 करोड़ के शराब घोटाले में भी इन अफसरों की कार्यप्रणाली जांच के दायरे में है। दरअसल, फील्ड पोस्टिंग के दौरान अवैध शराब की अफरा-तफरी रोकने के बजाय इन आईपीएस अधिकारियों ने अपने हाथ-पांव खींच लिए थे। बताते है कि महादेव ऐप की तर्ज पर इन अफसरों को शराब घोटाले से भी अतिरिक्त आमदनी होती थी। नतीजतन इन्होने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में कोई रूचि नहीं दिखाई थी।
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अलबत्ता सूत्र तस्दीक करते है कि रायपुर के एक नर्सिंग होम में डॉक्टर दल्ला के ठिकानों में हुई ED रेड में दौरान बरामद लगभग 2 करोड़ की रकम रायपुर के तत्कालीन आईजी आनंद छाबड़ा की प्रोटेक्शन मनी थी। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक प्रदेश के कई इलाकों में कुछ चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों ने अपने परिजनों और नाते-रिश्तेदारों समेत उनकी कंपनी में घोटालों से अर्जित रकम निवेश की है।
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छत्तीसगढ़ में आल इंडिया सर्विस के दर्जनों अधिकारी रातों-रात करोड़पति बनने के चक्कर में ‘कल्याणकारी राज्य’ की स्थापना के बजाय खुद के कल्याण में जुटे है। इस कड़ी में 1981 बैच के आईएएस और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी घोटालों की फेहरिस्त में अव्वल नंबर पर है। उनके खिलाफ EOW ने शराब घोटाले में FIR दर्ज की है। जबकि मामले से जुड़े अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत में पेश एक चार्जशीट में ED ने विवेक ढांड को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है।
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इस घोटाले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी जेल की सैर पर है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के साथ पूर्व मुख्य सचिव ढांड की भी गिरफ्तारी के आसार जताए जा रहे है। बहरहाल, घोटालेबाजों के द्वारा ‘ACR’ के जरिये क्लीन चिट पाने की मुहीम इन दिनों जोर-शोर से जारी है। इस गोरखधंधे पर एजेंसियों की निगाहे टिकी बताई जाती है।