
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने कारोबारी विजय भाटिया की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया। भाटिया की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पैरवी की। उनका तर्क था कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बिना विधिवत समन दिए ही विजय भाटिया को गिरफ्तार किया, जो कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।
दूसरी ओर, ACB का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता सौरभ पांडे ने कोर्ट को बताया कि अब तक मामले में करीब 300 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और पर्याप्त सबूत भी जुटाए गए हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ के बाद विजय भाटिया को 31 मई 2025 को ACB के हवाले किया गया था। इसके बाद अगले ही दिन, यानी 1 जून को उन्हें रायपुर के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रिट याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि कारोबारी विजय भाटिया ने विदेशी शराब की आपूर्ति के माध्यम से करीब 15 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। आरोप है कि इस रकम को उन्होंने संपत्ति खरीदने में निवेश किया। यह मामला ईओडब्ल्यू और ACB दोनों एजेंसियों की संयुक्त जांच के दायरे में है।
फिलहाल विजय भाटिया न्यायिक हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है। कोर्ट के इस फैसले से जांच एजेंसियों को बड़ी राहत मिली है।