रायपुर / अब बिजली बंद होने के चार घंटे के भीतर सुधार नहीं होने पर बिजली वितरण कंपनी उपभोक्ताओं को प्रति घंटे 5 रुपए की दर से क्षतिपूर्ति देगी। गांव में यह समय सीमा 24 घंटे की होगी। बिजली लाइन में सामान्य खराबी या ट्रांसफॉर्मर में खराबी के लिए भी क्षतिपूर्ति देनी होगी। छत्तीसगढ़ बिजली नियामक आयोग के अध्यक्ष डीएस मिश्रा ने कहा कि ऐसा नियम लागू करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है।
आयोग के सचिव एसपी शुक्ला के मुताबिक उपभोक्ताओं को जीरो पॉवर कट बिजली सप्लाई के लिए नियामक आयोग ने मई से नया नियम लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत अप्रैल से जून और जुलाई से मार्च के बीच बिजली कटौती की समय सीमा निर्धारित की गई है। दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए अप्रैल से जून के बीच यह सीमा दस घंटे होगी, जबकि छोटे शहर व गांवों के लिए 20 घंटे की सीमा निर्धारित की गई है। इसी तरह जुलाई से मार्च के बीच 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 6 घंटे, छोटे शहरों में 15 और गांवों में 20 घंटे की समय सीमा तय की गई है। इससे ज्यादा देर कटौती होने पर बिजली वितरण कंपनी क्षतिपूर्ति देगी।
बिजली कटौती या खराबी होने पर लोग घंटों कॉल सेंटर में फोन कर परेशान होते थे, लेकिन इसके बदले उन्हें क्षतिपूर्ति नहीं मिलती थी। हालांकि वितरण कंपनी ने कई ठोस कदम उठाए हैं, फिर भी उपभोक्ताओं की परेशानी खत्म नहीं हुई थी। अब क्षतिपूर्ति का प्रावधान होने पर कंपनी पर समय पर सुधार करने का दबाव रहेगा। ग्रामीण इलाके में तो ट्रांसफॉर्मर खराब होने पर कई-कई दिन बाद बदला जाता था।
नए नियम के मुताबिक बिजली लाइन में सामान्य खराबी के लिए शहर में 6 घंटे और गांव में 12 घंटे, ट्रांसफॉर्मर में खराबी के लिए 24 घंटे और 5 दिन, मीटर जलने पर नया मीटर लगाने के लिए 8 घंटे व दो दिन का समय निर्धारित किया गया है। इसका पालन नहीं होने पर कंपनी 50 रुपए प्रति दिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति देगी। नए बिजली कनेक्शन के लिए समय सीमा का पालन नहीं करने पर 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति देनी होगी। आयोग के सचिव शुक्ला ने कहा कि नई व्यवस्था से बिजली वितरण कंपनी की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और उपभोक्ताओं के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी।