छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की सीबीआई से शिकायत करने की तैयारी में NMDC , हाऊसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर अफसरों की अय्याशी के बिलों के भुगतान से NMDC का इंकार ,सीबीआई को काले कारनामों का ब्यौरा भेजे जाने की खबर के बाद छत्तीसगढ़ के दागी अफसरों का NMDC परिसर में डेरा , आज अचानक नगरनार प्लांट पहुंच गए हाऊसिंग बोर्ड के कर्ता-धर्ता , देखे तस्वीरों के साथ दस्तावेजी रिपोर्ट  

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रायपुर / ताजा खबर बस्तर से आ रही है | बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन समेत अफसरों का एक जत्था NMDC के नगरनार प्लांट में पहुंचा है | यह भी खबर आ रही है कि NMDC के अफसर अवैध वसूली को लेकर सीबीआई से शिकायत करने पर विचार कर रहे है | जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अफसर NMDC पर लगभग 20 करोड़ की रकम की वसूली को लेकर दबाव बना रहे है | उनकी दलील है कि नगरनार स्टील प्लांट के कर्मियों के लिए आवास उपलब्ध कराने वाली योजना पर CGHB ने करोड़ों खर्च कर दिए | उधर NMDC ने इस गैर जिम्मेदार आरोपों को ख़ारिज करते हुए साफ़ कर दिया है कि उसने छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को किसी भी आवासीय परिसर और भवन निर्माण के लिए कोई वर्क आर्डर जारी नहीं किया | यही नहीं NMDC और CGHB के बीच भवन निर्माण को लेकर कोई ठोस कार्य योजना भी मूर्त रूप में नहीं आई | लिहाजा समय रहते उसने प्रोजेक्ट रद्द करने की जानकारी से CGHB के अफसरों को वाकिफ करा दिया था | लिहाजा इस तरह की रकम की मांग बेमानी है |

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि NMDC के अफसरों ने उसके प्रोजेक्ट के नाम पर सरकारी तिजोरी में सेंधमारी करने में जुटे CGHB के अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के लिए सीबीआई को शिकायत करने का फैसला लिया है | उधर रायपुर से अचानक बस्तर के नगरनार स्थित NMDC के स्टील प्लांट में पहुंचे हाऊसिंग बोर्ड के पदाधिकारियों और कमिश्नर का दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है | बताया जाता है कि चेयरमेन कुलदीप जुनेजा और कमिश्नर डॉ अयाज तंबोली ने नगरनार प्लांट में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है | लेकिन उनके साथ दागी अफसरों को देखकर लोग हैरानी जता रहे है | बताया जाता है कि ये वही अफसर है , जिन्होंने NMDC प्लांट के नाम पर सरकारी तिजोरी को जमकर चूना लगाया है | 

पुख्ता जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के कुछ चुनिंदा दागी अफसरों ने 8 करोड़ 53 लाख से ज्यादा की रकम अय्याशी में खर्च कर दी | यह रकम NMDC के हाऊसिंग प्रोजेक्ट को प्राप्त करने के लिए खर्च किये जाने का दावा अफसरों ने किया है | जानकारी के मुताबिक दागी अफसरों ने बोर्ड की बैठक में इन खर्चों का ब्यौरा पेश कर उसका भुगतान भी सुनिश्चित करवा लिया है | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के कुछ चुनिंदा अफसर लगातार दो तीन सालों तक सरकार की आंखों में धूल झोंकते हुए NMDC प्रोजेक्ट के नाम पर निजी यात्रा करते रहे | इन अफसरों ने सरकारी रकम से जमकर अय्याशी की | इसके साथ ही अपनी यात्राओं को जायज ठहराने के लिए सरकारी दस्तावेजों में यात्रा का प्रयोजन  NMDC के हाऊसिंग प्रोजेक्ट के लिए “टूर एंड ट्रेवल” दर्शाया | दागी अफसरों ने बोर्ड बैठक में बिलों का भुगतान सुनिश्चित करने को लेकर जो देयक प्रस्तुत किये गए , वे काफी हैरान करने वाले है | आप भी इन खर्चो को देखकर दंग रह जाएंगे |

खासतौर पर अफसरों ने अपनी अय्याशी के खर्चो को आर्किटेक्ट के सिर मढ़ दिया है | इन अफसरों ने बगैर किसी वैधानिक स्वीकृति के  आर्किटेक्ट चयन के विज्ञापन के लिए 2 करोड़ 35 लाख ,   आर्किटेक्ट का बिल 5 करोड़ 15 लाख रूपये ,  आईआईटी देल्ही स्ट्रक्चल डिजाइन के लिए 67 लाख 83 हजार , टूर एंड ट्रेवल्स में – 30 लाख 30 हजार , एडवोकेट का खर्चा  – 2 लाख 6 हजार और  पर्यावरण से अनुमति के लिए 2 लाख रूपये दर्शाया है | गौरतलब है कि इस फर्जीवाड़े को जायज ठहराने के लिए अकबर-बीरबल ने बिलों का भुगतान सुनिश्चित करने को लेकर अपनी मुहर भी लगा दी है | हैरत करने वाले इस मामले को लेकर NMDC के अफसर भी पसोपेश में है | दरअसल छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के दागी अफसरों ने सरकारी दस्तावेजों में 8 करोड़ 53 लाख के खर्चो को NMDC के सिर मढ़ दिया है |     

बताया जाता है कि NMDC के हाऊसिंग प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वर्ष 2016-17 में ही रद्द कर उसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारियां शुरू हो गई थी  | इस तथ्य से CGHB के अफसर भी वाकिफ थे | बावजूद इसके उन्होंने सरकार की आँखों में धूल झोंकना जारी रखा | ये अफसर कभी अपने घर परिवार के साथ तो कभी दोस्तों के साथ सरकारी खर्च पर सैर सपाटे में जुटे रहे | लेकिन अफसरों का भंडा उस समय फूट गया , जब NMDC के तत्कालीन अधिकारियों ने CGHB की हकीकत सामने ला दी |

NMDC ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि आवासीय कालोनी स्थापित करने की योजना ना तो प्रस्तावित है और ना ही इसकी को वैधानिक स्वीकृति दी गई है | जानकारी के मुताबिक इसी तरह के दर्जनों भ्रष्ट्राचार के मामलों से CGHB कंगाली के दौर से गुजर रहा है | वही दूसरी ओर मामलों को रफा-दफा करने के लिए अकबर-बीरबल ने ऑडिटर जनरल (महालेखाकार) के बजाए लोकल ऑडिटर से ऑडिट कराने का फैसला किया है | हैरानी वाली बात है कि वर्ष 2013 से 2020 तक CGHB में ऑडिट ही नहीं हुआ | ये खेल और गड़बड़झाले अकबर-बीरबल के संरक्षण में बताए जा रहे है |