रायपुर / छत्तीसगढ़ में लगभग 20 माह पूर्व कांग्रेस की नई सरकार के गठन होते ही तत्कालीन एडीजी EOW और इंटेलिजेंस मुकेश गुप्ता को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निलंबित करने के निर्देश दिए थे | इसके बाद मुकेश गुप्ता के लगातार काले कारनामों का खुलासा होने लगा | उसके खिलाफ कई FIR दर्ज हुई तो कई गंभीर मामलों की विवेचना पूरी कर नई FIR दर्ज करने के प्रकरण विभिन्न जिलों में लंबित रखे गए | इस दौरान क़ानूनी दांवपेचों का सहारा लेते हुए आरोपी मुकेश गुप्ता ना केवल अपने कार्य स्थल PHQ से बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य से ही नौ दो ग्यारह हो गया था | कहा जा रहा है कि अब सरकार से समझौता हो जाने के बाद वो अपने सरकारी आवास पर लौट आया है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सरकारी बंगले के पास ही आरोपी मुकेश गुप्ता का सरकारी आवास है | इस आवास पर इन दिनों उन लोगों का ताँता लगा हुआ है, जो निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता के गिरोह में शामिल है या फिर उससे करीब का नाता रखते है |
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जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार को कई लंबित मामलों में आरोपी मुकेश गुप्ता की तलाश थी | सरकारी समझौते के बाद माना जा रहा है कि आरोपी को अभयदान मिल गया है | लिहाजा उसने मुख्यमंत्री के बंगले के पास ही अपने रैन बसेरे को रौशन कर लिया है | अब उसके खिलाफ दर्ज सभी मामले रद्दी की टोकरी में डाल दिए जायेंगे | आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ 420 सी और अन्य आपराधिक षडयंत्र के तहत बिलासपुर की जिला अदालत का FIR दर्ज करने का निर्देश 6 माह बाद भी अब तक अमल में नहीं लाया गया है | इस मामले में मुकेश गुप्ता समेत आधा दर्जन पुलिस अफसरों के खिलाफ दर्ज FIR को फाड़ने और पीड़ितों से डरा धमका कर रकम एठने के आरोप थे | जबकि दूसरे मामले में डॉक्टर मिक्की मेहता की संदेहजनक मौत की जाँच के बाद FIR दर्ज करने की सिफारिश भी अब तक लंबित है | इस मामले की जाँच तत्कालीन डीजी गिरधारी नायक ने पूरी कर अरसे पहले राज्य सरकार को सौंप दी है | तीसरा मामला मुकेश गुप्ता के मिक्की मेहता मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़ा है | इस ट्रस्ट पर सरकारी धन के दुरूपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप है |
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एमजीएम ट्रस्ट की ईमारत खड़ी करने को लेकर कोई भी वैधानिक अनुमति नगर निगम या राज्य शासन की ओर से नहीं ली गई है | इस प्रकरण के तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज नगर निगम और नगर निवेश विभाग से गायब है | इस मामले में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ नगर निगम रायपुर की ओर से FIR दर्ज की जानी है | जबकि चौथे मामले में कार्यालय कलेक्टर रायपुर की ओर से FIR दर्ज की जानी है | यह मामला समय – समय पर एमजीएम ट्रस्ट की आर्थिक गतिविधियों का ब्यौरा कलेक्टर कार्यालय में नहीं सौंपे जाने से जुड़ा है | इस मामले में ट्रस्ट ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसाइटी के कई प्रावधानों का खुला उल्लंघन किया है |
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उधर आरोपी मुकेश गुप्ता निलंबित होने के बाद लगभग 20 माह से PHQ से नदारद है | उसके खिलाफ गठित की गई विभागीय जाँच भी अभी तक लंबित है | यही नहीं एक ओर जहाँ एसीबी के निलंबित तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह नियमानुसार अपने कर्तव्य स्थल में उपस्थित होकर विधिवत वेतन पा रहे है, वहीँ मुकेश गुप्ता गैर जिम्मेदारी पूर्वक गायब रहकर पूरा वेतन प्राप्त कर रहा है | यही नहीं इस आरोपी से राजनांदगांव के मदनवाड़ा में हुए पुलिस – नक्सली मुठभेड़ को लेकर भी पूछताछ की जानी है | वर्ष 2009 में हुए इस जघन्य हत्याकांड में 29 पुलिसकर्मियों समेत जिले के एसपी विनोद चौबे की मौत हुई थी | इतनी बड़ी वारदात के बावजूद कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को तत्कालीन सरकार ने गेलेंट्री अवॉर्ड दिया था |
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छत्तीसगढ़ सरकार ने मदनवाड़ा कांड की जुडिशियल इन्क्वायरी गठित की है | यही नहीं मुकेश गुप्ता से झीरमघाटी कांड मामले में भी पूछताछ की जानी बाकि है | गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर जिले के झीरम घाटी में 25 मई, 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था | इस घटना में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा समेत 31 लोग मारे गए थे | इस दौरान मुकेश गुप्ता के हाथों में ही इंटेलिजेंस की कमान थी | उन्होंने परिवर्तन यात्रा को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई थी | ऐसे कई गंभीर मामलों के संदेही और आरोपी पर छत्तीसगढ़ सरकार की मेहरबानी वाक़ई हैरत करने वाली है |