छत्तीसगढ़ सरकार के क्रेडा विभाग की बत्ती गुल, हज़ारों सोलर पम्प ठप, जल जीवन योजना के कंठ भी सूखे, बंद हैंडपंप और पानी की किल्लत से सराबोर सैकड़ों गांव, नजारा सूरजपुर की गोविंदपुर ग्राम पंचायत का….

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दिल्ली/रायपुर/सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का सुशासन तिहार रंग ला रहा है। ग्रामीण इलाकों की जनता को साय सरकार के काम काज से वाकिफ होने का मौका उन लोगों के लिए राहत का पैगाम लेकर आ रहा है, जहाँ मुख्यमंत्री का उड़नखटोला मैदान मार रहा है। भरी गर्मी में सुबह से लेकर शाम तक मुख्यमंत्री साय और उनके वरिष्ठ अधिकारी सरकार की योजनाओं का जायजा ले रहे है। शासन-प्रशासन की नब्ज टटोली जा रही है। हालात के मद्देनजर हिसाब-किताब भी हो रहा है, लापरवाही और धांधली करने वाले सरकारी सेवकों को कानून का सबक सिखाने में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जरा भी पीछे नहीं हट रहे है। अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबन की गाज झेलनी पड़ी है।

मुख्यमंत्री का उड़नखटोला शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों की खाक छान रहा है, इस बीच ऐसी खबरे भी सामने आ रही है, जिससे पता पड़ता है कि मैदानी इलाकों से ज्यादा सुधार की गुंजाईश सरकार के उन ठिकानों में भी है, जहाँ से सरकारी योजनाओं की प्रगति की इबारत लिखी जाती है। ताजा मामला ऊर्जा विभाग का सामने आया है। छत्तीसगढ़ में खेत खलियानों से लेकर आम इलाकों में राज्य सरकार की सोलर एनर्जी योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है। सौर ऊर्जा संचालित कई उपकरण भरी गर्मी में ठप है, उनकी गुणवत्ता को लेकर एक पीड़ित बड़ी आबादी दो चार हो रही है, रही सही कसर विभागीय आवंटन ने पूरी कर दी है।

पिछले 10 वर्षों की तुलना में ऊर्जा विभाग की प्रगति का ग्राफ पहली बार ठप होने की कगार पर बताया जा रहा है। इस वर्ष महज गिने-चुने उपभोक्ताओं को ही सोलर पंप सब्सिडी योजना का लाभ मिल पाया है, इनकी संख्या महज कुछ सैकड़ों में है, जबकि पूर्व वर्षों में सालाना हज़ारों घर परिवार सोलर ऊर्जा का लाभ उठाने में जुटे थे। जानकारी के मुताबिक पूर्व वर्षों में क्रेडा का सालाना बजट हज़ार करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा छू रहा था। लेकिन पिछले डेढ़ सालों से यह बजट महज 500 करोड़ का ग्राफ तय करने में अपना दम निकाल रहा है। इसका विपरीत प्रभाव योजना की प्रगति पर पड़ रहा है। जानकारों के मुताबिक दिल्ली से सोलर पावर योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने और बजट आवंटन प्राप्त करने के मामले में ऊर्जा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है।

इन वर्षों में उसकी निष्क्रियता के कारण भी गिनाए जा रहे है। इससे पूर्व की उन कारणों पर गौर फरमाए, रूबरू होइए सूरजपुर जिले की प्रतापपुर स्थित ग्राम पंचायत गोविंदपुर से। इस ग्राम पंचायत में निवासरत सैकड़ों लोग पानी को लेकर दो-चार हो रहे है,आसपास के 2 दर्जन से ज्यादा गांव का भी यही हाल बताया जा रहा है। बच्चे, बूढ़े और नौजवानों को दिन रात पानी की चिंता सताए जा रही है। पानी की किल्लत का असर आम जनजीवन के अलावा वैवाहिक और अन्य सामाजिक कार्यों पर भी पड़ा है, ऐसे आयोजन से पूर्व पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद ही मेहमानों से हामी भरी जा रही है। गोविंदपुर ग्राम पंचायत के दर्जनों घरों और खेत-खलियानों में सोलर ऊर्जा पंप स्थापित किये गए है। लेकिन उपकरणों की खराबी के चलते ये पंप कई महीनों से ठप बताये जाते है।

इलाके की एक बड़ी आबादी भरी गर्मी में पीने और निस्तार के पानी के लिए बूंद-बूंद को तरस रही है। सिर्फ गोविंदपुर पंचायत ही नहीं बल्कि प्रदेश की सैकड़ों ग्राम पंचायतों में सोलर पंप प्रगति का नजारा विभागीय दावे को मुँह चिढ़ा रहा है। पीड़ित तस्दीक कर रहे है कि साल भर से धक्के खाने के बावजूद उनके खेत-खलियानों में सोलर पंप की स्थापना नहीं हो पाई है। रायपुर मुख्यालय से वे बैरंग लौट रहे है, जिलों में भी पंप आवंटन को लेकर लंबी कतार बताई जा रही है, पंप आवंटन ऊंट के मुँह में जीरा साबित हो रहा है। जबकि विभागीय जानकारों के मुताबिक सोलर ऊर्जा पम्प यूनिट स्थापित करने का ग्राफ पहली बार इस वर्ष मुँह के बल लुढ़क गया है।

नतीजतन मैदानी इलाकों में सोलर पैनल और यूनिट की स्थापना को लेकर मारामारी देखी जा रही है। जानकार बताते है कि पूर्व पदस्थ उच्चाधिकारी और विभागीय प्रमुख दिल्ली से योजनाओं की स्वीकृति और बजट आवंटन को लेकर सक्रिय रहते थे। लेकिन अब उनकी निष्क्रियता जनता पर भारी पड़ रही है। वे तस्दीक करते है कि पूर्व में एक हज़ार करोड़ से ज्यादा का सालाना बजट आवंटन होने से गांव कस्बों में अक्षय ऊर्जा ने नई क्रांति ला दी थी। लोगों को साल भर पानी मुहैया होता था, लेकिन इस वर्ष कई इलाकों में जल संकट देखा जा रहा है। जल जीवन योजना की प्रगति इन्ही सोलर पम्पों पर आधारित बताई जाती है।

पीड़ित, बताते है कि जब सोलर पंप ही कार्य नहीं कर रहे है, तो जल जीवन योजना का लाभ भी अधर में लटक गया है। सूरजपुर के ग्राम पंचायत गोविंदपुर के सैकड़ों आदिवासी सुबह होते ही पानी के जुगाड़ में निकल पड़ रहे है। ग्रामीणों का हुजूम भीषण गर्मी का सामना करते हुए दूर-दराज के इलाकों से पीने और निस्तार के पानी का बंदोबस्त कर रहे है। खासतौर पर इस पंचायत के हरिजनपारा और तेलीपारा जैसे महत्वपूर्ण वाडों में निवासरत ग्रामीण तस्दीक करते है कि पिछले तीन महीनों से सौर ऊर्जा से संचालित सोलर पंप खराब पड़े हैं, अधिकारियों को इसकी सूचना भी दी गई। लेकिन सुधार कार्य को लेकर महकमे ने पल्ला झाड़ लिया।

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी सौर सुजला योजना की प्रगति के क्रेडा के दावे-आंकड़े दस्तावेजों में भले ही लोक-लुभावन नजर आ रहे हो, लेकिन अंतिम छोर के कई इलाकों में यह योजना हकीकत में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी बताई जा रही है। पीड़ित ग्रामीणों के मुताबिक अब यह सोलर पंप हमारे इलाकों में केवल एक शोपीस बनकर रह गए है, कई बार विधायक, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई थी। लेकिन गर्मी सिर पर है, फिर भी समस्या का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।

स्थानीय निवासी रामसाय कहते हैं कि “हमें सुबह चार बजे से ही पानी के लिए लाइन में लगना पड़ता है, लेकिन फिर भी पर्याप्त पानी नहीं मिलता। उनके मुताबिक क्रेडा की योजनाएं कागजों पर तो दिखती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। फ़िलहाल, पानी की तलाश में जुटे ग्रामीणों ने चेतावनी जारी की है कि अगर जल्द ही पानी की स्थायी व्यवस्था नहीं की गई, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन-धरना देने को मजबूर होंगे।