शेष समाचार का पार्ट-2
रायपुर / छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर FIR दर्ज कर करीब ढाई करोड़ की लागत से रैपिड टेस्टिंग किट खरीदी गई | यदि आप मात्र दस रूपये का पेन खरीदते है तो उसे इस्तेमाल कर देखते है , कि वो चल भी रहा है या नहीं | लेकिन कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने करीब ढाई करोड़ की रैपिड टेस्टिंग किट की खरीदी तो की | लेकिन खरीदी के पूर्व उसकी गुणवत्ता की जांच नहीं की | यही नहीं रैपिड किट की सप्लाई के पूर्व निविदा या टेंडर में उसकी गुणवत्ता की जांच की कोई शर्त नहीं रखी गई | सरकारी दस्तावेज बताते है कि एक खास फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी अधिकारियों ने किस तरह से प्रपंच रचा था | यह गौरतलब है कि रैपिड किट के रिजल्ट पर ICMR ने भी आपत्ति करते हुए कुछ दिनों तक रोक लगाई थी | बाद में उसने नयी गाइडलाइन जारी कर दिशा निर्देश जारी किये थे | यह मामला मार्च माह का है | जब रैपिड किट की गुणवत्ता को लेकर कांग्रेस शासित राजस्थान समेत कई राज्यों ने आपत्ति दर्ज की थी | इसी दौरान छत्तीसगढ़ में भी रैपिड किट खरीदे जाने को लेकर सुनियोजित निविदा-टेंडर जारी किये गए थे | इनकी शर्तों को लेकर न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने समाचार प्रकाशित किया था |
इस समाचार से स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव इतने बिफरे कि उन्होंने अपने एक कार्यकर्ता के जरिये न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ पर फेक न्यूज का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करा दी थी | उधर मंत्री जी के दबाव में बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक ने भी बगैर पड़ताल किये स्थानीय सिविल थाने को महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दे दिए थे | राजा साहब के इस राजशाही फरमान की पुलिस ने दबाव पूर्वक तामीली की |
उधर न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने भी मामले की जांच को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया | अदालत ने पुलिस को नो कोरेसिव एक्शन के निर्देश दिए | मामले की अगली सुनवाई में न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ राजा जी के राजकाज की काली करतूतों को अदालत के समक्ष रखेगा | लेकिन विश्वसनीय समाचारों की पुष्टि के लिए अपने पाठकों और दर्शकों को अवगत कराने के लिए समाचारों की यह शृंखला शुरू की गई है | इसमें बताया जायेगा कि खाकी और खादी का गठजोड़ अब कितना खतरनाक हो गया है |
यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि रैपिड टेस्ट किट की विश्वसनीयता को लेकर छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में “फाल्स पॉजिटिव केस” पाए गए | न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने अपने समाचार में रैपिड टेस्ट किट की गुणवत्ता का मुद्दा उठाया था | इसे जनता की जान जोखिम में होने का तथ्य भी कहा गया था क्योकि स्वस्थ व्यक्ति भी कोरोना पॉजिटिव बताये जा रहे थे | ऐसे में कई घर परिवार सदमे में आ गए थे और उन्हें अपनी जान जोखिम में नजर आने लगी | इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ICMR ने दिनांक – 22 अप्रैल 2020 को देशभर में रैपिड टेस्ट किट से होने वाली जांच पर दो दिनों के लिए रोक लगा दी थी | इसकी सूचना देश के सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को दी गई | यही नहीं दो दिनों तक जांच में लगी रोक का समाचार देशभर प्रकाशित और प्रसारित किया गया था | इसके उपरांत ICMR ने रैपिड टेस्ट किट को लेकर लगातार गंभीरता दिखाते हुए नए दिशा- निर्देश जारी किये | (संलग्न दस्तावेज क्रमांक – (08-09-10-11)
न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ पोर्टल में समाचार प्रकाशन के दौरान संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को अपना पक्ष रखने का भरपूर अवसर उपलब्ध है | शासन एवं मंत्री जी और सरकारी अधिकारी प्रकाशित समाचार को लेकर अपना पक्ष रख सकते थे | लेकिन पत्रकारों पर दबाव बनाने के लिए पुलिस का सहारा लिया गया | छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने पत्रकारों पर झूठे मामले दर्ज करने को लेकर पुलिस पर कड़ी कार्रवाई करने का दावा किया था | यही नहीं बगैर रेंज आईजी की अनुमति और वस्तुस्थिति जाने FIR दर्ज करने पर रोक लगाने का भी दावा किया था | लेकिन सत्ता में आने के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार पत्रकारों की आवाज दबाने में जुट गई | यह मामला इसका जीता जागता उदहारण है | स्वास्थ्य विभाग के मंत्री टीएस सिंहदेव को ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा |
फ़िलहाल तो इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है | दरअसल बड़े जिलों में अपनी तैनाती को लेकर कुछ अफसर सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे है | यही नहीं कुछ अफसर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए नियम कायदों को ताक में रखकर सरकार की मंशा पर पानी फेरने में जुटे है | ऐसे में राज्य सरकार को पारदर्शितापूर्ण कार्यप्रणाली स्थापित करने पर जोर देना होगा |