
रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव इस माह के आखिरी में रिटायर होने वाले है। उनकी सेवाओ का निरंतर लाभ उठाने के लिए चीफ सेक्रेटरी महोदय को साल भर का एक्सटेंशन दिए जाने की कवायतें भी जोरो पर जारी बताई जा रही है। सूचना आयुक्त के ‘रिजर्व’ पद उनकी सेवा बहाली सतत बनाये रखने के लिए जारी प्रयासों पर अदालत के पानी फेरने के बाद मुख्य सचिव महोदय पर एक नया संकट मंडराने लगा है। मामला उनके द्वारा अदालत में दाखिल झूठे शपथ पत्र से जुड़ा बताया जा रहा है। बिलासपुर हाईकोर्ट में विचाराधीन एक याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने छत्तीसगढ़ शासन को पार्टी घोषित करते हुए मुख्य सचिव से जवाब माँगा था।

बेशकीमती सरकारी जमीन पर भू माफियाओं के कब्जे से जुड़ी याचिका पर अदालत ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत शपथ पत्र सौपने के निर्देश दिए थे।अदालत में प्रस्तूत इस शपथ पत्र के सामने आने के बाद अब दावा किया जा रहा है कि कलेक्टर रायपुर की रिपोर्ट को दरकिनार कर मुख्य सचिव ने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए झूठा शपथ पत्र दाखिल किया था। सरकारी जमीन-नाले का बड़ा हिस्सा हड़पे जाने के मामले में मुख्य सचिव की भूमिका को संदिग्ध करार देते हुए पक्षकारों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की गुहार लगाई है। प्रकरण रियल स्टेट कारोबारी और उनके प्रोजेक्ट ‘लाविस्टा’ का बताया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में कई एकड़ सरकारी जमीन और नाले को अपने कब्जे में लेकर बिल्डरों ने आलीशान इमारते बेच डाली है।

इस प्रोजेक्ट की जांच जिला प्रशासन की एक कमेटी ने की थी। जांच में शिकायतों की पुष्टि हुई, सरकारी जमीन और नाला मौके से नदारत पाया गया था। सरकारी जमीन पर बेजा कब्ज़े का हवाला देते हुए जांच रिपोर्ट में कलेक्टर रायपुर ने शासन को समस्त तथ्यों से अवगत कराते हुए अतिक्रमण हटाने की सिफारिश भी की थी। सूत्र तस्दीक करते है कि चीफ सेक्रेटरी ने बिल्डरों के हितों को मद्देनजर रखते हुए कलेक्टर रायपुर की रिपोर्ट कों ना केवल झुठलाया बल्कि महत्वपूर्ण पहलुओं को तोड़-मरोड़ कर शपथ पत्र में पेश किया था। पक्षकारों के मुताबिक सरकारी जमीन और नाले की वापसी के लिए मुख्य सचिव ने कोई कदम नहीं उठाये। अलबत्ता कार्यालय कलेक्टर रायपुर की कार्यवाही को भी निष्क्रिय कर दिया। सरकारी जमीनों की बंदरबांट और हेर-फेर में उपकृत होने वालों की फेहरिस्त लंबी बताई जाती है। सूत्रों के मुताबिक नौकरशाही के आल इंडिया सर्विस से सम्बद्ध कई चुनिंदा दिग्गजों ने रियल एस्टेट कारोबार में बड़ा निवेश किया है।
उनके द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपे के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी अर्जित की गई थी। छत्तीसगढ़ में केंद्र एवं राज्य की विभिन्न जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच में जुटी है। इस बीच प्रदेश में बेशकीमती सरकारी जमीनों की बंदरबांट को लेकर मुख्यसचिव की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में बताई जा रही है। रायपुर के अमलीडीह इलाके में बसी ला-विस्टा कालोनी में सरकारी जमीनों और नालों पर भी कब्जे का मामला सामने आया है। इस प्रोजेक्ट में ऐसी जमीनों की रजिस्टरी भी कर दी गई है, जो सरकारी रिकॉर्ड में लोक महत्व की है, इसमें नाला भी शामिल बताया जाता है। पक्षकारों ने इस सरकारी जमीन की पुनर्वापसी और उसे अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर प्रशासन से गुहार लगाई है। पक्षकारों ने सरकारी जमीन हड़पने और उसकी रजिस्टरी कराये जाने को लेकर पुलिस से वैधानिक कदम उठाये जाने की अपील भी की है।

मामला, इस प्रोजेक्ट के डेव्हलमेंट और उससे जुड़ी अनुमति के दुरुपयोग का भी बताया जाता है। दस्तावेजी साक्ष्यों के मुताबिक कलेक्टर रायपुर की रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट में स्वीकृत नक़्शे के विपरीत निर्माण कार्यों पर आपत्ति जाहिर की गई है। यही नहीं, इस प्रोजेक्ट में सरकारी जमीन और नाले के शामिल होने का पूरा ब्यौरा भी कलेक्टर रायपुर की रिपोर्ट में दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक अदालत में सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ शासन की ओर से मुख्य सचिव का व्यक्तिगत रूप से दाखिल शपथ पत्र ना तो प्रशासन के गले उतर रहा है, और ना ही पक्षकारों के। प्रथम दृष्टया इस शपथ पत्र को झूठा करार देते हुए मुख्य सचिव के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की मांग की जा रही है। पूरे मामले को अदालत के संज्ञान में लाया गया है। छत्तीसगढ़ शासन से भी पक्षकारों ने न्याय की गुहार लगाई है। पीड़ितों ने साफ किया है कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त भू-माफिया तेजी से बेशकीमती सरकारी जमीने अपने कब्जे में ले रहे है।

सार्वजनिक निस्तार और जनहित से जुड़ी जमीनों-नालों का स्वरुप बदला जा रहा है। नौकरशाही के प्रभावशील अधिकारियों से सांठगाठ कर रियल एस्टेट कारोबारी मोटा मुनाफा कमा रहे है। इससे जहाँ सरकारी जमीने ख़त्म हो रही है वही भू-माफियाओं की पौ-बारह है। जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता ने रियल एस्टेट कारोबारी प्रीतपाल सिंह विन्द्रा,अमृत होम्स प्रायवेट लिमि., प्लाट नं.17 एम.पी.नगर, जोन-2 जिला भोपाल, संजय सुन्दरानी, निवासी सी-2/40 सेक्टर-01, न्यू राजेन्द्र नगर जिला रायपुर, संतोष जैन निवासी मेट्रो हाईट्स टावर, तेलीबांधा जी.ई.रोड रायपुर, मेसर्स आहुजा प्रोजेक्ट प्रा.लि., डायरेक्टर महेन्द्र आहुजा, सांई कुंज कार्पोरेट कार्यालय, काली मदिर रोड सिविल लाईन जिला रायपुर, मेसर्स रघु वेंचर प्रा.लि., डायरेक्टर पी. आदर्श, शहीद नगर भुवनेश्वर (उडिसा), पी.वाम्सी सी.एस.ई.बी. कार्यालय के पांस, सिविल लाईन्स जिला रायपुर, संजय नचरानी, लॉ विस्टा कालोनी अमलीडीह को पक्षकार बनाया है।
पक्षकार छत्तीसगढ अधिकार आंदोलन समिति द्वारा अध्यक्ष बनमाली छूरा पिता चितरू छूरा निवासी शहीद राजीव पाण्डे नगर थाना न्यू राजेन्द्र नगर तहसील व जिला रायपुर विरुद्ध शासन एवं अन्य 06 में पारित आदेश दिनांक 24.07.2024 में The Chief Secretary of the State is directed to file personal affidavit in the matter as to how the land in question has been encroached by the private builders and have further alienated to other person, who have encroached upon the same. It is further clarified the report submitted before this Court by means of personal affidavit by the next date fixed and the private builders, who are private parties in the present petition as respondents No. 5 to 7 ashould also be called upon and after hearing them, appropriate action in accordance with law be taken against them alongwith the officials of the State/respondents who allowed the Government land to be encroached and respondents No. 5 to 7 have further sold it to various persons. Though notice was issued to respondents No. 5 to 7 but they have failed to appear before this Court and it appears that the said respondents have deliberately avoiding the service and have not appeared before this Court as they have wash their hands from the disputed land.

उद्वरित होने से मुख्य सचिव महोदय द्वारा यह निर्देशित किया गया कि “कैसे प्रश्नाधीन भूमि निजी बिल्डर्स द्वारा अतिक्रमिक कर दूसरे को विक्रय कर दिया” शपथ पत्र प्रस्तुत करने के पूर्व निजी बिल्डर्स जो माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रस्तुत याचिका में प्रतिवादी कं.05,06, एवं 07 है, को आहूत कर, सुनवाई करते हुये नियमानुसार कार्यवाही करे, के पालन में यह प्रकरण प्रारंभ किया गया। छत्तीसगढ शासन मुख्य सचिव कार्यालय महानदी भवन मंत्रालय नवा रायपुर अटल नगर का पत्र क्रमांक 429/ओ.एस.डी./ मु.स.का./ 2024 दिनांक 02 अगस्त, 2024 के द्वारा मुख्य सचिव महोदय ने माननीय उच्च न्यायालय के प्रकरण कमांक WPPIL No. 81/2021 में पारित आदेश दिनांक 24.07.2024 के अनुपालन के संबंध में दिनांक 06.08.2024 को आयोजित बैठक / विडियो कांफेस के माध्यम से चर्चा की गई। मुख्य सचिव महोदय द्वारा यह निर्देशित किया गया कि “कैसे प्रश्नाधीन भूमि निजी बिल्डर्स द्वारा अतिक्रमिक कर दूसरे को विक्रय कर दिया” शपथ पत्र प्रस्तुत करने के पूर्व निजी बिल्डर्स जो माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रस्तुत याचिका में प्रतिवादी कं. 05, 06, एवं 07 है, को आहूत कर, सुनवाई करते हुये नियमानुसार कार्यवाही करे, के पालन में यह प्रकरण प्रारंभ किया गया था।
जानकारी के मुताबिक प्रकरण में शपथ पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मुख्य सचिव महोदय द्वारा दिये गये निर्देश, आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर,संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश रायपुर एवं अनुविभागीय अधिकारी रायपुर का प्रतिवेदन, अनावेदकगण का जवाब एवं प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों का अवलोकन किया। अनुविभागीय अधिकारी रायपुर ने अपने प्रतिवेदन में ग्राम अमलीडीह प.ह.नं. 69 तहसील व जिला रायपुर स्थित भूमि ख.नं. 25 रकबा 1.339 हे.(भू-जल) शासकीय भूमि जिसके कैफियत कालम में पानी के नीचे नहर नाली सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमणकर्ताओं के द्वारा किए गए अतिक्रमण के संबंध में हल्का पटवारी से प्रतिवेदन लिया गया, अतिक्रमणकर्ताओं और अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस जारी कर, उन्हे आहूत किया गया।

22 के द्वारा बैनामा प्रस्तुत किया जिसकी सूची प्रतिवेदन में उल्लेखित है। जिन अतिक्रमणकर्ताओं वैनामा के संबंध में जिला के द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत नही किया गया है, उनके पंजीयक को ज्ञापन जारी किया गया है। भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही करने हेतु प्रकरण दर्ज कर, नोटिस जारी कर दिया गया है, उल्लेखित किया है। संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश रायपुर ने अपने प्रतिवेदन में कार्यालयीन पत्र क्रमांक 4002 दिनांक 01.06.2009 के द्वारा आवेदक अमृत होम्स प्रायवेट लिमिटेड को अधिनियम की धारा 29 के तहत आवासीय प्रयोजन हेतु विकास अनुज्ञा की स्वीकृति दी गई,स्वीकृत विकास अनुज्ञा मानचित्र में ड्रेन क्षेत्र दर्शित है, विकास अनुज्ञा ड्रेन / नाला को छोड़कर प्रदाय किया गया है। आवेदक संस्था अमृत होम्स प्रायवेट लिमिटेड द्वारा नगर निगम रायपुर के शर्तों का पालन नही किया गया।

संस्था अमृत होम्स प्रायवेट लिमिटेड द्वारा पत्र दिनांक 07.08.2024 के द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त संस्था एवं उसके भागीदारों द्वारा 40 फीट चौडे शासकीय नाला पर किसी प्रकार का अतिकनण नही किया गया है तथा नगर निगम रायपुर द्वारा कालोनी का पूर्ण निरीक्षण करने के पश्चात कालोनी को विकास कार्य मानदण्डों के अनुसार पूर्ण करने पर सभी 45 बंधक किये हुये भूखण्डा को नुक्त किया गया। संस्था द्वारा यह भी अवगत कराया गया है कि उनके द्वारा उक्त नाले की भूमि को किसी व्यक्ति को न ही बेचा गया है न ही किसी तरह का कोई निर्माण किया गया है। अगस्त 2020 से ग्राम अमलीडीह स्थित प्रोजेक्ट ला-विस्टा और इसके सार्वजनिक क्षेत्र ला-विस्टा रेसीडेंट वेलफेयर सोसायटी अन्य के कब्जे में है। उक्त वेलफेयर सोसायटी ला विस्टा कालोनी / कैम्पस का देख रेख स्वयं के व्यय के द्वारा किया जाता है। प्रश्नाधीन स्थल का वर्तमान में पुनः स्थल निरीक्षण किया गया। स्थल निरीक्षण अनुसार प्रश्नाधीन भूमि पर जो शासकीय नाला दिखाया गया था, को विलोपित कर पाथ-वे/ सडक / गार्डन आदि का विकास / निर्माण किया गया है।
वर्तमान में प्रश्नाधीन स्थल पर नाला / केनाल नहीं है। नाला को विलोपित कर बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कार्य कर लिया गया है। उक्त स्थल वर्तमान में समतल है, नाला के उपर कांकीट ब्लाक से ढका हुआ है। संजय सुंदरानी ड्रीम होम अमलीडीह एवं संतोष जैन पीयूष कालोनी अमलीडीह को कार्यालय द्वारा किसी प्रकार की अनुज्ञा जारी नही की गई है। गोविंद गिरी गोस्वामी एवं बनमाली छुरा द्वारा दिनांक 12.08.2015 को लोक आयोग छ.ग. में अमृत होम्स प्रा.लि. के ग्राम अमलीडीह में स्वीकृत अभिन्यास में ख.नं.25 से गुजरने वाली नहर / नाली पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण के संबंध में नगर पालिक निगम रायपुर के विरूद्ध शिकायत का प्रकरण कं. 156/2015 दर्ज करायी गई थी। ग्राम अमलीडीह / पुरैना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत होने से पूर्व में नगर निगम द्वारा नाला को अवरुद्ध करने वाले बाउण्ड्रीवाल को हटाने की कार्यवाही दिनांक 28.11.2016 को की गई थी, उक्त शिकायत प्रकरण 156/2015 को छत्तीरागढ लोक आयोग रायपुर द्वारा दिनांक 25.06.2018 को नरतीबद्ध किया गया है, का लेख कर आदेश की छायाप्रति संलग्न की गई है।
फ़िलहाल, मामला गंभीर बताया जा रहा है। प्रदेश में सरकारी जमीनों के संरक्षण को लेकर राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है, भू-माफियाओं से जमीनों को मुक्त कराया जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार की नाक के नीचे मुख्य सचिव आखिर क्या गुल खिला रहे है ? इसकी बानगी झूठे शपथ पत्र में नजर आ रही है। इस प्रोजेक्ट की जमीन को जल्द अतिक्रमण मुक्त किये जाने को लेकर पक्षकारों ने शासन का ध्यान आकृष्ट किया है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले को लेकर मुख्य सचिव कार्यालय और पक्षकार बनाये गए रियल एस्टेट कारोबारियों से संपर्क किया। लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।