रायपुर / छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महिला उप सचिव की कार्यप्रणाली को लेकर सवालियां निशान लग रहा है | पुख्ता जानकारी के मुताबिक राज्य में होने वाली ट्रांसफर पोस्टिंग में उप सचिव सौम्या चौरसिया की दखलंदाजी से योग्य और पात्र अफसरों को ना केवल प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है , बल्कि वे ट्रांसफर उद्योग के गोरखधंधे का शिकार हो रहे है | बताया जा रहा है कि राज्य के लगभग तमाम विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग के मसलों पर सौम्या चौरसियां की दखलंदाजी से गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई है | नतीजतन नियम विपरीत और लीक से हटकर हो रहे ट्रांसफ़र-पोस्टिंग से नौकरशाही हैरत में है | वही सरकार की छवि भी ट्रांसफर उद्योग के चलते धूमिल हो रही है |विपक्ष सरकार पर ट्रांसफर उद्योग का आरोप लगातार लगाता रहा है। इस मामले में कई बार मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया का नाम और कार्यप्रणाली की चर्चा जोरों पर रही है।
ताजा मामला छत्तीसगढ़ खेल एवं युवा कल्याण विभाग का है | रायपुर मुख्यालय में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर ओपी शर्मा को लंबे समय से सरगुजा स्थानांतरित कर दिया गया है | जबकि सरगुजा में डिप्टी डायरेक्टर का पद ही स्वीकृत नहीं है | यही नहीं ओपी शर्मा पब्लिक सर्विस कमीशन से चयनित प्रदेश के एक मात्र खेल सेवा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी है | राज्य में खेल एवं युवा कल्याण की लगभग सभी गतिविधियों में वे पारंगत अधिकारियों के रूप में जाने पहचाने जाते है | छत्तीसगढ़ में खेलों के विकास और आयोजनों को लेकर हमेशा उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है | ऐसे अधिकारी को बगैर स्वीकृत पद के सरगुजा फेंक देना योग्य अफसर को प्रताड़ना देने से जोड़कर देखा जा रहा है | यही हाल एक अन्य डिप्टी डायरेक्टर एके डेकाटे का है | लंबे अरसे से खेल गतिविधियों में माहिर इस खेल अधिकारी को भी रायपुर से स्थानांतरित कर जगदलपुर भेज दिया गया है | जबकि इन दोनों ही अफसरों के स्थान पर दो डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति कर दी गई है | जिनका की खेलों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है | जाहिर है , ट्रांसफर उद्योग का खामियाजा यह विभाग भुगत रहा है |
जानकारी के मुताबिक इन दो खेल अधिकारियों को स्थानांतरित कर उनके स्थान पर जिन दो डिप्टी कलेक्टर की पोस्टिंग की गई है , उनका क्रमशः नाम हेमंत कुमार म्रत्स्यपाल और अवंति गुप्ता है | ये दोनों अफसर डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया के करीबी बताए जाते है | यही हाल खेल एवं युवा कल्याण विभाग के डायरेक्टर पद का है | यह पद हैड ऑफ़ द डिपार्टमेंट स्तर का है | अभी तक इस पद पर पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति होती थी | लेकिन अब यहां लीक से हटकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर की अफसर की तैनाती की गई है | जबकि एएसपी के पद से वरिष्ठ पद पर विभागीय अफसर को बगैर पद स्वीकृति के सरगुजा स्थानांतरित किया गया | इस पद पर एएसपी श्वेता सिन्हा की तैनाती सुर्खियों में है | हालांकि चर्चा है कि यह तैनाती मुख्यमंत्री के निर्देश पर की गई है |
जानकारी के मुताबिक एएसपी स्तर का पद और एचओडी के पद के बीच बड़ा फांसला है | बावजूद इसके डायरेक्टर के पद पर एएसपी श्वेता सिन्हा की तैनाती की गई है | बताया जा रहा है कि कांग्रेस के सत्ता में आते ही एएसपी श्वेता सिन्हा को रायपुर एएसपी जशपुर स्थानांतरित किया गया था | इसके उपरांत उनके पति की गुहार पर उनका स्थानांतरण रद्द कर खेल एवं युवा कल्याण विभाग में डायरेक्टर के पद पर किया गया | जानकारी के मुताबिक राज्य के जनसंपर्क संचालन्यायलय में पदस्थ डीपीआर तारण प्रकाश सिन्हा की पत्नी श्वेता सिन्हा की यह पोस्टिंग लीक से हटकर की गई है |अभी तक इस पद पर तत्कालीन एडीजी राजीव श्रीवास्तव , एडीजी अशोक जुनेजा , एडीजी जीपी सिंह , एडीजी राजेश मिश्रा और एडीजी संजय पिल्ले जैसे वरिष्ठ अफसर तैनात रहे है | ऐसे में एएसपी स्तर के कनिष्ठ अफसर की डायरेक्टर के पद पर तैनाती से खेल एवं युवा कल्याण विभाग की गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई है |
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उधर इस महत्वपूर्ण विभाग का सीधा नाता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाले ओलंपिक संघ से है | यही नहीं अन्य खेल संघों की भी इस महत्वपूर्ण विभाग से कड़ी जुडी हुई है | लेकिन कनिष्ठ अफसर की तैनाती और खेल कूद से जुड़े अफसरों के बजाए डिप्टी कलेक्टरों की इस विभाग में तैनाती कर दिए जाने से खेल गतिविधियां प्रदेश में ठप्प होने लगी है | उधर खेल संघों से जुड़े पदाधिकारी और खिलाडी डायरेक्टर स्पोर्ट्स एएसपी श्वेता सिन्हा की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा रहे है | उनके मुताबिक डारेक्टर मैडम से कार्यालीन समय पर मिलना लगभग नामुमकिन होता है | कई बार तो लंबे समय तक इंतजार करने के बाद भी उनकी व्ययस्तता का हवाला देकर दूर दराज से आने वाले खिलाडियों और खेल संघों के पदाधिकारियों को बैरंग लौटा दिया जाता है | उनके मुताबकि कनिष्ठ अफसर के खेलो के प्रति रूचि नहीं लेने के चलते बीते दो सालों में छत्तीसगढ़ में कोई बड़ी खेल प्रतियोगिता ना तो आयोजित की गई और ना ही खिलाडियों के कल्याण के लिए कोई ठोस प्रयास हुआ | फ़िलहाल ट्रांसफर उद्योग के खेल से नौकरशाही में मची खलबली राज्य सरकार की मंशा पर भी भारी पड़ रही है |