रायपुर : छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की माली हालत नौकरी में आने से पहले भले ही आर्थिक रूप से कमजोर हो ,लेकिन आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ कैडर में गिने-चुने आईएएस और आईपीएस अफसर ऐसे है जो अपने पद और सरकार की गरिमा को नुक्सान पहुंचाए बगैर अपने कर्तव्यों पर डटे हुए है | हालाँकि उनके आय के स्त्रोत भी काफी सीमित और DOPT के निर्देशों के दायरे में है | बावजूद इसके ऐसे अफसर ना तो अवैध कमाई पर जोर दे रहे है और ना ही सरकार एवं कांग्रेस की साख पर बट्टा लगा रहे है |
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ये और बात है कि ऐसे वरिष्ठ अफसरों को बघेल सरकार ने ठिकाने लगा दिया है | ये अफसर अपने दफ्तरों में कोना पकड़ रिटायरमेंट की बाँट जोह रहे है | पुलिस मुख्यालय और मंत्रालय में पदस्थ ऐसे अफसरों की संख्या भले ही उंगिलयों में गिने जाने लायक बची हो ,लेकिन उनकी वरिष्ठता सरकार के कामकाज ,प्रदर्शन और गुणवत्ता के मामले में उनके तजुर्बे का बयान करती है |
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वही दूसरी ओर अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों का ऐसा जमावड़ा लगा है ,जो अपने पद और अधिकारों का उपयोग लूटपाट और नकबजनी जैसे संगीन आपराधो को अपनी कार्यप्रणाली के जरिए अंजाम दे रहे है | आम जनता ,व्यापारी,कारोबारी और कई सरकारी संस्थाओ को लूटने-खसोटने के मामले में आम अपराधियों को काफी पीछे छोड़ चुके है | सूत्रों के मुताबिक इसकी तस्दीक गिरफ्तार आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई की पत्नी समेत छापेमारी में बरामद करोडो की नगदी, सोना,निवेश और ब्लैक मनी से बनाई गई चल अचल संपत्ति के दस्तावेज साबित कर रहे है |
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बताया जाता है कि भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठते ही उनकी आस्तीन में ऐसे सांपो ने बसेरा बना लिया जो स्वयं उनकी और कांग्रेस की साख में बट्टा लगाने के लिए काफी है | राज्य में आईटी-ईडी की छापेमारी से जहाँ सरकार के करीबी अफसरों, कारोबारियों और दलालो के ठिकानो से मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा करोडो की रकम की बरामदगी हो रही है ,उसे जायज ठहराने में कांग्रेस के नेताओ का पसीना छूट रहा है|भ्रष्टाचार से जुड़े मूल सवालों का जवाब देने के बजाय वे कभी पीएम मोदी पर निशाना साधते है तो कभी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनकी सरकार पर |
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अब तो जिस तेजी से भ्रष्टाचार के प्रत्यक्ष सबूत दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सामने आ रहे है ,उससे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भ्रष्टाचार को सरंक्षण देने के संगीन आरोपों से घिरते जा रहे है | ईडी ने जहाँ नान घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बघेल पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है ,वही मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनके चैत्यन्य बघेल से कई बार पूछताछ कर चुकी है|जाहिर है ,ऐसे समय विरोधियो के हौसले बुलंद है|अब तो बीजेपी और उसके नेता सीधे तौर पर मुख्यमंत्री बघेल को कांग्रेस का ATM बताने लगे है|
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हालाँकि बघेल भी अपने तथ्यों से पलटवार कर बीजेपी को इसका जवाब दे रहें है | इस बीच राजनैतिक गलियारों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि पर लगे “सूर्यग्रहण” को लेकर माथापच्ची हो रही रही है |
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जानकारों का कहना है कि बघेल के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठते ही “सूर्या सैटेलाइट” से उनकी स्कैनिंग होने लगी|कांग्रेस सरकार के ठीक-ठाक महज 6 माह गुजरे थे कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और बीजेपी के खेमे में सैटेलाइट छोड़कर “सूर्या”,सीधे मुख्यमंत्री की धुरी पर आ टपका| इसके बाद कांग्रेस सरकार पर लगे ग्रहण का दायरा लगातार बढ़ता चला गया|भले ही “सूर्यग्रहण” लगते ही सरकार को कुछ लाभ हुआ हो ,लेकिन अब उसे इस ग्रहण के दुष्प्रभाव झेलने पड़ रहे है |
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बताया जाता है कि चुनावी साल करीब आते ही छत्तीसगढ़ में तेज हुई छापेमारी का सीधा संबंध सूर्यग्रहण के दुष्परिणाम ही है | ना तो वो मुफ्त की रेवाड़ी वाली योजनाओ को लॉन्च करता और ना ही मुख्यमंत्री बघेल सरकार और उनके विश्वासपात्र अफसरों की फजीहत होती | बताया जाता है कि सूर्यग्रहण लगने के बाद कई आईएएस और आईपीएस भी अफसर चौबीसो घंटे “सूर्या” की धुरी पर चक्कर काटने लगे |
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उसके प्रभाव में कई राजनैतिक और आपराधिक साजिशो को अंजाम दिया जाने लगा | हालत ऐसी हो गई कि भ्रष्टाचार के मामले उजागर कर, सरकार की आँख खोलने वाले पत्रकारों को फर्जी मामलो में फंसाया जाने लगा | कानूनी प्रावधानों को दरकिनार कर उनके आवासो पर बुलडोजर तक चलाया जाने लगा |
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उधर ग्रहण के प्रभाव में मुख्यमंत्री सिर्फ उन्ही आस्तीन के सांपो से घिर रहे जो उन्हें हकीकत से बेखबर रखते रहे | ऐसे नौकरशाहो को तो चांदी काटने का मौका मिला | लेकिन आम इंसान और सर्वहारा वर्ग की भलाई कर परचम लहराने वाला “एक लीडर” सत्ता की मलाई के बीच कही खो गया| यह जिम्मेदार नेतृत्व और उन्नति के मामले में छत्तीसगढ़ जैसे विकसित हो रहे प्रदेश के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है|
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सूर्या के कारनामो पर गौर करे तो फिलहाल उसके ग्रहण से कोई नहीं बच पाया |स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ल के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का खेमा हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के कई नेता ,जिस किसी पर भी ग्रहण की छाया पड़ी ,उसे पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा | जानकार बताते है कि समय रहते बघेल की आस्तीन ही नहीं बल्कि गिरेबान से भी ऐसे नक्षत्र टूट कर गिर गए ,जो उनकी साख और कांग्रेस सरकार को दीमक की तरह चाट रहे थे | बचे-कूचे वक्त सरकार को ग्रहण के प्रभाव से अपने दामन को साफ़ रखना होगा ,ताकि बघेल की छवि निखरे और कांग्रेस के सपने साकार हो सके |
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सरकारे आएँगी और जायेंगी ,लेकिन देशी अंदाज़ में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले भूपेश बघेल जैसे नेता नौकरशाही के जाल में फंस कर क्या आम इंसान के सपने को भी चकनाचूर नहीं कर रहे ? फिलहाल तो प्रदेश की नौकरशाही तस्दीक कर रही है कि धान का कटोरा कहलाने वाला यह प्रदेश अब देश में नई पहचान भ्रष्टाचार का गढ़ “छत्तीसगढ़” के रूप में चर्चित हो रहा है|
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मुख्यमंत्री बघेल की आस्तीनों से निकल रहे सांप भविष्य में क्या गुल खिलायंगे ये तो पता नहीं|लेकिन समय रहते विधान सभा चुनाव के पूर्व जनता के सामने आ चुके सांपो के जहर से मुख्यमंत्री बघेल कितना सुरक्षित रह पाते है ,इसका आंकलन आने वाले दिनों में जनता करेगी|फिलहाल तो प्रदेश के तीनो कर्णधारो-अजीत जोगी ,रमन सिंह और भूपेश बघेल के कार्यो का आंकलन ,राजनैतिक धरातल पर शुरू हो गया है |