दिल्ली/रायपुर: देश में कृषि योजनाओं के लक्ष्य के शत-प्रतिशत परि-पालन, हित ग्राहियों को योजनाओं का समुचित लाभ मुहैया कराने से जुड़े एक सर्वे में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रामविचार नेताम का नाम चर्चित किसान नेताओं के रूप में लिया जाने लगा है। देश के कृषि उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्रियों की कार्य-क्षमता और योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े एक सर्वे में रामविचार नेताम छाये हुए है। इस श्रेणी में उनका नाम पहले पायदान पर है।
सर्वे के मुताबिक देश के नामचीन किसान नेताओं में रामविचार नेताम का नाम शामिल होने से राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का मंत्रिमंडल राजनैतिक गलियारों में चर्चा में है। इस मंत्रिमंडल में अनुभवी मंत्रियों के अलावा कनिष्ठ मंत्रियों की सहभागिता और सामंजस्य से कृषि जगत में क्रांति के आसार है। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सूचकांक के मापदंडों में खरा उतरने के चलते प्रदेश की एग्रीकल्चर ग्रोथ आने वाले समय नया राजनैतिक वातावरण भी प्रदर्शित कर सकती है। दरअसल, देश में किसान राजनीति के चरम में होने के चलते पेशेवर राजनीतिज्ञों को चुनावी मैदान में किसान नेताओं से लगातार दो-चार होना पड़ रहा है।
राजनीति की बिसात में किसान नेताओं की भूमिका अग्रणी आंकी जा रही है। उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में किसान राजनीति, सरकार के अरमानों पर पानी फेरने में जिस तर्ज पर कारगर भूमिका अदा करती है, ठीक इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी किसानों ने अपना एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है। इन दोनों राज्यों में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में किसान और उनके नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
सर्वे के मुताबिक, इन दोनों राज्यों में सत्ता के खेल बिगाड़ने में किसानों का रुख काफी हद तक चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है। पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश जैसे कृषि उत्पादक राज्यों में कद्दावर नेताओं को ही कृषि मंत्री की कुर्सी प्राप्त होती है। इन राज्यों में किसानों की भूमिका सरकार के काबिज रहने यह फिर विदाई के लिए काफी मायने रखती है। ऐसे राज्यों में अब छत्तीसगढ़ भी शुमार हो गया है। अब इस राज्य में भी कृषि मंत्री का पद सरकार की दशा और दिशा को तय करने के मामले में महत्वपूर्ण रोल अदा करेगा।
सर्वे के मुताबिक देश में कद्दावर किसान नेताओं की श्रेणी में अब एक नया नाम जुड़ गया है। यह नाम राज्य के कृषि मंत्री रामविचार नेताम का है। रिसर्च टीम ने सर्वे के एक आंकलन के बाद साफ़ किया है कि राष्ट्रीय परिद्श्य में प्रभावशील ‘किसान नेता’ के रूप में तेजी से उभर रहे नए नेताओं की फेहरिस्त में रामविचार नेताम का नाम अव्वल नंबर पर है। यूनिवर्सल एग्रो हॉर्टिकल्चर मीडिया रिसर्च दिल्ली की रिपोर्ट के मुताबिक नेताम की लोकप्रियता का ग्राफ हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कृषि मंत्रियों की लोकप्रियता की तुलना में पहले नंबर पर आंका गया है।
इन राज्यों के 25 हज़ार से ज्यादा किसानों के साथ रिसर्च टीम ने सैंपल सर्वे किया था। देश में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था से जुड़े कई विशेषज्ञों ने आंकड़ों पर नजर दौड़ाने के बाद इस चौकाने वाले नाम का खुलासा किया है। उन्होंने तस्दीक की है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार की ही तर्ज पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री नेताम भी किसानों की केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बन गए है।
देश का राजनैतिक वातावरण प्रदर्शित करता है कि आमतौर पर खेती-किसानी से सीधा नाता रखने वाली कई जातियों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले जमीनी नेताओं को ही देश में ‘किसान नेता’ के रूप में ख्याति प्राप्त होती है। लेकिन पेशेवर राजनीति के मैदान से महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके शरद पवार ने सालों पहले इस परिपाटी को तोड़ा था।
पवार, महाराष्ट्र के ही नहीं बल्कि गन्ना उत्पादक किसानों के बड़े नेता के रूप में देशभर में जाने-पहचाने जाते है। इसी तर्ज पर कृषि मंत्री रामविचार नेताम की नई पहचान गढ़ रही है। रिसर्च टीम ने कृषि उत्पादक महत्वपूर्ण इन राज्यों के कृषि मंत्रियों की कार्य-क्षमता और सक्रियता का आंकलन, किसानों के बीच जाकर किया था। सैंपल सर्वे में किसानों से लगभग डेढ़ दर्जन सवाल पूछे गए थे। इन सवालों में कृषि मंत्री की सूझबूझ और योजनाओं की हकीकत को लेकर मंत्री की कार्यप्रणाली से जुड़े सवाल भी पूछे गए थे।
सर्वे में यह भी बताया गया है कि मात्र 10 माह के कार्यकाल में राज्य की विष्णुदेव साय सरकार का मंत्रिमंडल किसानों के हितों के प्रति काफी नरम रुख अपनाये हुए है। यही कारण है कि वर्ष 2023 के चुनाव में ‘फार्मर पावर’ को सत्ता की चाबी करार देकर राजनैतिक दलों मुख्यता बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने आम मतदाताओं की तुलना में किसानों के बीच प्रचार-प्रसार में चुनावी फंड-खर्च भी ज्यादा किया था। हालांकि किसानों को रिझाने के मामले में बीजेपी कामयाब रही। उसने चुनाव पूर्व तय वादे के मुताबिक किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाली योजनाओं का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया था।
इसके चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार के बीते 5 सालों की तुलना में बीजेपी के मौजूदा 10 माह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के किसान ज्यादा लाभान्वित हुए है। राज्य के सैकड़ों किसानों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने इस दौर में कृषि उपकरणों के बजाय आभूषणों की खरीदी में ज्यादा जोर दिया और खर्च भी किये थे। किसानों ने यह भी तस्दीक कि, वर्ष 2024 के बीते 10 माह में सरकार प्रदत्त धन राशि से परंपरागत उपकरणों, वाहनों, कपड़ों की खरीदी के बजाय अधिकतम व्यय सोने-चांदी के आभूषणों की खरीदी पर व्यय किये गए। प्रदेश में संचालित 5 योजनाओं को महत्वपूर्ण बताते हुए किसानों ने उसे आर्थिक समृद्धि की दिशा में कारगर करार दिया।
सर्वे सिनॉप्सिस में छत्तीसगढ़ के ज्यादातर किसानों ने उनके खातों में एक मुश्त मोटी रकम के आने से आर्थिक राहत और सुरक्षित भविष्य महसूस करने पर अपनी सहमति प्रदान की। सर्वे में शामिल ज्यादातर किसानों ने छत्तीसगढ़ सरकार की कृषि योजनाओं को बेहतर-कारगर बताया। उन्होंने योजनाओं के लाभ को लेकर संतोष भी जाहिर किया। कई शिक्षित किसानों ने कृषि की नई तकनीक के विकास अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए बजट में पृथक से 420 करोड़ 15 लाख 20 हजार रूपए की राशि आबंटित करने को प्रदेश में कृषि को उद्योग के दर्जे की दिशा में अच्छी पहल भी निरूपित किया है।
सर्वे में साफ किया गया है कि राज्य में सालाना बड़े पैमाने पर होने वाली धान की खरीदी की व्यवस्था से 25 फीसदी से ज्यादा किसान ना खुश है। वे इसमें सरकार से सुधार की गुंजाईश की अपेक्षा कर रहे है। सर्वे में एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आया है। आंकलन के मुताबिक राज्य के 68 फीसदी किसान महसूस करते है कि 10 माह के कार्यकाल में बीजेपी सरकार के प्रति उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। बहरहाल छत्तीसगढ़ में कृषि क्रांति के नए दौर के बीच मंत्री रामविचार नेताम का किसान राजनीति में चढ़ता ग्राफ, प्रदेश के किसानों की समृद्धि के संकेत दे रहा है।