महानदी में जमीन लीज पर लेकर तरबूज की खेती करने वाले 20 गांव में दो सौ एकड़ तरबूज की खेती बर्बाद हो गई। इससे 100 से अधिक किसानों को 2 करोड़ का नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है रेत माफियाओं के कारण ही बर्बाद हो गए।
अवैध रेत निकालने के लिए डैम और एनीकट से लगातार साजिश कर महानदी में पानी छुड़वाने से तरबूज और सब्जी बाड़ी को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है ताकि मनमानी पूर्वक रेत निकाल सके। साहूकारों से लाखों रुपए कर्ज लेकर खेती कर रहे थे। अब कर्ज में डूब गए हैं।
महानदी में जमीन लीज पर लेकर सालों से तरबूज की खेती कर रहे किसानों ने कहा कि वे लोग सालों से महानदी में सब्जी, तरबूज, ककड़ी व खरबूज की खेती करते आ रहे हैं। पहले कभी भी इस तरह का नुकसान उठाना नहीं पड़ा मगर जब से रेत घाटों को नीलाम किया गया और जगह-जगह अवैध रेत उत्खनन कार्य हो रहा है तभी से तरबूज और सब्जी की खेती करने वाले किसानों को नुकसान होने लगा है।
इन गांवों में तरबूज, सब्जी की खेती हो गई बर्बाद
महानदी में लीज पर लेकर ग्राम डोंगरीडीह, परसापाली,डोंगरा, तिल्दा, लाटा, दर्रा, चाटीपाली, मोहतरा, चिचपोल, दतरेंगी, दतान, बम्हनी, मोहान, अमेठी में महानदी पर तरबूज व सब्जी की खेती करने वाले शिव वर्मा, भुनेश्वर, रामकिशन, हरबंस खिलावन, रामा, पुनीत, रामरतन, पुरुषोत्तम, हरिराम, अरुण साहू, ओमप्रकाश, अमर सिंह, बलराम, डेरहा राम, उत्तम, अनीता राव, रामनाथ, पूर्णिमा साहू आदि किसानों ने कहा कि वे लोग पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। रेत माफियाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नदी में पानी छोड़कर किसानों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है, क्योंकि इतनी बारिश नहीं हुई कि नदी में पानी छोड़ना पड़े।