
कोरबा/रायगढ़ : छत्तीसगढ़ के कोयला उत्पादक जिलों में बाहुबलियों के कब्जे के बाद बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी के छापेखाने सामने आए हैं। कोरबा स्थित बालको और SECL में ठेके और रंगदारी की वसूली बाहुबलियों के हाथों में बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि कोरबा और रायगढ़ की कई पॉश कॉलोनियों और रेसिडेंशियल सोसाइटियों में बाहुबलियों ने अपने नए ठिकाने बना लिए हैं। यहां कई परिवारों के साथ तो कई संदिग्ध लोगों के साथ निवासरत बताए जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक, कोरबा और रायगढ़ के अलावा राजधानी रायपुर में रियल एस्टेट कारोबार में बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी निवेश की जा रही है। इस रकम के स्रोत अवैध कोयला उत्खनन और उसके परिवहन में ठेकेदारी के कारोबार को बताया जा रहा है। प्रदेश का यह अंचल कोल उत्पादन के सबसे बड़े केंद्रों में से एक बताया जाता है। रायगढ़ और कोरबा के अलावा सरगुजा के कुछ हिस्सों में कोयले के बड़े भंडार हैं। यहां SECL की कई खदानों से कोयले की नियमित अवैध निकासी होती है। इसका परिवहन भी आम बताया जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, कई खदानों में रोज़ाना कोयले की अफरा-तफरी जोरों पर है। स्थानीय पुलिस थानों से लेकर परिवहन चौकियों में भी कोयला माफियाओं ने अपना कब्जा जमा लिया है। इन इलाकों में पुलिस का सघन चेकिंग अभियान भी अपना दम तोड़ रहा है। रोज़ाना सैकड़ों वाहनों से कोयले की अफरा-तफरी हो रही है, लेकिन वैधानिक कार्यवाही शून्य बताई जाती है। इन शहरों के चारों ओर एवं कई गांव-कस्बों में नए कोल भंडार स्थापित कर दिए गए हैं।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बिना अनुमति के संचालित ऐसे कोल भंडारों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई और अभियान भी स्थानीय पुलिस द्वारा छेड़ा गया था, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं। यहां तक कि कई मौकों पर यह कार्रवाई रफा-दफा अथवा शून्य कर दी गई है। इसका सीधा फायदा कोल माफिया उठा रहे हैं। उनके प्रतिष्ठानों पर ब्लैकमनी की जबरदस्त बारिश हो रही है।

यह भी बताया जाता है कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त कई ठेकेदारों ने चर्चित “बालको” में भी अपना नामी-बेनामी कब्जा जमा लिया है। ये ठेकेदार परिवहन ठेकों और अन्य आपूर्तिकर्ता फर्मों के जरिए बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी भी कर रहे हैं। जानकार तस्दीक करते हैं कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बाहरी प्रदेशों के ठेकेदारों को बालको में कामकाज की कमान सौंपी गई थी। उनके मुताबिक, इस एंट्री से अवैध कारोबार को नई शक्ल दी गई है।

प्रदेश के विभिन्न घोटालों से जुड़े कई कोल कारोबारियों ने इसी इलाके से ब्लैकमनी अर्जित कर नए कारोबारों में निवेश कर केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए भी नई चुनौती पेश कर दी है। उनके मुताबिक, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट और परिवहन कार्यों के लिए उपयोग होने वाले सैकड़ों वाहन बोगस कंपनियों, फर्मों और नामों से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। कोयला उत्पादक इलाकों में ऐसे भारी भरकम मालवाहक वाहनों का फाइनेंस भी संदिग्ध बताया जाता है। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग ने कोरबा और रायगढ़ समेत कई इलाकों में छापेमारी भी की थी। कई कोल कारोबारियों और उद्योगपतियों पर एजेंसियों ने अपना शिकंजा भी कसा था। बावजूद इसके, प्रदेश के कोल उत्पादक इलाकों में ब्लैकमनी की झड़ी लगी हुई है।
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छत्तीसगढ़ में इन दिनों विभिन्न घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों की बाढ़ आई हुई है। आर्थिक अपराधों से जुड़े तत्व सरकार की आंखों में धूल झोंककर रोज़ाना प्रदेश सरकार की तिजोरी पर सेंधमारी कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया का परिवहन और रियल एस्टेट कारोबार अभी भी जस का तस जारी है। उनकी जमानत के बाद अब इस कारोबार को बेंगलुरु से भी अंजाम दिए जाने की जानकारी सामने आई है।
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कोरबा में इसे संतोष ढेंढा नामक शख्स द्वारा संचालित बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि रायपुर के गुढ़ियारी स्थित एक ठिकाने से कोरबा और रायगढ़ में कोयले का वैध-अवैध कारोबार संचालित किया जाता है। एक शिकायत के मुताबिक, बालको में कार्यरत ठेकेदारों की आमदनी ने रिकॉर्ड तोड़ लाभ अर्जित कर बाजार को गरमा दिया है। यह कारोबार निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया के अवैध कारोबार का हिस्सा बताया जाता है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक, IT और ED को ऐसे अवैध कारोबार की शिकायत भी की गई थी, लेकिन अभी तक इसके कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। जानकार यह भी तस्दीक करते हैं कि कई बोगस फर्म और कंपनियां भ्रष्टाचार का व्यापक लेखा-जोखा पेश कर ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में तब्दील करने के लिए नए-नए उपक्रमों और मोर्चों पर सक्रिय बताई जाती हैं। एक शिकायत में कहा गया है कि शराब, महादेव एप सट्टा घोटाले और DMS घोटाले की मोटी रकम का सुव्यवस्थित इस्तेमाल कोरबा और रायगढ़ स्थित कोल परिवहन ठेकों में किया गया है।
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इन उपक्रमों के जरिए घोटाले की रकम अब “वन टू का फोर” और “फोर टू का वन” जैसे रातों-रात करोड़पति बनने के आपराधिक रास्ते खोल रही है। फिलहाल राज्य के कोल उत्पादक इलाकों में संदिग्ध आर्थिक गतिविधियां जोरों पर हैं।