उपेंद्र डनसेना /
रायगढ़। छत्तीसगढ़ सहित देश के अनेक हिस्सों में कोविड़ कोरोना तेजी से अपना पांव पसारते हुए आम लोगों को दहशत के साए में जीने को मजबूर कर रहा है। साथ ही साथ बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए केन्द्र व राज्य स्तर पर बड़े-बड़े प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इस प्रयास में सरकार दवाई की फैक्ट्रियों तथा थोक व चिल्हर विके्रताओं के उपर मोटी कमाई करने के मामले में अपना शिकंजा नही कस रही है। वर्तमान में कोविड़ कोरोना से बचने के लिए बिटामिन सी के अलावा जिंक और बुखार से बचने के लिए दर्जन भर से अधिक सस्ती दवाईयां जो पहले दुकानों में थी एकाएक गायब हो गई है। दुकानों में अब महंगी दवाईयां ही ग्राहको को खरीदनी पड़ रही है और उन्हें दोहरे मार का शिकार होना पड़ रहा है। एक तरफ लॉकडाउन के चलते उनकी कमाई रूक सी गई है वहीं बीमारी से बचने के लिए उन्हें महंगी दवाईयां खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस मामले में सरकारों की कोई पहल नही होना अपने आप में चौकाने वाली बात है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि कोविड़ कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए बीटामिन सी व जिंक की टेबलेट काफी हद तक काम आती है, इसके अलावा बढ़ते बुखार को कम करने के लिए भी पैरासिटामाल जैसे टेबलेट भी काम आते हैं। लेकिन देखा यह जा रहा है कि गांव से लेकर शहर तक की दवाई दुकानों में सस्ती दवाईयां गायब हो गई है। पूछने पर दुकानदार दूसरी कंपनी की महंगी दवाईयां खरीदने को मजबूर करते हैं। इस दौर में दवाई दुकानों के संचालकों के स्टाक संबंधी जानकारी जिला स्तर पर अधिकारियों के पास होनी चाहिए जो कि नही है। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो सरकारी अस्पतालों में भी ऐसी दवाईयां लगभग गायब हो चुकी है जिसके चलते ज्यादातर लोग दवाई दुकानों पर ही निर्भर हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि महंगी दवाईयां बेचने वाले दवाई दुकानदार ग्राहकों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। ऐसा नही है कि इस पूरे खेल में केवल दवाई दुकानदार ही शामिल है बल्कि थोक दवाई बेचने वाले भी दुकानदारों को दुसरी कंपनियों की महंगी दवाईयां बेचने को कह रहे हैं। जिसमें मोटा कमीशन का मोटा खेल है।
रायगढ़ जिला मुख्यालय में भी 24 सितंबर से 30 सितंबर तक कड़ा लॉकडाउन कोविड़ कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए तीसरी बार लगाया जा रहा है और इस लॉकडाउन में दवाई दुकानों को कुछ समय तक खोलने की अनुमती दी जा रही है। इस मामले में जिला कलेक्टर भीमसिंह व जिले के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह को चाहिए कि कोविड़ कोरोना से बचने के लिए काम आने वाली सस्ती दवाईयों के स्टाक संबंधी मामले की सुध लेनी चाहिए। जिससे उन गरीबों का भला होगा जिनके पास अब दवाईयां खरीदने के लिए भी पैसे न के बराबर बचे हैं।