छत्तीसगढ़ के बिजली मुख्यालय में अफरा -तफरी , कोयला दलाल सूर्यकान्त से जुडी तमाम फाइलें और दस्तावेज़ गायब, मड़वा प्लांट दफ्तर का भी यही हाल, न्यूज़ टुडे की खबर के बाद सक्रिय ”हिडन पार्ट्नर”

0
18

रायपुर / कोरबा : छत्तीसगढ़ में कुख्यात कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के साथ घोटालो को अंजाम देने वाले कई सरकारी अफसर अपने -अपने विभागों में सबूतों को ग़ायब और नष्ट करने में जुटे है। बताया जाता है कि ED छापो के बाद सूर्यकान्त के फरार होने से लेकर आत्म समर्पण तक शरू हुआ फाइलों की अफरा -तफरी का खेल अब भी जारी है। बिजली मुख्यालय और मड़वा प्लांट में भ्रष्टाचार से जुडी फाइलों और कम्प्यूटर डाटा को ठिकाने लगाया जा रहा है। इस  मामले में CSEB की चीफ इंजीनियर की कार्यप्रणाली सवालो के घेरे में है। 

बताया कि सूर्यकान्त के कारोबार में शामिल कई अफसरों ने अपने बचाव में अब एड़ी -चोटी का जोर लगा दिया है। ताजा मामला CSEB और उसके मड़वा पावर प्लांट में कोयले की काला बाजारी से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक इन दोनों ही ठिकानो में तैनात सूर्यकान्त तिवारी के हिडन पार्टनर सबूत नष्ट करने में जुटे है। सूत्रों के मुताबिक रायपुर में डंगनिया स्थित बिजली मुख्यलय और कोरबा में मड़वा पावर प्लांट के दफ्तरों से कई महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज इधर से उधर कर दिए गए है। डाटा एंट्री में भी कांट -छांट किये जाने की खबर आ रही है। 

बताया जाता है कि न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ पर CSEB के घोटालो की खबर के सुर्खिंयां बनते ही सूर्यकान्त के हिडन पार्टनर अचानक उसकी फाइलों पर हाथ साफ़ करते नजर आए । बताया जाता है कि CSEB में लगभग 90 लाख टन कोयले का ट्रांसपोर्ट कर सूर्यकांत ने सरकार को अरबो का चूना लगाया है। आयकर और GST की चोरी करने के साथ -साथ उसने घटिया कोयला सप्लाई कर बिजली उत्पादन को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है।

बताया जाता है कि गुणवत्ता वाला कोयला वो रास्ते में ठिकाने लगा कर मिलावटी कोयला CSEB को दिया करता था। इस काला बाजारी से हर माह करोड़ो की रकम जुटाई जाती थी। हर माह करोडो के नुकसान के बावजूद CSEB की चीफ इंजीनियर  सूर्यकान्त के कारनामो पर पर्दा डाले रही। उसे भ्रष्टाचार का मौका देने में कोई कमी नहीं की गई।

विभाग के ईमानदार अफसरों ने CSEB के नुकसान की भरपाई के लिए MDO पर करीब 50 करोड़ की पेनाल्टी लगाई थी। लेकिन चीफ इंजीनियर पर सूर्यकान्त की मेहरबानी चर्चा में है। कोयला ट्रांसपोर्ट में ” जय अम्बे” ट्रांसपोर्ट कम्पनी और सूर्यकान्त के बीच करीब 500 करोड़ की टैक्स चोरी को लेकर CSEB की संदिग्ध भूमिका केंद्रीय एजेंसियों के जाँच के घेरे में बताई जा रही है।  

बताया जाता है कि कोयला दलाल के विभागीय हिडन पार्टनर ने इस रकम की वसूली के दस्तावेजों को ठिकाने लगा रहे है। घटिया कोयले से हुए नुकसान की भरपाई के बजाय अफसरों ने उसे घटिया कोयले की सप्लाई का लाइसेंस दे दिया है। यही नहीं सूर्यकान्त की कम्पनी को नियम विपरीत कोयले की ट्रांसपोटिंग का ठेका भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है। 

अफसरों ने पहले सूर्यकान्त को मात्र 6 माह के लिए कोयले के ट्रांसपोर्ट का ठेका बाजार भाव से दुगनी दरों पर ठेका दिया था। फिर 6 माह बीत जाने के बाद भी दोबारा टेंडर जारी नहीं किया। बताया जाता है कि सूर्यकान्त की कम्पनी करीब ढाई साल से बाजार भाव से दुगनी दरों पर कोयला सप्लाई कर रही है। इससे उसे, अकेले प्रतिमाह लगभग 30 करोड़ का वैधानिक और अवैधानिक फायदा होता है। 

उसके दोगुने मुनाफे के अलावा CSEB  के अफसरों और उसकी सहयोगी कम्पनी ” जय अम्बे ” को अलग से होने वाला मुनाफा भी करोडो में है। ED की छापेमारी के बावजूद उसका यह ठेका अब भी CSEB के हिडन पाटर्नर संचालित कर रहे है। दरअसल कोयला दलाल के CSEB में भ्रष्टाचार की जड़े चौतरफा फैली है। कई अफसरों के उसके साथ हिडन पार्टनर बन कर ठेको में हिस्सेदारी तय कर रहे है। नतीजतन केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की तिजोरी में रोजाना लाखों का चूना लग रहा है।  

यह भी बताया जाता है कि कुछ महीनो में करीब 90 लाख टन कोयले की सप्लाई कर सूर्यकान्त ने अकेले CSEB से अरबो की कमाई की। उसने आत्मसमर्पण के दौरान अदालत में पेश दस्तावेजों में कोयले आपूर्ति को लेकर मशहूर उद्योगपति अडानी का जिक्र भी किया है। जानकारी के मुताबिक CSEB के ठेको से ही बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की शुरुवात हुई है। सूर्यकान्त की सहयोगी कम्पनी ”जय अम्बे ” को भारी भरकम भुगतान आज भी जारी रहने से CSEB में बड़ा कोयला घोटाला चर्चा में है। सूत्रों के मुताबिक सूर्यकान्त गिरोह से फिलहाल ED की पूछताछ जारी है।